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जांबाज महिला की हिम्मत को सलाम

इसमें कोई शक नहीं कि आज की तारीख में पूरे एनसीआर में अपराध बहुत ज्यादा हो रहे हैं। चौंकाने वाला पहलू यह है कि महिलाओं को निशाने पर

इसमें कोई शक नहीं कि आज की तारीख में पूरे एनसीआर में अपराध बहुत ज्यादा हो रहे हैं। चौंकाने वाला पहलू यह है कि महिलाओं को निशाने पर लिया जा रहा है। जरूरत इस बात की है कि महिलाएं एक हो जाएं और अगर वे ऐसा करती हैं तो बदमाशों के हौंसले पस्त हो सकते हैं। महज चार दिन पहले बहादुरगढ़ रेलवे स्टेशन के पास एक मीडिया हाउस में काम करने वाली युवती जब फलाईओवर पर पहुंची तो वहां से गुजर रहे एक बदमाश ने उन पर हमला कर दिया। वह युवती का पर्स छीन रहा था लेकिन यह युवती डटी रही।

अब बाइक सवार बदमाश अपनी मोटरसाइकिल से नीचे उतरा और पर्स को पकड़ कर महिला को इधर-उधर झटकने लगा। दुखदायी बात यह है कि वहां से लोग गुजर रहे थे लेकिन किसी की हिम्मत नहीं हुई कि महिला की मदद करे। यह जुझारू और जांबाज महिला उस बदमाश से गुत्थमगुत्था हो गई, गिर भी गई परन्तु उसने बदमाश को नहीं छोड़ा। आखिरकार बदमाश ने नाखुनों से उसे नोचा और फिर उसके हाथ को दांतों से काट डाला। उस बदमाश के पास एक ब्लेड भी था। महिला को काफी देर तक उस बदमाश से भिड़ता हुआ देखकर लोगों का हौंसला बढ़ गया। एक बेटी का पर्स लूटा जा रहा था, सभी लोगों ने एक साथ हमला कर दिया और उस बदमाश को पकड़ लिया। इस बहादुर बेटी को मैं बधाई देती हूं साथ ही उसकी मदद करने वाले लोगों के लिए भी मैं आभार व्यक्त करती हूं।

आज जरूरत इसी बात की है ​​ कि सब लोग एक हो जाएं और पुलिस अपना काम करे तो सचमुच अपराध और अपराधियों पर लगाम कसी जा सकती है। वैसे तो आज महिला सशक्तिकरण की बड़ी-बड़ी बातें हो रही हैं, लेकिन हकीकत यह है कि महिलाओं को मजबूती हमारे समाज ने देनी है, किसी महिला की मुसीबत के वक्त अगर मदद कर दी जाए, तो बहुत कुछ सार्थक हो सकता है। इस स्वीटी राणा नाम की युवती ने खुद भी हौंसला दिखाया तो बदमाश पकड़ लिया गया, यह सच है कि आज की तारीख में अपनी ड्यूटी आफ करने के बाद घर जाते-जाते नौ-दस-ग्यारह बज जाना आम बात है इसलिए कामकाजी महिलाओं को न सिर्फ जांबाज होना चाहिए बल्कि अपने पर्स में मिर्ची, स्प्रे जैसे बचाव के उपाय भी रखने चाहिएं।

इसी दिन नांगलोई में एक बेटी के सामने उसकी मां की चाकू मारकर हत्या कर दी गई थी। काश! वह जांबाज होती। इसी तरह कुछ दिन पहले राजौरी गार्डन में एक विदेशी महिला का पर्स लूट लिया गया था। उस महिला ने हिम्मत दिखाई और थाने में जाकर पूरी डिटेल बताई। तीन ​दिन पहले ​ही तिलक नगर में एक 57 वर्षीय महिला से बाइक सवार उनका पर्स छीन ले गए, यह सब कुछ दोपहर को हुआ। वह मदद को ​चिल्लाई आैर कोई नहीं आया।

कहने का मतलब यह है कि हमारे देश में खासतौर पर दिल्ली में कामकाजी महिला को ज्यादा लूटा जाता है और कई अन्य महिलाएं यौन संबंधी अन्य अपराधों का सामना कर रही हैं। दिल्ली में दिन, दोपहर, शाम और रात महिलाएं कहीं भी सुरक्षित नहीं हैं। सड़क पर हों, आटो में हों या बस में हों, चेन झपटमारी आम बात होे गई है। हर बार बाइक सवार ही लुटेरे निकलते हैं। पुलिस के पास जाओ तो शिकायत नहीं दर्ज की जाती। ऐसी व्यवस्था होनी चाहिए कि लुटेरों का दम निकालने के लिए गश्त बढ़ाई जानी चाहिए।

न सिर्फ चौराहों पर बल्कि कालोनियों के आसपास हर वक्त पुलिस का पहरा रहना चाहिए, अगर दिल्ली पुलिस आपके साथ है जैसा आकर्षक नारा देती है तो उसके कर्मचारियों को यह निभाना भी चाहिए, यह भी सच है कि कई दिल्ली पुलिस के कर्मचा​री बड़ी बहादुरी के साथ अपनी ​ड्यूटी निभा रहे हैं। हमारा यह मानना है कि लोगों को खुद भी सतर्क रहना चाहिए, ऐसे कई केस हुए कि जब लूटपाट हुई और लोगों ने कुछ नहीं किया। लोगों की मदद एक महिला के लिए सच्ची इंसानियत तभी बन सकती है अगर इसे अपने से जोड़ कर चलें।

समय आ गया कि महिला सशक्तिकरण की सार्थकता को सिद्ध करने के लिए पुलिस और प्रशासन जमीन पर मुस्तैद रहे। जब हमें अपराधियों के पूरे लूटपाट के स्टाइल का पता लग गया तो उन्हें वारदात से पहले पकड़ा जा सकता है। आखिर में यही बात आती है कि महिलाओं को खुद हिम्मत दिखानी होगी। अपराधियों के सामने जब वे डटेंगी तो आसपास खड़े लोग भी हौंसला दिखा कर आगे बढ़ें तो सचमुच महिलाओं के खिलाफ अपरा​ध रुक सकता है। बहादुरगढ़ रेलवे स्टेशन के पास जांबाजी दिखाने वाली स्वीटी राणा अपने आप में एक उदाहरण है।

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