कोरोना काल में हर व्यक्ति के सिर पर अनिश्चितता की तलवार लटक रही है। पिछले चार माह में देश में 15 करोड़ लोग बेरोजगार हुए हैं। ये 15 करोड़ बेरोजगार वे हैं जो फार्मल सैक्टर में थे। वे मजदूर, कारीगर जो पैदल चल कर अपने गांव घर पहुंचे थे वे किसी गिनती में नहीं। भारतीय युवाओं का यह कमाल है कि वे दुनिया भर के कोने-कोने में अपने हुनर का रोजगार ढूंढ लेते हैं लेकिन हर देश में कोरोना ने आदमी तो खाये ही, रोजगार भी खा लिया। इसकी चोट भारतीय प्रवासी कामगारों पर पड़ रही है। कुवैत जैसा छोटा देश भी 8 लाख भारतीय प्रवासी कामगारों की छुट्टी करने का प्रस्ताव लागू करने की तैयारी में है। अमेरिका ने भी अपने वीजा नियमों काे सख्त बनाया हुआ है।
बाजार रोजगार देता है। बाजार तो खुल चुके हैं लेकिन ग्राहक नहीं हैं। शापिंग माॅल में सन्नाटा छाया हुआ है। ढाबों से लेकर फाइव स्टार होटल और रेस्टोरेंटों का भी यही हाल है। पर्यटन स्थलों और पहाड़ों पर भी भुखमरी फैल रही है। गर्मियों के दिनों में पहाड़ों पर पर्यटकों की भीड़ होती थी लेकिन लॉकडाउन के चलते होटल बंद, टैक्सी गायब, लोग बेरोजगार होकर घूम रहे हैं। सब्जी, दाल, चावल, आटा जैसे आवश्यक सामान के अलावा कुछ बिक ही नहीं रहा है। भारत का सबसे बड़ा व्यवसाय दुकानदारी ही है। जब दुकानदारी ही चौपट हो जाए तो रोजगार कहां से आए? कोरोना के शैडो इफैक्ट सामने आ रहे हैं। लोग आत्महत्याएं कर रहे हैं। असम, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, झारखंड के कुछ इलाकों के लोग, जिन्हें दो वक्त का भोजन भी उपलब्ध नहीं होता, अपनी बच्चियों को मानव तस्करों के हाथों बेचने को मजबूर हैं। असम के कोकराझार में एक प्रवासी मजदूर परिवार पालने के लिए अपनी नवजात बच्ची का सौदा करते पकड़ा गया। लाखों लोग इस उम्मीद से गांवों को लौट गए थे कि वहां पहुंच कर कम से कम अपने लोगों के बीच तो रहेंगे, वहां भी भूखे मरने की नौबत आ चुकी है। महाराष्ट्र, बिहार, तमिलनाडु, आंध्र, कर्नाटक और पूर्वोत्तर राज्यों में कोरोना वायरस के काबू में आने के कोई संकेत नहीं मिल रहे। अब सवाल यह है कि रोजगार के खोये अवसर कैसे प्राप्त किए जाएं।
दिल्ली में कोरोना समतल होने के संकेत मिलते ही दिल्ली की आप सरकार ने रेहड़ी-पटरी वालों को काम करने की अनुमति दे दी है। मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने रोजगार बाजार नाम से पोर्टल भी लांच किया है। इस पोर्टल पर बेरोजगार हुए लोग अपने लायक काम ढूंढ सकते हैं। बेरोजगारी को दूर करने के लिए राज्य सरकारों को हर सम्भव छोटे आैर बड़े कदम तुरन्त उठाने होंगे।
हाल ही में प्रकाशित विभिन्न राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय रिपोर्टों में यह बात सामने आई है कि चुनौतियों के बीच की दुनिया के दूसरे देशों के मुकाबले भारत की अर्थव्यवस्था पटरी पर जल्द आएगी। देश में रोजगार अवसरों की सम्भावनाएं पैदा करने के लिए देश में ईज आफ डूइंग बिजनेस की रणनीति पर चलकर उद्योग कारोबार में रोजगार के अवसर बढ़ाए जाने चाहिएं। सूक्ष्म, लघु, मध्यम उद्योग की मुश्किलों को दूर करके रोजगार के मौके वापस लाए जा सकते हैं। श्रम आधारित विनिर्माण क्षेत्र में रोजगार बढ़ाए जाएं, सरकारी नौकरियों में रिक्त पद भरे जाने चाहिएं। उद्योग-कारोबार सैक्टर को कम ब्याज दर पर ऋण एवं वित्तीय सुविधा तथा जीएसटी में रियायत मिलनी चाहिए।
एक रिपोर्ट के मुताबिक देश के चार महानगरों दिल्ली, मुम्बई, चेन्नई और कोलकाता को छोड़ कर मैट्रो के रूप में उभरते शहरों बेंगलुरु, हैदराबाद, पुणे, अहमदाबाद, चंडीगढ़, कोच्चि, कोयम्बटूर आदि में हैल्थकेयर इंडस्ट्री, फार्मा सैक्टर, ई-कामर्स, एफएमसीजी और रिटेल कम्युनिकेशन, कृषि, एग्रोकेमिकल्स, आटोमोबाइल और उससे जुड़ी सेवाएं, रिएल एस्टेट और ऊर्जा क्षेत्र में रोजगार के मौके बढ़ेंगे। स्थिति यह है कि देशभर में एमएसएमई की इकाइयां वित्त की परेशानी के कारण बंद पड़ी हैं। अधिकांश बैंक ऋण डूबने की आशंका के मद्देनजर ऋण देने को उत्साह नहीं दिखा रहे। केन्द्रीय रिजर्व बैंक ने ग्राहकों को मोनोटोरियम का लाभ 31 अगस्त तक बढ़ा दिया था। इसके जरिये ग्राहकों को ईएमआई भुगतान टालने की छूट दी है। कई बैंकों ने रिजर्व बैंक से अपील की है कि इस अवधि को अब और न बढ़ाया जाए अन्यथा बहुत नुक्सान होगा।
1970 के दशक में भीषण अकाल के समय जब महाराष्ट्र की अधिकांश ग्रामीण आबादी गरीबी की स्थिति में पहुंच गई थी, उस समय महाराष्ट्र में ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना गरीबी दूर करने में काफी सहायक सिद्ध हुई थी। मनरेगा अब भी काफी मददगार सिद्ध हो रही है। ऐसे में केन्द्र और राज्य सरकारों द्वारा बुनियादी ढांचे से सम्बन्धित विभिन्न परियोजनाओं को प्राथमिकता से शुरू करना होगा। कई राज्यों में रोजगार योजनाएं शुरू की गई हैं।
सरकार ने विगत 14 मार्च को संसद में बताया था कि रेलवे, रक्षा, डाक सहित अन्य सरकारी विभागों में 4.76 लाख भर्तियां की जानी हैं। इनमें से यूपीएससी और रेलवे भर्ती बोर्ड के जरिये 1.34 लाख और रक्षा विभाग में 3.4 लाख खाली पदों काे भरा जाना है। नई युवा पीढ़ी को रोजगार देने के लिए केन्द्र को तत्परता के साथ नियुक्तियां करनी चाहिएं। केन्द्र और राज्य सरकारों को मैन्यूफैक्चरिंग के साथ-साथ सेवा क्षेत्र पर भी ध्यान देना होगा। बेरोजगारी दूर करने की चुनौती का सामना केन्द्र और राज्य सरकारों को तालमेल बनाकर करना होगा। सारा काम तीव्र गति से करना होगा। अगर हम सब हाथ पर हाथ रखकर बैठे रहे तो बहुत नुक्सान हो सकता है।