सोने की चमक कभी फीकी नहीं होती। जी हां, यह बात कही सोनीपत ब्रांच की शाखा अध्यक्ष कुसुम जैन जी ने जो मानव मिलन की राष्ट्रीय अध्यक्ष भी हैं।
सोनीपत ब्रांच उन्होंने हमारे दोनों के गुरुदेव मुनि भद्र मुनि जी के आशीर्वाद से खोली थी जो बहुत ही फल-फूल रही है। उनके आशीर्वाद से 2 ब्रांच खुली थीं, एक हैदराबाद ब्रांच जो शायद इस समय सबसे पहले नम्बर में हर कार्यक्रम में स्थान प्राप्त कर रही है। दूसरी ब्रांच सोनीपत की जिसके लिए कुसुम जी को बहुत मेहनत करनी पड़ रही है क्योंकि पहले सोनीपत में लोगों को लगता था कि इसका क्या फायदा। यह मैं समय के अनुभव से समझ सकती हूं कि जो आपको जीवन में फ्री और घर बैठकर मिल जाए उसकी वैल्यू पहले नहीं पड़ती, पर समय पर पड़ती है।
पहले कुसुम जी को काफी मुश्किलें पेश आईं लेकिन वह बहुत ही अच्छे स्वभाव की मिलनसार हैं और हमेशा कुछ नया करके दिखाना चाहती हैं जिससे वह इस कठिन कार्य को करने में सफल रहीं। क्लब की सदस्यता नि:शुल्क है और कंसैप्ट बिल्कुल नया था तो अक्सर लोग उनसे पूछते थे कि इसका क्या फायदा होगा।
जब उन्होंने एक दिन यह बात मेरे से शेयर की तो मैंने उन्हें कहा, आप घबराएं नहीं, समय आने पर सबको मालूम पड़ जाएगा क्योंकि अक्सर लोग सोचते हैं कि बुढ़ापे का मतलब या तो वृद्ध आश्रम है या कोई न कोई मदद हो परन्तु हमने वरिष्ठ नागरिक केसरी क्लब की स्थापना उन लोगों के लिए की थी जो भरपूर परिवार में रहकर भी इस उम्र में अकेलापन महसूस करते हैं या जिनके बच्चे विदेशों में या दूसरे शहरों में बसे हैं या जिनकी बेटियां ही हैं और ब्याह कर चली गई हैं या वो सर्विस मैन जो रिटायर होने के बाद डिप्रेशन में चले जाते हैं। हम जानते हैं कि कुर्सी को सलाम होता है। जैसे कुर्सी गई सबसे पहले घर वालों की नजर बदल जाती है। फिर समाज की रिश्तेदारों की।
यह क्लब उनके लिए भी है जिनका इस उम्र में साथी चला जाता है और वह भी अकेलेपन और डिप्रेशन का शिकार हो जाते हैं और साथ ही हमने अपने जरूरतमंद सदस्यों को हर महीने की 6 तारीख को आर्थिक सहायता और जरूरत का सामान भी देना शुरू किया और एडोप्सन भी शुरू कर दी। जैसे हम सभी जानते हैं कि शरीर के अलग-अलग अंगों के लिए विभिन्न डाक्टर होते हैं वैसे ही अलग-अलग तरह के बुजुर्गों के लिए भी अलग-अलग तरह के प्रकल्प होने चाहिए। जिनका कोई नहीं उनके लिए वृद्ध आश्रम होने चाहिए, परन्तु उसे सरकार चलाए, सारी सुविधाएं होनी चाहिए, परन्तु अपने घरों में बुजुर्ग रह सकें इसकी भरपूर कोशिश होनी चाहिए। एक तो बच्चे उनका मान-सम्मान करें, दूसरा वो इस समय अकेलेपन और डिप्रेशन के शिकार न हो सकें। यह दोनों काम वरिष्ठ नागरिक क्लब कर रहा है। इसीलिए अब 6 साल बाद सोनीपत ब्रांच को भी इसका फायदा समझ आने लग गया है।
मैं कुसुम जी की मेहनत-लगन को साधुवाद देती हूं। विशेषकर उनकी ब्रांच के सदस्यों ने लॉकडाउन के दौरान आयोजित ऑनलाइन प्रतियोगिता में बहुत से ईनाम जीते और अब रविवार को अपनी ब्रांच के प्रोग्राम में हिस्सा लिया। अब उन्हें समझ लग रही है कि इस समय सारी दुनिया के लोग विशेषकर बुजुर्ग जब डिप्रेशन और अकेलेपन का शिकार हो रहे हैं तो हमारे वरिष्ठ नागरिक केसरी क्लब के सदस्य कैसे नए उत्साह और ताजगी से इस समय को एंज्वॉय कर रहे हैं और हीरो-हिरोइन की तरह प्रोग्राम करके लोगों का मार्गदर्शन भी कर रहे हैं।
उनके परिवार के सदस्य भी उनका महत्व समझ रहे हैं। जब 72 वर्षीय रुकमणि गोस्वामी ने डांस करके भगवान को पुकारा-दाता और दे और दे, तुसीं दई जांदे हां असीं लई जांदे हां यानी वो खुशी से नाच कर प्रभु को खुश करके मांग रही हैं और मि. गोस्वामी जी भी बड़ी शान से सबको बता रहे हैं कि अपनी प्रतिभा से सबको सूर्य की तरह चमक कर दिखा देंगे और उषा भंडारी जी कहती हैं तीन पहर तो बीत गए बस एक पहर बाकी है।
गीता कौशिक तो चार-चार प्रोग्राम देकर भी नहीं थक रहीं, जगदीश चन्द्र बत्रा जी सबको बता रहे हैं कि हमें अपनी गलतियां हमेशा देखनी चाहिए। शकुन्तला कुमार जी ने तो कमाल ही कर दिया। मेरे हाथों में नौ-नौ चूडिय़ां हैं, गाने पर जिस तरह उन्होंने डांस किया मुझे बहुत खुशी हुई। उनकी खुशी देखते बन रही थी। उनकी जवानी की हसरत पूरी हो रही थी।
डा. घनश्याम शर्मा जी ने सिंगल प्वाइंट ट्रीटमेंट द्वारा स्वास्थ्य को ठीक करने के नुस्खे बताए। कुल मिलाकर यह ऐसा मंच है जो सबको अपनी प्रतिभा दिखाने का मौका देता है। कुसुम जी की बात को सार्थक करता हैर्। ंजिस तरह सोना अपनी चमक नहीं खोता वैसे ओल्ड इज गोल्ड यानी पुराने लोग भी अपनी प्रतिभा नहीं खोते, चमक नहीं खोते। वह जैसे-जैसे बड़े होते जा रहें हैं अनुभवी हो रहे हैं। वह लोगों से खुशियां बांटते हैं मार्गदर्शन करते हैं यानी ओल्ड इज गोल्ड।
हमारा क्लब इस समय भी सबको प्रेरणा दे रहा है। स्टे होम, स्टे सेफ।