''राम आएंगे तो अंगना सजाऊंगी, दीप जलाकर दिवाली मैं मनाऊंगी, मेरी झोपड़ी के भाग आज जाग जाएंगे, राम आएंगे।'' यह भजन बहुत सुना परन्तु आज हर एक देशवासी विशेषकर अयोध्यावासी तो इस पर बहुत ही विश्वास कर रहे हैं। अयोध्या जिसका नाम फैजाबाद था। अब राम जन्मस्थली यानी अयोध्या है, जिसके वाकई ही भाग खुल गए हैं। एक ऐसा शहर जो बिल्कुल भी विकसित नहीं था, अब इस शहर में विकास ही विकास है। अयोध्या धाम रेलवे स्टेशन बन गया है और एयरपोर्ट जिसका नाम महर्षि वाल्मीकि रखा गया है। वाह! क्या बात है भगवान राम की जन्मस्थली और महर्षि वाल्मीकि की रचना यह एक सुन्दर संयोग जो अयोध्या में अब दिखाई दे रहा है।
अयोध्या में कई होटल खुल रहे हैं, धर्मशालाएं बन रही हैं। टूरिजम को आने वाले समय में बहुत बढ़ौतरी मिलेगी। यहां के लोगों को रोजगार मिल रहे हैं। आज बहुत से गायक राम पर नए भजन गा रहे हैं। आमजन की भावनाएं, श्रद्धा बढ़ रही है। हर भारतीय इस समय राममय हो रहा है। सारा देश राममय हो रहा है। यही नहीं विदेशों में बसे भारतीय चाहे अमेरिका, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, लंदन, जर्मनी कहीं भी हैं, वह भी राम धुन में मगन हैं। 22 तारीख को सारे भारत देश का नजारा देखने वाला होगा। इस शुभ दिन को भव्य दीपावली के रूप में मनाया और याद रखा जाएगा। हर घर, हर मंदिर दीपों से सजेगा।
सबसे अधिक खुशी वाल्मीकि समाज को हो रही है, क्योंकि एयरपोर्ट का नाम महर्षि वाल्मीकि पर रखा गया है। वाल्मीकि समाज से जाे भी संगठन जुड़े हैं बहुत खुश हैं। यह समाज सेवा और संस्कृति में हमेशा आगे रहा। कश्मीर से कन्याकुमारी तक इस समाज ने जमीन पर रहते हुए सदा मर्यादा पुरुषोत्तम और महर्षि वाल्मीकि जी के प्रति आदर भाव रखते हुए उन्हें अपना पूज्य मानकर नई पीढ़ीयों को भी यही संस्कार दिए। लालकिला मैदान में पिछले दिनों जब वाल्मीकि जन्मोत्सव कमेटी दिल्ली ने वाल्मीकि जयंती पर समारोह आयोजित किया था तो मैं इस समाज की सेवा में सक्रियता को देखकर इन्कार नहीं कर पाई। महर्षि वाल्मीकि समाज हमेशा शोषित और कमजोर वर्ग के साथ खड़ा रहा। समाज को पता होना चाहिए कि महर्षि वाल्मीकि ने सीताजी को अपनी बेटी के तौर पर अपने आश्रम में रखा जहां लव-कुश का जन्म हुआ। आज भी अगर वाल्मीकि समाज कमजोर वर्ग की कन्याओं को शिक्षित करने, स्वरोजगार प्रदान करके आगे बढ़ रहा है तो मैं हमेशा इस समाज की मांग बुलंद करती हूं। इसी कड़ी में इन्होंने मुझे धन्यवाद ज्ञापन प्रदान किया था। यह समाज मंदिर निर्माण से लेकर अयोध्या में महर्षि वाल्मीकि के नाम पर एयरपोर्ट बनने के लिए अब प्रधानमंत्री मोदी का भी अभिनंदन करना चाहता है तो इसका स्वागत किया जाना चाहिए। मैं स्पष्ट रूप से प्रधानमंत्री मोदी की इस अपील का भी स्वागत करना चाहूंगी जिसमें उन्होंने देशवासियों से यह कहा है कि 22 जनवरी का रामलला प्राण प्रतिष्ठा समारोह यद्यपि संक्षिप्त रहेगा इसलिए सभी देशवासी इस दिन भीड़भाड़ से बचने के लिए अयोध्या जाने से बचें और अपने घर पर श्रीराम ज्योति जलाकर दिवाली मनाएं। यह एक आदर्श अपील है जो श्रीराम की ही देन है। आओ हम उनकी अपील का स्वागत करें। अयोध्या अब तीव्रतम विकास से जुड़ने जा रही है। हर तरफ खुशहाली है ठीक ऐसे जैसे राम राज्य में हुआ करता था। कुछ कारणों से राजनीति भी आड़े आई लेकिन अब मुस्लिम समाज पीएम मोदी को श्रीराम मंदिर निर्माण के लिए बधाईयां दे रहा है, फूल बरसा रहा है, यह श्रीराम की कृपा नहीं तो और क्या है। इस कड़ी में महर्षि वाल्मीकि के नाम पर एयरपोर्ट बनना सचमुच हर्ष का विषय है। आइए हम सब मिलकर श्रीराम की उस मर्यादा को निभाएं जिसके सूत्रधार भगवान वाल्मीकि रहे हैं और वाल्मीकि समाज इसे आगे बढ़ा रहा है।
रामायण हमारे जीवन का एक वह मार्ग दर्शन है जो कदम-कदम पर हमें संवारता है। अतीत के गौरव को याद कराता है। हमारे वर्तमान को सुरक्षित रखता है और हमारे भविष्य काे यही रामायण कदम-कदम पर मार्गदर्शन करती है और हम उज्जवल भविष्य की उम्मीद कर सकते हैं। रामायण के एक-एक दोहे, चौपाई या किसी भी कथा-उपकथा तथा अन्य प्रसंग को हम संस्कार कह सकते हैं। यही संस्कार हमारे जीवन में बहुत जरूरी हैं जिन्हें हम आदर्श कहते हैं। अपनी आदर्श संस्कृति से ही भारत दुनिया में एक अलग पहचान रखता है।
वाकई आज सभी के भाग खुल गए हैं। नववर्ष 2024 हमारे सबके लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है क्योंकि इस वर्ष करोड़ों हिन्दुओं का सपना साकार हो रहा है। हम सौभाग्यशाली हैं जिन्हें अपने जीवन में अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि पर बने भव्य मंदिर में रामलला के दर्शन होंगे। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 22 जनवरी को रामलला की प्रतिमा के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में भाग लेंगे। जैसा कि उन्होंने आह्वान किया है कि 22 जनवरी को घर-घर में दीपावली होनी चाहिए। मैं आप सभी को भव्य राम मंदिर निर्माण की बधाई देती हूं। साथ ही यह भी आग्रह करना चाहती हूं, 22 जनवरी को घर में दीये जलाएं और श्रीराम की उपासना कर देश की प्रगति की कामना करें। जो अयोध्या जाना चाहे वो 23 फरवरी के बाद ही प्रोग्राम बनाएं।
''गली-गली में ऐलान होना चाहिए
हर घर, हर मंदिर में राम होना चाहिए
इतना तो गुणगान होना चाहिए
मिलें किसी से तो जय श्रीराम होना चाहिए।''