दो दिन पहले मैंने अमेरिका की एक 37 वर्षीय सारा थामस के बारे में पढ़ा जिसने पिछले दिनों 209 कि.मी. की इंग्लिश चैनल चार बार पार करने का एक विश्व रिकार्ड बनाया। सारा के बारे में जब मैंने विस्तार से पढ़ा तो मैं उसकी कायल हो गई। उसे ब्रेस्ट कैंसर है। इससे पहले वह इसी इंग्लिश चैनल को तीन बार पार कर चुकी है। उसने अपनी ब्रेस्ट कैंसर की बीमारी के दौरान पहले आपरेशन करवाया, फिर कीमो करवाई और उसके छह महीने बाद वह फिर तैराकी की दुनिया में प्रैक्टिस करने लगी। 54 घंटे में इंग्लिश चैनल चौथी बार पार करके पहली महिला बनकर यह रिकार्ड स्थापित किया।
वैसे तो हमारे भारत में भी युवराज, ऋषि कपूर, सोनाली बेंद्रे जैसे बहुत से उदाहरण हैं, जिन्हें सुन-पढ़कर लोगों को बहुत प्रेरणा मिलती है। पढ़ने-सुनने में यह बहुत आसान या एक खबर मात्र लगते हैं, परन्तु असल में वो ही इसको समझ सकता है जो इसका सामना कर रहा हो। कहते हैं न जिस तन लागे सौ तन जाने। अर्थात् दुःख का अहसास उसको होता है जो झेल रहा हो। वैसे तो नानक दुखिया सब संसार। इस संसार में कोई भी प्राणी ऐसा नहीं जिसको कोई दुःख-दर्द न हो। किसी को दुःख, किसी को पीड़ा, किसी को बीमारी है क्योंकि होइहि सोई जो राम रचि राखा, मतलब जो भगवान ने रच रखा है वह अवश्य होकर रहेगा।
परन्तु अपने जिन्दगी के अनुभव से यही समझा है कि हमें अपनी जिन्दगी के हर पल को जीना चाहिए। जैसे जिन्दगी में चैलेंजेज आएं, उनका डटकर मुकाबला करना चाहिए। मेरे प्रिय पति मेरे लिए प्रेरणा हैं जो पिछले लगभग डेढ़ साल से कैंसर जैसी बीमारी से लड़ाई लड़ रहे हैं। जो खुद दर्द में होते हैं तो भी हमारी तरफ देखकर मुस्कराते हैं। हम बचपन के साथी हैं, आज तक हमने सुख-दुःख, खुशियां, मेहनत सब बांटी हैं, परन्तु इस समय मैं भी कभी-कभी अपने आप को असहाय महसूस करती हूं। जब कीमो के बाद उन्हें तकलीफ में देखती हूं तो वो दर्द, जो उनको होता है, मैं महसूस तो करती ही हूं, देखकर तड़पती भी हूं, पर चाह कर भी बांट नहीं सकती। ईश्वर से यही कहती हूं इनका सारा दर्द मुझे दे दे।
सारा कहती है कि कैंसर से पीड़ित लोग बिल्कुल भी न डरें और न घबराएं, अपनी हिम्मत से लड़ते रहें, जूझते रहें, जो लड़ता और जूझता है वह बड़े से बड़े रिकार्ड स्थापित करता है। उनकी यह बातें पढ़कर मुझे भी प्रेरणा मिल रही है कि अश्विनी जी भी इस दुःख, कष्ट की घड़ी को पार कर जाएंगे और लोगों के लिए एक मिसाल कायम करेंगे। मैं अक्सर मनीषा कोइराला के साथ कैंसर पर मंच शेयर करती हूं, उससे भी बड़ी प्रेरणा मिलती है और सबसे बड़ी मेरी प्रेरणा है मेरी बहन मधु जिसने फाइनल स्टेज पर इसको मात दी और अब लोगों की क्लास लेती हैं, ट्रेनिंग देती हैं।
नीतू सिंह और मधु की एक ही बात मुझे समझ लगती है कि इस दुःख की घड़ी में फैमिली सपोर्ट और लोगों की दुआएं बहुत काम आती हैं। अश्विनी जी के साथ भी हमारी फैमिली, मेरे बच्चे, मेरी बहू, पोते, मेरे परिवार का पूरा सपोर्ट है और लाखों लोगाें की दुआएं हैं। बहुत से लोग मेरे पास आते हैं, कोई नुस्खे बताता है, कोई ईलाज बताता है, कोई पूजा बताते हैं, कोई उपाय करने को कहते हैं, कोई कहता है यहां पूजा करके आएं, जितने मुंह उतनी बात। बहुत से लोगों को बहुत हमदर्दी है, दुआएं हैं, आशीर्वाद है। सब चाहते हैं अश्विनी जी जल्दी ठीक हों।
इस समय बहुत से ऐसे लोग हैं जो चाहते हैं अश्विनी जी जल्दी ठीक हों और पहले की तरह लोगों के बीच आएं। मुझे पूरी उम्मीद है, पूरा विश्वास है कि वह जल्दी ठीक होंगे। अभी नरेन्द्र चंचल जी, जो हमेशा मुझे मां कहते हैं और वरिष्ठ नागरिक केसरी क्लब में बहुत सहयोग देते हैं, अश्विनी जी को मिलने आए और उन्होंने कहा कि नवरात्रों में जितनी भी माता की चौकियां करेंगे उतनी ही वह अश्विनी जी के लिए अरदास करेंगे। मुझे लगता है माता रानी उनकी जरूर सुनेंगी।