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स्टार्टअप का है जमाना

नवप्रवर्तन पर आधारित किसी व्यवसाय का विचार आने से लेकर उसे वास्तविक रूप से स्थापित करने तक की सम्पूर्ण प्रक्रिया को स्टार्टअप कहा जाता है

नवप्रवर्तन पर आधारित किसी व्यवसाय का विचार आने से लेकर उसे वास्तविक रूप से स्थापित करने तक की सम्पूर्ण प्रक्रिया को स्टार्टअप कहा जाता है। स्टार्टअप कम्पनी का नवप्रवर्तन करते हुए लोगों की समस्याओं का समाधान करना होता है। कम्पनियों का उद्देश्य ही नए विचारों के साथ बाजार में आना होता है। एक यूनिक आइडिया का मतलब एक ऐसे आइडिया से नहीं है कि आप बाजार की स्थिति और प्रतिस्पर्धा के बारे में बिना अध्ययन किए कम्पनी की शुरूआत कर देते हैं। एक स्टार्टअप कम्पनी शुरू करने से पहले आप को पूरी योजना और इसकी क्षमता का आंकलन करना होता है। भारत में इन दिनों स्टार्टअप कम्पनियों की सफलता की कहानियां सामने आ रही हैं। कहते हैं जब एक रास्ता बंद होता है तो दूसरा अपने आप सामने आ जाता है। इसका मतलब जब आप हिम्मत नहीं हारते तो मुश्किल से मुश्किल परिस्थितियां भी आप को नहीं झुका सकतीं। यह पंक्तियां उन युवाओं, महिलाओं और अन्य प्रतिभा सम्पन्न लोगों पर स्टीक बैठती हैं जिन्होंने कोरोना काल में नौकरियां खोने के बाद भी हिम्मत नहीं हारी। कई कहानियां हमारे सामने हैं कि कुछ युवतियों ने ​िमलकर हस्तशिल्प के उत्पादों को लेकर हस्तशिल्प शुरू किया। किसी ने खानपान का ​बिजनेस शुरू किया वे आज लाखों रुपए कमा रही हैं।
ऐसी ही कहानी तीन दोस्तों की है जिन्होंने कोरोना काल में नौकरी खोने के बाद बीटेक चाय के नाम से स्टार्टअप शुरू ​िकया। आज उनके ब्रांड के फ्रैंचाइजी की ​िडमांड काफी बढ़ चुकी है और वह हर महीने डेढ़ लाख की कमाई कर रहे हैं। यह चाय का स्टाल तो केरल में है लेकिन यहां असम की चाय, पहाड़ों की बटर चाय से लेकर दा​िर्जलिंग की चाय और कश्मीरी कहवा सहित 100 तरह की चाय ​िमलती हैं। यद्यपि चाय का ​बिजनेस शुरू करने को लेकर युवाओं के मां-बाप खुश नहीं थे। वह यह स्वीकार करने को तैयार नहीं थे ​िक इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के बाद उनके बच्चे चाय बेचें लेकिन तीनों ने काफी ​िरसर्च कर यह प्लान तैयार कर​ लिया और अपनी बचत और छोटी रकम उधार लेकर स्टार्टअप शुरू किया।
लाॅकडाउन के दौरान कई लोगों ने ऐसे ही स्टार्टअप शुुरू किए और आज उनकी कमाई किसी कम्पनी के वेतन से भी ज्यादा है। भोपाल के 2 दोस्तों ने रैंट पर चीजें देने का स्टार्टअप शुरू किया और उन्होंने एक एप बनाया ​िजसकी मदद से आप कपड़ों से लेकर गाड़ी, घर, आफिस आदि रैंट पर ले सकते हैं। लोगों को इनका यह आइडिया बहुत पसंद आया। लाखों की नौकरी छोड़ कर भुवनेश्वर की अर्पिता साहू ने होम डेकोर का स्टार्टअप शुरू किया। कला की कमाई से उसका सफर इतना सफल रहा कि आज उसका सलाना टर्नओवर 50 लाख से भी ज्यादा है आैर उसने 20 से ज्यादा लोगों को रोजगार दिया हुआ है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी लगतार युवाओं को प्रेरित कर रहे हैं कि उन्हें रोजगार ढूंढने वाला नहीं बल्कि राेजगार देने वाला बनना चाहिए।
भारतीय स्टार्टअप तंत्र धीरे-धीरे परिपक्व हो रहा है जिससे अर्थव्यवस्था को भी काफी फायदा मिल रहा है। पिछले वर्ष की पहली ​ितमाही में आर्थिक मंदी के बावजूद भारतीय स्टार्टअप ने अर्थव्यवस्था को न​ सिर्फ सुदृढ़ बनाए रखा बल्कि सफलता के नए आयाम भी स्थापित कर दिए। 2021 में कोरोना की दूसरी लहर ने बड़ी तबाही मचाई थी जिससे आम जनजीवन काफी अस्त-व्यस्त रहा। महामारी के बीच भी भारतीय स्टार्टअप के लिए वर्ष के मध्य तक वै​श्विक निवेशकों की रुचि बढ़ने लगी जो साल भर चलती रही। बीते वर्ष में भारतीय स्टार्टअप में 42 अरब डालर से ज्यादा का निवेश हुआ जो वर्ष 2020 के कुल 11.5 अरब डालर के निवेश की तुलना में काफी ज्यादा है। 2250 से अधिक स्टार्टअप शुरू हुए जो एक वर्ष पहले के मुकाबले 600 से अधिक हैं। पिछला वर्ष स्टार्टअप यूनीकार्न का रहा। साल भर फिटैंक आैर ई-कामर्स क्षेत्र के यूनीकार्न बनने की होड़ लगी रही। साथ ही हैल्थकेयर, क्रिप्टो, सोशल कामर्स और प्रॉपटैक इत्यादि क्षेत्रों को देश का पहला स्टार्टअप यूनीकार्न भी मिला। स्टार्टअप यूनीकार्न ऐसी कम्पनियों को कहा जाता है जिनका बाजार मूल्यांकन एक अरब डालर से ज्यादा हो जाता है। 
हमारे देश की चार कम्पनियां एक अरब डालर से ज्यादा के क्लब में शामिल हो चुकी हैं। देश के स्टार्टअप हब की बात करें तो भारत की सिलीकॉन वैली बेंगलुरू शहर में सबसे ज्यादा 18 यूनीकार्न निकले। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र ​िदल्ली 14 यूनीकार्न के साथ दूसरे और भारत की वित्तीय राजधानी मुम्बई 8 यूनीकार्न के साथ तीसरे नम्बर पर रही। भारतीय स्टार्टअप क्षेत्र निवेशकों को अब ज्यादा आकर्षित करने लगा है। न तो देश में प्रतिभाओं की कमी है और न ही नए विचारों की। अधिकतर सफल स्टार्टअप के संस्थापकों के पास उनके कार्य क्षेत्र का अच्छा खासा अनुभव है। पिछले वर्ष हर तेरहवां यूनीकार्न भारतीय था। यानी 8 दिन पर हमारे देश में एक स्टार्टअप यूनीकार्न बना। 10 साल पहले एक अरब डालर का निवेश बहुत बड़ी बात होती थी जबकि आज के दौर में इतना ​िनवेश सामान्य हो चुका है। इस समय देश में सबसे बड़ी चुनौती बेरोजगारी की है। कोरोना की मार से प्रभावित अर्थव्यवस्था सम्भलने में अभी समय लगेगा। बेहतर यही होगा कि युवा नए विचारों के साथ आगे आएं। सरकार ​डिजिटल इंडिया की पहल स्टार्टअप शुुरू करने वालों को कम ब्याज पर ऋण और अभिनव सोच वालों को आगे आने के ​िलए प्रोत्साहित कर रही है लेकिन युवाओं को जागरूक करने का काम भी बहुत जरूरी है। नए वर्ष 2022 में 100 से ज्यादा स्टार्टअप यूनीकार्न बनने को और अग्रसर हैं। इससे नए उद्यम तो स्थापित होंगे ही साथ ही राेजगार के अवसर भी पैदा होंगे। इससे अर्थव्यवस्था और मजबूत होगी।
आदित्य नारायण चोपड़ा
Adityachopra@punjabkesari.com

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