एमबीबीएस के मिशन एडमिशन पर दाग - Latest News In Hindi, Breaking News In Hindi, ताजा ख़बरें, Daily News In Hindi

एमबीबीएस के मिशन एडमिशन पर दाग

जबर्दस्त कंपीटीशन के चलते विभिन्न परीक्षाओं के लिए स्टूडेंट्स पर दबाव बढ़ता जा रहा है। अलग-अलग स्ट्रीम में एडमिशन के लिए छात्रों को अलग-अलग कंपीटीशन परीक्षाओं से गुजरना पड़ता है। एक अहम परीक्षा नीट अर्थात नेशनल एलि​जिबिलिटी एंट्रेंस टेस्ट यह परीक्षा एमबीबीएस में दाखिले के लिए जरूरी है। देश के मेडिकल कालेजों में दाखिले के लिए छात्र-छात्राओं के बीच जबर्दस्त मारामारी रहती है। सब जानते हैं कि सात सौ से ज्यादा मेडिकल कालेजों में लगभग एक लाख आठ हजार से ज्यादा सीटों के लिए जब नीट परीक्षा होती है तो परीक्षार्थियों की कोशिश होती है कि हमारे इतने अंक आ जायें कि हमें सरकारी मेडिकल कालेजों में एमबीबीएस में एडमिशन मिल जाये। इसे लेकर परीक्षा से पहले और इंटरव्यू होने तक न सिर्फ स्टूडेंट्स बल्कि पैरेंट्स भी दबाव में रहते हैं। दोनों पर दबाव इस चीज से जुड़ा है कि एमबीबीएस में एडमिशन मिलेगा या नहीं।

poster 1

कुल 55000 सीटें जो कि सरकारी मेडिकल कालेजों में हैं वहां फीस बहुत कम है। अगर दिल्ली के एम्स की बात करें तो वहां सिर्फ 125 सीटें हैं और अगर पूरे देश के एम्स की बात करें 2040 सीटें हैं। सरकारी कालेजों में सालाना फीस 8000 रुपये से लेकर 50000 रुपये है। अब मारामारी इसी चीज को लेकर रहती है कि कुल 720 में से हमारे ज्यादा से ज्यादा अंक आ जाएं ताकि हमारी रैंकिंग 10000 के आसपास रहे लेकिन अबकी बार नीट परीक्षा में जिन छात्र-छात्राओं के 720 में से 640 अंक भी आए उनकी रैंकिंग 40-40 हजार तक पहुंच गई सरकारी कालेज में इस रैंकिंग से दाखिला नहीं मिलता। अब बात करते हैं उन स्टूडेंट्स की जिन्होंने परीक्षा वाले दिन से ही यह कहकर विरोध किया कि यह परीक्षा रद्द कर दी जाये क्योंकि अलग-अलग सेंटरों (परीक्षा केंद्र) पर कुल 1563 परीक्षार्थियों को यह कहकर ग्रेस मार्क्स दे दिये कि परीक्षापत्र काफी देरी से पहुंचे थे। दरअसल यह एक षड्यंत्र एवं घोटाला था जिसके तहत 1563 छात्र-छात्राओं को चुनकर उन्हें अतिरिक्त अंक दिये। नतीजा क्या निकला? जिन छात्रों के 720 में से 640 अंक भी थे उन्हें अब 5 प्रतिशत अतिरिक्त अंक मिल गये अर्थात वह 670-680 पर पहुंच गये। यह असमानता और भेदभाव था। इसे लेकर काफी हंगामा चलता रहा। मैं खुद हैरान थी कि किसी सेंटर पर अगर परीक्षापत्र देरी से पहुंचते हैं और परीक्षा देरी से शुरू होती है तो वहां छात्र-छात्राओं को अतिरिक्त अंक देने के बजाये अगर परीक्षा की अवधि बढ़ा दी जाती तो ज्यादा अच्छा था। आखिरकार सुप्रीम कोर्ट तक मामला पहुंच चुका था। सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा कि ग्रेस मार्क्स का मतलब यह है कि नीट परीक्षा की पवित्रता पर ठेस पहुंची है। अब सरकार ने 1563 परीक्षार्थियों को अतिरिक्त अर्थात ग्रेस अंक का फैसला निरस्त कर दिया और आगे विकल्प ये रखा है कि अगर ग्रेस मार्क्स लेने वाले ये छात्र चाहें तो दोबारा 23 जून को परीक्षा दे सकते हैं और बाकी छात्र-छात्राओं की काउंसलिंग का काम जो कि एमबीबीएस दाखिले से जुड़ा है की प्रक्रिया रूकनी नहीं चाहिए।

आखिरकार इतनी मारामारी के पीछे सबसे बड़ी वजह सरकारी फीस को लेकर है। प्राइवेट कालेजों में फीस तीन लाख रुपये से लेकर पैंतीस लाख रुपये सालाना तक है। ज्यादा स्टूडेंट्स की कोशिश यही होती है कि अगर उनकी रैंकिंग अच्छी हो तो 55000 सीटें सरकारी कालेजों में जैसे दिल्ली समेत देश के एम्स, मौलाना आजाद मेडिकल कालेज, दिल्ली इंस्टीट्यूट आफ मेडिकल साइंस, बीएचयू, वर्धमान मेडिकल महावीर कालेज, सफदरजंग अस्पताल, कीमजॉर्ज मेडिकल कालेज लखनऊ इत्यादि में दाखिला ले सकते हैं जिसका मतलब है कि आपकी लगभग पचास हजार रुपये महीना फीस होगी। इनके अलावा प्राइवेट और डीम्ड काॅलेजों में भारीभरकम फीस जो पैंतीस-चालीस लाख रुपये सालाना तक है से बचने के लिए छात्र और पैरेंट्स मारामारी के लिए तैयार रहते हैं। इसके अलावा यूक्रेन और न्यूजीलैंड के साथ-साथ रूस के अलग-अलग प्रांतों में लगभग 40-50 लाख रुपये खर्च कर एमीबीएस का दाखिला मिलता है। कुल मिलाकर इस सारे विवरण को समझना भी अपने आप में एक स्टडी है और मेरा व्यक्तिगत तौर पर यह मानना है कि एनटीए यानि कि जो नेशनल टेस्टिंग एजेंसी है को नियमों के मामले में उदार होना होगा तथा विवादों से भी बचना होगा और वहीं सरकार को भी मेडिकल छात्र-छात्राओं के दाखिले के लिए कोई सरल नीति बनानी होगी या दूसरे शब्दों में यह कहें कि प्राइवेट मेडिकल काॅलेजों में फीसों पर कंट्रोल करना होगा तभी हम शिक्षा की इस मेडिकल सेवा से जुड़े मामले में विवादों से बच सकेंगे। इसके साथ ही भ्रष्टाचार के आरोप भी इस क्षेत्र में नहीं लगने चाहिए।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

fourteen + 16 =

पंजाब केसरी एक हिंदी भाषा का समाचार पत्र है जो भारत में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली के कई केंद्रों से प्रकाशित होता है।