पूर्व रूसी जासूस सर्गेई वी स्क्रिपल और उनकी बेटी यूलिया को ज़हर देने के मामले में ब्रिटेन और रूस में टकराव काफी बढ़ चुका है। ब्रिटेन ने इस मामले में रूस को जिम्मेदार ठहराते हुए उसके 23 राजनयिकों को देश से निष्कासित कर दिया था। अब जैसे को तैसा की रणनीति अपनाते हुए रूस ने भी ब्रिटेन के 23 राजनयिकों को निष्कासित कर दिया है। रूस के सेवानिवृत्त सैन्य खुफिया अधिकारी स्क्रिपल को ब्रिटेन के लिए जासूसी करने के आरोप में रूस ने 2006 में 13 वर्ष की सजा सुनाई थी।
हालांकि बाद में उन्हें माफी मिल गई थी और ब्रिटेन ने उन्हें नागरिकता दे दी थी। तब से ही वह ब्रिटेन में रह रहे थे। रूस ने अपने देश में ब्रिटिश काउंसिल को बंद करने का फैसला किया है और चेतावनी दी है कि वह आगे से कड़े फैसले ले सकता है। दरअसल टकराव का कारण है कि जिस रसायन से स्क्रिपल और उनकी बेटी की हत्या का प्रयास किया गया है वह रसायन रूस में बनता है।
ब्रिटेन ने इस हमले को देश की संप्रभुता पर हमला करार दिया और रूस से पूछा कि वह यह बताए कि सेल्सबरी तक यह रसायन कैसे पहुंचा? ब्रिटेन के विदेश मंत्रालय ने रूसी राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन पर आरोप लगाया था कि खुद पुतिन ने स्क्रिपल पर रसायन से हमला कराया। इस सीधे आरोप से पुतिन काफी गुस्से में थे। जासूसी के मामले में रूस की खुफिया एजैंसी केजीबी और फैडरल सिक्योरिटी सर्विस की गाथाएं और उसके काम करने के तरीके किसी भी हालीवुड थ्रिलर से कम नहीं। पुतिन सत्ता में आने से पहले एफएसएस के ही चीफ थे।
उनकी सरकार पर यह आरोप कोई नया नहीं है कि वह अपने विरोधियों को खत्म करती रही है। ब्रिटेन और कई यूरोपीय देशों का आरोप यह भी है कि पुतिन सरकार रूस छोड़ने वाले अपने पूर्व जासूसों या जिन पर डबल क्रास करने का शक होता है, उन्हें इसी तरह से मार डालती है। इससे पहले भी कई विरोधी जासूसों को अजीबो-गरीब जहर देकर हत्याएं की गई हैं।
‘बुल्गारिया’ विरोधी जासूस जियोग्री मर्कोव को 1978 में छाते की नोक पर ज़हर लगाकर मार डाला गया। किसी ने उनके पैर पर छाते की नोक से वार किया था। सोवियत यूनियन की खुफिया एजैंसी केजीबी के पूर्व एजैंट एलैग्जैंडर की मौत लंदन के मिलेनियम होटल में 2006 में हुई थी। एलैग्जैंडर ने रूस छोड़ दिया था और वे क्रेमलिन के कट्टर विरोधी थे। उन्हें भी पोलोनियम नाम का ज़हर दिया गया था। एक अन्य रूसी जासूस की हत्या भी जहरीले पेड़ के पत्ते को शूज में डालकर की गई थी।
यूक्रेन में विपक्ष के नेता रहे विक्टर यशचेनको (जो अब राष्ट्रपति हैं) को भी जासूसों ने ज़हर दिया था। फैडरल सिक्योरिटी सर्विस पर भी पुतिन विरोधियों की हत्या के आरोप लगे।स्क्रिपल और उनकी बेटी यूलिया को कथित नर्व एजैंट के हमले के मामले में लंदन और मास्को में तनातनी के बीच दक्षिण पश्चिम लंदन में रूसी व्यापारी निकोलाई ग्लूस्कोव की मौत की जांच भी हत्या की आशंका के साथ शुरू की गई है।
दूसरे विश्व युद्ध के बाद ब्रिटेन में किसी को ज़हर देकर मारने के प्रयास की यह पहली घटना है। रूस भले ही ब्रिटेन के आरोपों को खारिज कर रहा है और तमाम आरोपों को निराधार बता रहा है लेकिन परिस्थितियां उसकी ओर ही इशारा कर रही हैं। इस मामले में अमेरिका भी ब्रिटेन के साथ है। वैसे तो विश्व की शक्तियों में टकराव होता ही रहता है लेकिन जिस तरह से रासायनिक हथियारों का इस्तेमाल बढ़ रहा, दुनियाभर में परमाणु हथियारों की होड़ फिर से शुरू हो चुकी है, उससे दुनिया को खतरा भी तेजी से बढ़ रहा है। अमेरिका को आशंका है कि अगला रासायनिक हमला उस पर भी हो सकता है। अमेरिका और सोवियत संघ में शीत युद्ध को कौन भूल सकता है।
सोवियत संघ के खंडित होने के बाद ही विश्व एक ध्रुवीय हुआ और तब शीत युद्ध की समाप्ति हुई। अब रूस ने पुनः शक्ति अर्जित कर ली है और कई मुद्दों पर उसका अमेरिका से टकराव हो रहा है। पुतिन के नेतृत्व में केजीबी और एफएसएस की पुरानी ताकत बहाल हो रही है। रूस की सरकार को पुतिन, पावर आैर प्वॉइजन का घालमेल कहा जाता है। रूस खतरनाक हथियार बना रहा है।
अमेरिका और उत्तरी कोरिया के बीच जुबानी जंग जारी है। कुछ दिन पहले सऊदी अरब ने चेतावनी दी है कि अगर ईरान परमाणु बम बनाता है तो उनका देश भी बम बनाएगा। भारत का पाक और चीन से टकराव है। टकराव और वैश्विक शक्तियाें में शीतयुद्ध के बादल घिरने लगे हैं। इस स्थिति में विश्व कई गुटों में बंट जाता है और पता ही नहीं चलता कौन किसके साथ है आैर कौन किसके विरोध में है। भीतरघात करने वाले भी कम नहीं होते। विश्व की मौजूदा हालत भी कोई कम खतरनाक नहीं है।