हां जी मैं इन्हें इंसान तो कह ही नहीं सकती क्योंकिजानवर दरिन्दे हैं, जो 13 साल की मासूम बच्ची को भी नहीं छोड़ते। अब इसे उस 13 साल की बच्ची की बदकिस्मती कहिए या कानून व्यवस्था को दोष दीजिए लेकिन उसके साथ दरिंदगी के साथ रेप किया गया और फिर यह जानवर भाग निकला। पीरागढ़ी इलाके में पिछले बुधवार को हुई इस दिल को हिलाकर रख देने वाली घटना ने पूरे देश और दिल्ली को हिलाकर रख दिया। एक शातिर अपराधी पश्चिम विहार जैसे पोश इलाके के साथ स्थिति पीरागढ़ी में चोरी के इरादे से घुसता है और 13 साल की बच्ची को अकेला देखकर उसके साथ बलात्कार करता है। इसके बाद उस पर ताबड़तोड़ हमले करता है। अब इस बच्ची की हालत एम्स में बहुत गंभीर बनी हुई है। दो बार इस बच्ची की सर्जरी हो चुकी है। बच्ची आईसीयू में है। हे भगवान, हे राम, इस बच्ची को बचा लो, यह बात अलग है कि इस वारदात के बाद दिल्ली पुलिस ने 48 घंटे बाद आरोपी को पकड़ लिया। जिसका बैकग्राउंड क्रिमिनल है।
अब इस घटना को एक तरफ रख दीजिए और 2012 की 16 दिसंबर की उस काली रात को मेडिकल छात्रा निर्भया से हुए उस रेप को याद कर लीजिए। उसके अपराधियों को फांसी देने में आठ साल लग गए। केजरीवाल सरकार या केंद्र सरकार हो, हर कोई चिंतित है। पुलिस ने गुनहगार को पकड़ लिया है। हो सकता है, अब केस चलने के बाद उसे भी निर्भया के बलात्कारियों की तरह फांसी की सजा सुना दी जाए लेकिन बात इंसाफ देने की नहीं है बल्कि अहम सवाल दिल्ली की बच्चियों या अन्य स्कूली स्टूडेंटस या कॉलेज छात्राओं, अन्य कामकाजी महिलाओं के यौन शोषण की घटनाओं का है। ये सब सुरक्षित क्यों नहीं हैं। महिला सुरक्षा कब सुनिश्चित की जाएगी? यहां इस बच्ची के केस में उसके माता-पिता की गरीबी और लाचारी की दर्द भरी कथा है। मां-बाप और बड़ी बहन सब फैक्ट्री में काम करने चले जाते हैं और इसका फायदा उठाकर बच्ची को घर में अकेला पाकर उसके साथ रेप और प्राइवेट पार्ट पर कैंची से हमला किया गया। हे भगवान, ऐसे राक्षस आज के कंप्यूटर युग में हैं। ऐसी हालत को देखकर कई बार ऐसा लगता है कि कई खाड़ी देशों में किसी महिला की इज्जत से खिलवाड़ करने वालों को जब सार्वजनिक तौर पर पत्थरों से मार दिया जाता है तो यह सही लगता है। हम इस पाषाण युगीन न्यायिक प्रथा का समर्थन तो नहीं करते लेकिन गुनहगार को तुरंत सजा की सिफारिश जरूर करते हैं। इसके साथ ही यह केस निर्भया की तर्ज पर फास्ट ट्रैक कोर्ट में चलाया जाए, साथ ही अपील यह भी है कि फैसला आते ही इसे तुरंत क्रियान्वित कर दिया जाना चाहिए, क्योंकि देरी से मिला न्याय किस काम का? सारा सोशल मीडिया इस रेप की घटना को लेकर बेचैन है। हालांकि मुख्यमंत्री केजरीवाल साहब ने पीडि़ता के परिजनों से मिलकर शोक व्यक्त किया है और उन्होंने परिवार को 10 लाख की आर्थिक मदद का ऐलान भी किया है।
मेरा फिर भी मानना है कि अपनी सुरक्षा समाज में हर व्यक्ति का, हर परिवार का सामाजिक ही नहीं कानूनी अधिकार भी है। महिलाओं को कई आरएसएस संगठनों की ओर से शस्त्र महिला ट्रेनिंग का समर्थन मैं करती हूं। लेकिन यह भी एक कड़वा सच है कि छेड़छाड़ की घटना पर पुलिस को लंबी-चौड़ी कागजी कार्यवाही से बचते हुए शिकायत करने वाले के साथ खड़ा होना चाहिए। लोगों का दिल जीतना है तो पुलिस को उनके साथ अपनेपन का व्यवहार करना चाहिए। पुलिस आपकी दोस्त है, यह कागजों में लिख देना ही काफी नहीं है। हमारी केन्द्र सरकार से मार्मिक अपील है कि रेप जैसी अन्य घटनाओं जैसे केसों में तुरंत एक्शन वाली व्यवस्था होनी चाहिए। हैदराबाद में महिला डाक्टर से रेप करने वाले दरिंदों का अगर एनकाउंटर कर दिया जाता है तो लोगों का पुलिस पर विश्वास बढ़ता है और पुलिस कर्मचारियों पर फूलों की बरसात होती है। बिकरू कांड में 8 पुलिस कर्मचारियों के हत्यारे विकास दुबे का भी एनकाउंटर हुआ तो इन पुलिस वालों का लोगों ने स्वागत किया था। तारीख पर तारीख, तारीख पर तारीख वाली व्यवस्था नहीं, ताबड़तोड़ इंसाफ वाली व्यवस्था की आज देश और दिल्ली को सबसे ज्यादा जरूरत है। महिला सुरक्षा पर करोड़ों का बजट एलोकेशन ठोस व्यवस्था नहीं है। घर, बाजार और दफ्तर में महिलाओं की सुरक्षा का फर्ज किसका है? देश की अलग-अलग अदालतों में बलात्कार और यौन अपराध के 30 लाख से ज्यादा केस पेंडिंग हैं, इन पर न्याय कब होगा? गुनहगार में कानून और पुलिस का खौफ स्थापित हो जाए और कालोनियों में लोग एक-दूसरे से जुड़कर, मिलकर रहें। महिलाएं दुर्गा और भवानी बनकर रहना सीख लें और इधर देश गुनहगार को तुरंत सजा सुनिश्चित कर दे, हमें ऐसी व्यवस्था की जरूरत है। हे राम, हे कृष्ण आपने धरती पर नारी अस्मिता की खातिर मानवता का कल्याण किया है। अब इस धरती पर दरिन्दों को सजा दो, यह एक प्रार्थना है, पर लोकतंत्र में सजा का प्रावधान है, जिसे लागू किया जाए। और ऐसे बहुत से जानवर जो महिलाओं और लड़कियों का शोषण अलग-अलग तरीके से करते हैं, चाहे वो रेप हो या उसे किसी तरह से दबाने की कोशिश हो, ऐसे जानवरों को सजा मिलनी चाहिए, इनका इलाज होना चाहिए।