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द कश्मीर फाइल्स : कड़वी सच्चाई

सच्चाई हमेशा कड़वी होती है और सच बोलने वाला या सच्चाई सामने लाने वालों को हमेशा आलोचना, बुराई सहनी पड़ती है। यह तो मैंने अपने व्यक्तिगत अनुभव से जाना है।

सच्चाई हमेशा कड़वी होती है और सच बोलने वाला या सच्चाई  सामने लाने वालों को हमेशा आलोचना, बुराई सहनी पड़ती है। यह तो मैंने अपने व्यक्तिगत अनुभव से जाना है। दादा ससुर और पिता ससुर ने देश की एकता और अखंडता के लिए अपनी कलम चलाई और शहीद हो गए। यहां तक की उनका अनुसरण करते हुए मेरे पति अश्विनी कुमार (मिन्ना जी) ने सच्चाई की कलम सम्भाली और तहे दिल से निर्भीक, निष्पक्ष प​त्रकारिता की जिससे उनके ऊपर हमले भी हुए, जान भी खतरे में रही। घर में कैद भी रहे, आदित्य को थर्ड तक स्कूल नहीं भेजा परन्तु उन्होंने कभी परवाह नहीं की। सरकार की तरफ से उन्हें जेड प्लस सुरक्षा और लोदी इस्टेट में कोठी भी दी जो 12 साल बाद उनकी निर्भीक पत्रकारिता के कारण कांग्रेस ने उनसे वापस ले ली और उनको कलम से समझौता करने को कहा गया परन्तु उन्होंने कलम की सच्चाई से समझौता नहीं किया। कोठी और सिक्योरिटी दोनों छोड़ी। यही नहीं अखबार को आर्थिक नुक्सान भी बहुत उठाने पड़े। जैसे उनके दादा जी, पिता जी ने जब कश्मीर के बारे में लिखा तो हमारी अखबार जम्मू-कश्मीर में बैन कर दी गई। इमरजैंसी में बिजली काट दी। इसी तरह अश्विनी जी की सच्चाई लिखने पर हरियाणा में चौटाला सरकार ने सभी सरकारी विज्ञापन बंद कर ​दिए, बहुत ही नुक्सान हुआ परन्तु उनकी कलम कभी झुकी नहीं, रुकी नहीं।
अश्विनी जी के दो सपने थे 370 को हटाना और राम मंदिर बनना, जो उन्हें एक ही व्यक्ति द्वारा पूरे होते नजर आ रहे थे, हमारे प्रधानमंत्री मोदी जी। कभी-कभी उनकी कलम उनकी आलोचना में भी चलती थी परन्तु मोदी जी ने उनकी निर्भीक पत्रकारिता, सच्चाई काे समझा और अश्विनी जी ने मोदी जी काे, यहां तक की वह निष्पक्ष पत्रकार होते हुए उनकी सभी पार्टियों और नेताओं से दोस्ती थी। प्रियंका गांधी हमारी पड़ोसन थी जिसके साथ हमारा बहुत प्यार रहा और है। चाहे हमारे राजनीतिक विचार भिन्न थे। अश्विनी जी आरएसएस विचारधारा के थे। सब होते हुए वह मोदी जी के भक्त हो गए और उन्होंने उनके नेतृत्व में हरियाणा में लोकसभा चुनाव लड़ा, भारी जीत हासिल की और हरियाणा में पंजाबियों को पहल दिलाते हुए मनोहर लाल खट्टर जी का साथ दिया। भले कभी-कभी उनके बारे में भी लिख देते थे, क्योंकि वास्तव में वह एक पत्रकार थे परन्तु सभी पार्टियों  के नेता उनकी सच्चाई को सलाम करते थे। चाहे लालू यादव, शरद यादव, शरद पवार, मुलायम सिंह, गुलाम नबी आजाद, चौटाला, गहलोत, हुड्डा, शिवराज चौहान, अहमद पटेल, सोनिया गांधी, मायावती कइयों के नाम लेना भूल रही हूं। उन्होंने 370 और राम मंदिर पर बहुत सीरिज चलाई। जिस दिन 370 और राम मंदिर का बनना तय हुआ उस दिन  इतने खुश थे,  उन्होंने कहा कि किरण देखना यह सपना मोदी जी जैसा पीएम ही कर सकता है, जो निडर हैं, जिसको कोई लालच नहीं, जो देश के लिए जीता है, जो जमीन से जुड़ा है, जो देश की सच्चाई, भूगोल, जोग्राफी, राजनीति और सामाजिक व्यवस्था समझता है और अनुभवी है,  जो भारत की मिट्टी में अनुभव करके बड़ा हुआ है।
जब मैंने अपने सारे परिवार के साथ द कश्मीर फाइल्स देखी तो सच्चाई देखकर आंसू आ गए, क्योंकि यह ​फिल्म मेरे दिल के बहुत करीब है क्योंकि मैं भी पंडित परिवार यानी ब्राह्मण परिवार से हूं और सभी लोग मेरे पिता जी को भी पंडित जी कहते थे, जिन्होंने बंटवारे के बाद निलोखेड़ी (हरियाणा) में पाकिस्तान से आए लोगों को स्थापित किया था। इस फिल्म को निर्देशक विवेक अग्निहोत्री और इस फिल्म के सभी किरदारों ने बड़ी ईमानदारी से निभाया है। स्पेशली अनुपम खैर जी और मिथुन चक्रवर्ती ने सच में पूूछो तो इस फिल्म को देखकर दिल दहल गया। विशेषकर मेरे बच्चे जब इस फिल्म को देख रहे थे तो उनके मन में देशभक्ति बहुत उमड़ रही थी। वह मोदी जी के फैन तो थे ही और हो गए और उनके मुंह से निकला 370 हटाना बहुत जरूरी था। कश्मीरी पंडितों पर हुए क्रूर अत्याचारों को देखना मानवता और न्याय व्यवस्था को घुटने टेकते देखना दिल चीर कर रख देता है। फिल्म की सारी टीम ने एक सफल प्रयास किया है और वह बधाई के पात्र हैं। चाहे कुछ खामियां भी हैं। इतना सब कुछ सच दिखाया। वहां सिखों, पंजाबियों पर भी अत्याचार हुए वो नहीं दिखाया। साथ ही कुछ स्थानीय लोग अच्छे भी थे, ​जिन्होंने पंडितों को बचाने या सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने में मदद की, क्योंकि   हिन्दोस्तानी मुस्लिम जो देशभक्त हैं, वो सही हैं। जैसे पंजाब में अच्छे लोग थे तो दुबारा पंजाब वैसा ही हो गया जैसे पहले था बिना भेदभाव के। वैसे कश्मीर में भी हैं जो लोग अमन चैन से जीना चाहते हैं, देशभक्त हैं परन्तु उनका पाकिस्तानी आतंकवादियों के सामने बस नहीं चलता, वो चुप रहते हैं। 
मुझे फिर अश्विनी जी की लिखी सीरिज याद आती है कि क्या इस देश में हिन्दू होना गुनाह है। सच है कि हिन्दू देश में ज्यादा हैं परन्तु हम सब अल्पसंख्यक की ओर ज्यादा ध्यान रखते हुए हिन्दुओं को अनदेखा करते हैं परन्तु मोदी जी के आने के बाद 370 हटाने के बाद, राम मंदिर बनने के बाद यह विचारधारा बदल रही है। हम सब गर्व महसूस करते हैं और अल्पसंख्यक लोग भी सुरक्षित हैं, चाहे मुस्लिम, सिख, ईसाई सभी मोदी जी के राज में सुरक्षित हैं और हिन्दुओं को गर्व से जीने की सार्थकता प्रदान हो रही है। मोदी जी के राज में लोकतंत्र भी जिंदा है। पंजाब में आप पार्टी का आना इस बात का प्रमाण है। बंगाल में हारना और यूपी और अन्य राज्यों में जीतना लोकतंत्र का प्रमाण है। योगी जी और अश्विनी जी की भी बड़ी दोस्ती थी। वो लोकसभा में इकट्ठे थे और उनके विचार बहुत मिलते थे। दोनों बहुत पढ़े-लिखे हैं।
सो कुल मिलाकर द कश्मीर फाइल्स जैसी फिल्में बननी चाहिए। लोगों के सामने सच्चाई आनी चाहिए। एक मिनट आंख बंद कर अपने आपको उनकी जगह रख कर देखें जिनको एक ही​ दिन में अपने बसे बसाये घर को, जमीन-जायदाद को दो कपड़ों में छोड़ कर निकलना पड़ा। इस फिल्म को देखकर लगता है हिन्दोस्तान में रहकर कितना अन्याय हुआ। इनको पूरा हक है कि वापिस इनको अपने घर मिलें और वहां स्थापित होंे। यह ​फिल्म टैक्स ​फ्री होनी चाहिए। सब जगह दिखाई जानी चाहिए इसे कोई अन्यथा न लें। मुझे पूरी उम्मीद है देशभक्त यानी हिन्दोस्तानी मुस्लिम भी इस सच्चाई को स्वीकार करते हुए कश्मीरी पंडितों को पुनः स्थापित करने में मदद करेंगे। क्योंकि सारे देश में मुस्लिम हैं। अगर वो सुर​िक्षत हैं तो हिन्दू भी सुरक्षित होने चाहिए। मेरा मानना है कि खून हिन्दू का हो या मुसलमान का, उसे किसी भी सूरत में बहने से रोकना सरकार और प्रशासन की जिम्मेदारी है। जितने मैं मुस्लिम को जानती हूं वो सभी देशभक्त हैं, हिन्दोस्तानी हैं और खुश हैं कि कश्मीर अमन चैन की तरफ बढ़ रहा है। इस फिल्म को देखने के बाद हर सच्चा इंसान यही कहेगा किसी की बहन-बेटी, बच्चों पर अत्याचार न हो, कोई बेघर न हो। चाहे वो किसी भी जाति या धर्म के हों। सो यह फिल्म हर जाति को, धर्म की सीख देती है।
 ‘‘सारे जहां से अच्छा हिन्दोस्तां हमारा…
हम बुलबुले हैं इसके यह गुलिस्तां हमारा,
मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना,
​हिन्दी हैं हम, वतन है हिन्दोस्तां हमारा।’’

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