बंगलादेश में हिंदुओं की सुरक्षा जरूरी

बंगलादेश में हिंदुओं की सुरक्षा जरूरी
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बंगलादेश में अंतरिम सरकार के नवनियुक्त प्रमुख माेहम्मद यूनुस ने गुरुवार को जो पहला फोन कॉल अटेंड किया वह भारतीय प्रधानमंत्री का था। शुरुआती नमस्कारों के आदान-प्रदान के बाद मोदी ने मुद्दे पर आने में कोई समय नहीं गंवाया। हिंदुओं की सुरक्षा अत्यंत आवश्यक है, हिंदुओं, सिखों, जैनियों आदि पर हमले तुरंत रोके जाने चाहिए तथा अपराधियों को कड़ी सजा दी जानी चाहिए। 84 वर्षीय नोबेल पुरस्कार विजेता ग्रामीण बैंकर से बात करते समय उनके संदेश की दृढ़ता पर कोई संदेह नहीं था।
गौरतलब है कि बंगलादेश में पिछले महीने के अंत में शुरू हुए हसीना विरोधी प्रदर्शनों के बाद से हजारों हिंदुओं पर व्यवस्थित तरीके से हमले किए गए हैं। राजधानी ढाका सहित पूरे देश में उग्र भीड़ द्वारा उनके घरों को लूट लिया गया, जला दिया गया तथा उनकी महिलाओं के साथ छेड़छाड़ की गई। बंगलादेश में पुलिस का कोई नामोनिशान नहीं था, वे राष्ट्रव्यापी प्रदर्शनों में हसीना विरोधी प्रदर्शनकारियों द्वारा अपने 20 से अधिक साथियों की हत्या के विरोध में सामूहिक हड़ताल पर चले गए थे। ढाका की व्यस्त सड़कों पर छात्र यातायात नियंत्रित करते नजर आए। अन्यत्र अराजकता का बोलबाला था।
यद्यपि हर बार जब दंगे होते हैं तो बंगलादेशी अल्पसंख्यकों को अपनी जान का डर बना रहता है। पाकिस्तान समर्थक जमात और पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया की बंगलादेश नेशनलिस्ट पार्टी के सदस्य बंगलादेश में हिंदुओं के प्रति विशेष रूप से शत्रुतापूर्ण हैं। देश की 18 करोड़ की आबादी में हिंदुओं की संख्या अब मुश्किल से 8 प्रतिशत है। बंटवारे के समय वे कुल आबादी का एक तिहाई थे। इसमें कोई संदेह नहीं है कि 1947 में पाकिस्तान के निर्माण और उसके बाद 1971 में दो अलग-अलग देशों में विभाजन के बाद से बंगलादेश में अल्पसंख्यकों ने अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना के शासन में सबसे शांतिपूर्ण समय का आनंद लिया। वह न केवल भारत के प्रति मैत्रीपूर्ण थीं, बल्कि उन्होंने यह भी सुनिश्चित किया कि हिंदुओं को किसी भी प्रकार का आधिकारिक भेदभाव न सहना पड़े, यद्यपि मुस्लिम शत्रुता की जड़ें वहां की रोजमर्रा की जिंदगी का एक तथ्य बन गई हैं, जैसा कि अधिकांश मुस्लिम बहुल देशों में है। हिंदुओं के खिलाफ हिंसा के नवीनतम तांडव में उनके मंदिरों पर भी हमला किया गया और तोड़फोड़ की गई।
चटगांव में गुरुवार को एक बेहद हृदय विदारक घटना में एक मध्यम वर्गीय बंगाली हिंदू परिवार को उग्र भीड़ ने जिंदा जला दिया। भीड़ का नेतृत्व उनके मुस्लिम पड़ोसियों ने किया था। हमलावरों ने मां और बेटी के साथ सामूहिक बलात्कार करते समय 'अल्लाह हू अकबर' का नारा लगाया और फिर पिता सहित सभी को आग के हवाले कर दिया। आईएसआई द्वारा वित्त पोषित जमात के समर्थक हिंदुओं के खिलाफ इस तरह के अमानवीय अत्याचारों के मुख्य अपराधी थे। इसमें कोई संदेह नहीं है कि देशभर में हिंदुओं पर हो रहे हमलों से भारत में पलायन की एक नई लहर पैदा होगी। और यहीं पर नागरिकता (संशोधन) अधिनियम का बहुत महत्व है।
इस्कॉन के संस्थापक स्वामी प्रभुपाद ने अपने अनुयायियों से भूखी जनता के लिए धन जुटाने की अपील की थी। उनके अनुयायियों में बीटल जॉर्ज हैरिसन और सितार वादक पंडित रविशंकर शामिल थे, जिन्होंने न्यूयॉर्क के मैडिसन स्क्वायर में बंगलादेश बचाओ संगीत कार्यक्रम का आयोजन किया था। कुछ ही हफ्तों में भूखे बंगलादेशियों को खाना खिलाने के लिए 25 लाख डॉलर से अधिक इकट्ठा हो गया था, जो उन दिनों एक बड़ी रकम थी। इस्कॉन के सदस्यों ने भूखों और गरीबों को खाना खिलाने के लिए ढाका और ग्रामीण इलाकों में मोबाइल रसोई का भी आयोजन किया लेकिन हुआ कुछ यू कि पिछले सप्ताह उग्र भीड़ ने 'अल्ला हू अकबर' के नारे लगाते हुए ढाका के इस्कॉन मंदिर को जलाकर और उसके निवासियों पर हमला करके दान राशि सूत समेत वापस कर दी है। साल 1971-72 में भूखे और मरते मुसलमानों को खाना खिलाने के लिए आभार है। वहीं बंगलादेश में अब मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व में अंतरिम सरकार की स्थापना हो गई जिसके लिए वहां शांति स्थापित करने की आवश्यकता है। हालांकि मौके का फायदा उठाने के लिए चीन और पाकिस्तान दोनों तैयार बैठे हैं। वैसे भारत के बंगलादेश की हसीना सरकार के साथ 2015 से अच्छे संबंध थे लेकिन मौजूदा वक्त में भारत खाली हाथ है।
भारत को शेख हसीना के साथ घनिष्ठ संबंध के चलते और उन्हें अपने देश में अपनी बहन की तरह शरण देने के लिए नई सरकार के साथ समन्वय बनाने में दुश्मनी का सामना करना पड़ सकता है। यह देखते हुए कि पश्चिम बंगाल अब अवैध मुस्लिम बंगलादेशी आप्रवासियों का गढ़ बन गया है, ऐसे में पड़ोसी देश से हिंदू बंगालियों की वापसी के लिए माहौल समान रूप से अनुकूल नहीं हो सकता है। यही एक कारण है कि ममता बनर्जी हिंदू बंगलादेशियों पर व्यापक हमलों पर ध्यान देने में विफल रही हैं। ऐसे वक्त में कांग्रेस पार्टी की चुप्पी भी बहुत दुखद है, खासकर तब जब गाजा में फिलिस्तीनियों की दुर्दशा देखकर प्रियंका गांधी और उनके भाई राहुल गांधी का खून खौल रहा हो।

– वीरेंद्र कपूर

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