सुप्रीम कोर्ट के फैसले से हताश अलगाववादी

सुप्रीम कोर्ट के फैसले से हताश अलगाववादी
Published on

बीते दिनों सुप्रीम कोर्ट द्वारा जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाली धारा 370 को समाप्त करने और राज्य का विभाजन किए जाने के फैसले को सही बताए जाने के बाद घाटी में सक्रिय भारत विरोधी ताकतों की बौखलाहट में इजाफा हुआ है। अदालत के आदेश पर केंद्र ने विधानसभा चुनाव करवाने की दिशा में भी कदम बढ़ा दिये हैं। संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान राज्य से जुड़े जम्मू और कश्मीर आरक्षण संशोधन विधेयक, 2023 और जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन संशोधन विधेयक, 2023 पारित हो गए हैं। सुप्रीम कोर्ट के आदेश, सरकार की तैयारियों और कार्रवाई से जम्मू-कश्मीर को अपनी बपौती समझने वाले चंद राजनीतिक परिवार और दल बहुत बेचैन हैं। अदालत के फैसले से उनकी बची कुची उम्मीदें भी दफन हो गई हैं।
5 अगस्त 2019 को धारा 370 हटाने के बाद जम्मू-कश्मीर की राजनीति पर कुंडली मारकर बैठे दल धमकियां देने पर उतर आये थे। गुस्से और बौखलाहट में उन्होंने क्या कुछ नहीं बोला लेकिन मोदी सरकार ने इस सारी स्थिति को बड़ी सूझबूझ से संभाला। मोदी सरकार के धारा 370 को हटाने के फैसले के खिलाफ सर्वाेच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया गया। सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिकाओं के निपटारे तक घाटी में कार्यरत पाकिस्तान समर्थक नेताओं और संगठनों की उम्मीदें जीवित थीं किंतु फैसला आने के बाद वे हताश हो उठे। जम्मू अंचल में विधानसभा सीटें बढ़ जाने से अलगाववादी काफी चिंतित हैं। राज्य की राजनीति में घाटी का जो दबदबा था वह खत्म तो मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद से ही होने लगा था। रही-सही कसर पूरी हो गई धारा 370 हटाए जाने के बाद बने हालातों से। अब सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद ये साफ हो गया है कि कोई ताकत दोबारा 370 लागू नहीं कर सकती।
बीते काफी समय से घाटी में पाकिस्तान प्रवर्तित आतंकवादी निर्दोष नागरिकों की बेरहमी से हत्या कर रहे हैं। पुलिस कर्मियों के साथ ही छुट्टी पर घर लौटे फौजी भी उनका निशाना बनते हैं। बीच-बीच में कुछ ऐसे लोग भी गोलियों के शिकार बने जिनका शासन या प्रशासन से कोई संबंध नहीं है। अनेक मर्तबा मस्जिदों पर भी वे धावा बोल चुके हैं। अदालत के फैसले के बाद अलगाववादियों में उपजी निराशा से घाटी में फौजी काफिले पर हमले जैसी घटनाएं देखने मिल रही हैं लेकिन मस्जिद में अजान दे रहे पूर्व पुलिस अधिकारी की हत्या निश्चित रूप से साबित करती है कि आतंकवादी बदहवासी पर उतर आए हैं।
सुरक्षाबलों की संयुक्त कार्रवाई के प्रभावी कार्यान्वयन के बाद आतंकवादी लगातार कमजोर बिंदुओं की तलाश कर रहे हैं। कभी लक्षित हत्याओं, घात लगाकर किए जा रहे हमलों तो कभी सेना पर सीधे अटैक के जरिए पीर पंजाल क्षेत्र को आतंक के केंद्र के रूप में फिर से सक्रिय करने की आतंकी मंशा दिखती है। सेना द्वारा किसी आतंकवादी को मारे जाने पर हल्ला मचाने वाले अब्दुल्ला और मुफ्ती ब्रांड नेताओं द्वारा न तो किसी शिक्षक की हत्या पर आंसू बहाए गए न ही वर्दीधारी पुलिस कर्मी अथवा फौजी जवान या अधिकारी की। गत दिवस बारामूला में की गई हत्या मस्जिद में की गई किंतु घाटी के नेताओं ने मुंह में दही जमा रखा है। इस सबसे लगता है कि ज्यों-ज्यों चुनाव की प्रक्रिया आगे बढ़ेगी त्यों-त्यों घाटी को अशांत करने वाली घटनाएं दोहराई जा सकती हैं।
धारा 370 हटाए जाने के बाद से जम्मू-कश्मीर की दशा और दिशा में ऐतिहासिक बदलाव देखने को मिल रहा है। पर्यटन उद्योग में जिस तरह का उछाल आया वह इस दावे को सही साबित करने के लिए पर्याप्त है कि घाटी में आतंकवादी ताकतें कमजोर हुई हैं। इसका कारण जनता का भी उनसे दूरी बनाना है। स्थानीय निवासियों को ये बात समझ में आने लगी है कि आतंकवाद के रहते उसके जीवन में शांति और समृद्धि नहीं आ सकती। आंकड़ों के आलोक में बात की जाए तो धारा 370 समाप्त होने से पहले जम्मू-कश्मीर की जीएसडीपी 1 लाख करोड़ रुपए थी, जो सिर्फ 5 साल में डबल होकर आज 2,27,927 करोड़ रुपए हो गई है। पहले 94 डिग्री कॉलेज थे, आज 147 हैं, आईआईटी, आईआईएम और 2 एम्स के वाला जम्मू और कश्मीर पहला राज्य बन चुका है। पिछले 70 सालों में सिर्फ 4 मेडिकल कॉलेज थे, अब 7 नए मेडिकल कॉलेज बनाए गए हैं। 15 नए नर्सिंग कॉलेज बनाए गए हैं, पहले मेडिकल सीटें 500 थीं अब धारा 370 समाप्त होने के बाद 800 और सीटें जोड़ी गई हैं। पीजी सीटें 367 थीं, मोदी सरकार ने 397 नई सीटें जोड़ने का काम किया है। मिड-डे मील लगभग 6 लाख लोगों को मिलता था, अब 9,13,000 लोगों को मिड-डे मील मिलता है।
प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना की औसत 158 किलोमीटर थी, अब 8,068 किलोमीटर प्रति साल हो गई है। प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत 70 सालों में 24,000 घर दिए गए थे, पिछले 5 सालों में मोदी सरकार ने 1,45,000 लोगों को घर दिए हैं। 70 सालों में 4 पीढ़ियों ने 7,82,000 लोगों तक पीने का पानी पहुंचाया, अब मोदी सरकार ने और 13 लाख परिवारों तक पीने का पानी पहुंचाया है। खेलों में जम्मू-कश्मीर के युवाओं की भागीदारी 2 लाख से बढ़कर 60 लाख तक पहुंची है। पेंशन के लाभार्थी 6 लाख से 10 लाख तक पहुंचे हैं।
इसमें कोई दो राय नहीं है कि ये सारा परिवर्तन धारा 370 हटने के बाद हुआ है। धारा 370 हटने के बाद कश्मीर में आतंकवाद घटा है जिसके कारण वहां अच्छा वातावरण बना है और इसी के कारण वहां इतना विकास हो सका है। घाटी के नेताओं को यह बात अखर रही है। दरअसल ये सब राज्य में पिछले चार वर्षों के दौरान बने शांतिपूर्ण वातावरण को खत्म कर एक बार फिर घाटी को हिंसा की आग में झोंकने का षड्यंत्र है। इसे अलगाववादी नेता और उनकी पार्टियां परदे के पीछे रहते हुए समर्थन और सहायता दे रही हैं। ये वही तबका है जिसने चेतावनी दी थी कि कश्मीर से धारा 370 हटाने के बाद वहां तिरंगा उठाने वाला कोई नहीं मिलेगा, घाटी में भारत विरोधी ताकतों की कमर टूटने लगी है। आम जनता विकास और बदलाव की दिशा में बढ़ चली है। उसे सरकारी योजनाओं का लाभ बिना भेदभाव के मिल रहा है। ऐसे में लोगों के बदलते नजरिए से परेशान अलगाववादी ताकतें डर का माहौल बनाने की कोशिशों में जुटी हैं।

– राजेश माहेश्वरी

Related Stories

No stories found.
logo
Punjab Kesari
www.punjabkesari.com