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महासागर में महाजाम

स्वेज नहर में पिछले पांच दिन से फंसे मालवाहक जहाज के नहीं निकलने से दुनिया के कारोबार पर गम्भीर असर पड़ रहा है। यह मालवाहक चीन से नीदरलैंड जा रहा था। मालवाहक जहाज एवर गिवेन को निकालने में कई दिन लग सकते हैं।

स्वेज नहर में पिछले पांच दिन से फंसे मालवाहक जहाज के नहीं निकलने से दुनिया के कारोबार पर गम्भीर असर पड़ रहा है। यह मालवाहक चीन से नीदरलैंड जा रहा था। मालवाहक जहाज एवर गिवेन को निकालने में कई दिन लग सकते हैं। 400 मीटर लम्बे और 59 मीटर चौड़े या फुटबाल के चार मैदान जितने बड़े इस जहाज को खींचने के लिए आठ नावों के अलावा रेत की खुदाई करने वाली मशीनें भी काम में जुटी हुई हैं। यह जहाज तेज हवा के चलते नियंत्रण खोने से रेत में फंस गया। इस कारण वहां से गुजर रहे कई जहाजों का रास्ता रुक गया। स्वेज नहर में फंसने वाला ये सबसे बड़ा जहाज है। अगर जहाज को वहां से नहीं निकाला गया तो पहले जहाज पर लदे सामान को निकालना पड़ेगा। इससे पहले 2017 में भी एक जापानी जहाज ने स्वेज नहर का रास्ता रोक दिया था लेकिन मिस्र ने इसे निकालने के लिए कई जहाज तैनात कर कुछ ही घंटों में उसे हटा दिया गया था। महासागर में महाजाम की स्थिति पैदा हो गई है। हालांकि इस तरह की घटनाएं दुर्लभ हैं लेकिन इनका वैश्विक व्यापार पर बड़ा असर होता है। 
दरअसल स्वेज जल मार्ग भूमध्य सागर को लाल सागर से जोड़ता है, जो एशिया और यूरोप के बीच सबसे छोटा समुद्री लिंक है। यह नहर स्वेज इस्थमस (जल डमरुमध्य) को पार करती है। लगभग 193 किलोमीटर लम्बी इस नहर में प्राकृतिक झीलें भी शामिल हैं। दुनिया के कुल व्यापार का 12 फीसदी स्वेज नहर मार्ग से होता है, इसलिए इसे विश्व व्यापार की रीढ़ माना जाता है। स्वेज नहर में आवाजाही ठप्प होने से विश्व व्यापार बुरी तरह से प्रभावित हो चुका है। 40 से अधिक मालवाहक जहाज और लगभग तीन दर्जन टैंकर नहर पार करने के इंतजार में हैं। पशुधन और पानी के टैंकर ले जाने वाले 8 अन्य जहाज भी फंसे हुए हैं। इस नहर से हर वर्ष 120 करोड़ टन माल की ढुलाई होती है। इस नहर से रोजाना 9.5 अरब डालर मूल्य के मालवाहक जहाज गुजरते हैं। सभी देश स्वेज नहर के महत्व को समझते हैं क्योंकि यही नहर दुनिया में माल सप्लाई के लिए काफी जरूरी है। नहर बंद होने से मालवाहक जहाज आैर तेल टैंकर यूरोप में भोजन, तेल और अन्य उत्पाद नहीं पहुंचा पा रहे हैं। इसके चलते यूरोप से भी कोई माल नहीं भेजा जा रहा। पैट्रोिलयम आैर तरल प्राकृतिक गैस की ढुुलाई भी इसी नहर के जरिये की जाती है। मध्यपूर्व से तेल उत्पादों को यूरोप तक लाया जाता है। कच्चे तेल की आपूर्ति ठप्प होने से तेल के दाम 5 फीसदी महंगे हो चुके हैं। अगर कुछ दिन और जहाज फंसा रहता है तो हालात खराब हो जाएंगे। जब भी माल की सप्लाई ठप्प होती है या कम होती है तो बाजार में दाम बढ़ जाते हैं, यह बाजार का जाना-माना व्यवहार है। यदि फंसा हुआ जहाज निकल भी जाता है तो सभी जहाज यूरोपीय बंदरगाहों पर एक साथ पहुंचेंगे तो बंदरगाहों पर दबाव बढ़ जाएगा। बंदरगाहों पर दबाव बढ़ने से हर उत्पाद की सप्लाई प्रभावित होगी और दुनिया भर में उनकी कीमतें बढ़ जाएंगी।
कोरोना की महामारी के चलते दुनिया की अर्थव्यवस्था में उथल-पुथल मची हुई है। बड़े से लेकर छोटे देश भी प्रभावित हैं। इससे दुनिया भर में बेरोजगारी बढ़ी है, ऐसी स्थिति में स्वेज नहर की घटना ने वैश्विक स्तर पर चिंता पैदा कर दी है। सम्भावना यही बन रही है कि तेल के लिए खरीददारों को अन्य स्रोतों से नकदी में खरीदना पड़ सकता है। यद्यपि स्वेज नहर के पुराने चैनल को खोला गया है लेकिन इससे ज्यादा समय लगेगा और लागत भी बढ़ जाएगी। महंगाई यदि बढ़ जाए तो उसका असर काफी लम्बे समय तक रहेगा। नहर के कुछ हिस्सों को 2015 में चौड़ा किया गया था फिर भी इसमें आवाजाही करना आसान नहीं है।
अब सवाल यह है कि जब स्वेज नहर वैश्विक ऊर्जा सुरक्षा और हर तरह की माल की आपूर्ति के लिए जरूरी है तो फिर यह भी देखना होगा कि उसमें कितनी क्षमता के मालवाहक जहाज आसानी से आवाजाही कर सकते हैं। दरअसल चीन जैसे देश अपने व्यापार का अंधाधुंध विस्तार करने की ताक में जहाजों को लाद तो देते हैं लेकिन यह नहीं सोचते कि किसी भी हादसे से परिस्थितियां क्या हो सकती हैं। नए आधुनिक बड़े जहाजों के संकरे मार्ग से गुजरने में हादसों की आशंका बनी रहती है। स्वेज नहर का इतिहास बहुत ​पुराना है। इस पर नियंत्रण के लिए मिस्र पर हमले भी हुए। अब यह मिस्र के नियंत्रण में है। इसी नहर के मार्ग से फारस की खाड़ी के देशों से खनिज तेल, भारत तथा अन्य एशियाई देशों से अभ्रक, लौह अयस्क, चाय, कहवा, जूट, रबड़, कपास, ऊन, मसाले, चमड़ा, सांगवान की लकड़ी, वस्त्र आदि पश्चिमी यूरोपीय देशों तथा उत्तरी अमेरिका को भेजी जाती है। इन देशों से रासायनिक पदार्थ, इस्पात, मशीनें, वाहन, औषधियां, वैज्ञानिक उपकरण भारत आते हैं, इसलिए स्वेज नहर में हादसों से सबक लिया जाना चाहिए।
आदित्य नारायण चोपड़ा
Adityachopra@punjabkesari.com

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