मुझे फरीदाबाद में वरिष्ठ नागरिक केसरी क्लब में आयोजित आजादी पर्व कार्यक्रम में शामिल होने का अवसर मिला। फरीदाबाद की शाखा का पौधा वहां के मशहूर हरमन प्यारे उद्योगपति डी. के. कथूरिया जी और उनके प्यारे दोस्त रिटायर्ड कर्नल जटवाणी जी ने मिलकर 2009 में लगाया था, जिसकी ओपनिंग आशा हुड्डा जी ने की थी। वह पौधा अब वट वृक्ष बन चुका है। जिस प्यार, मेहनत, लगन और तन-मन-धन से इन्होंने इसे सींचा वो लाजवाब है और सबको इनसे प्रेरणा लेनी चाहिए। सबसे बड़ी बात यह है कि इन्होंने अपने हाथों से आने वाली पीढ़ी मनोहर पुन्यानी जी और महेन्द्र खुराना को अपने हाथों से सौंपा दिया और खुद मार्गदर्शक बनकर उनका मार्गदर्शन कर रहे हैं। क्योंकि वे यह सोचते हैं कि हम उम्र के 80 वर्ष के पड़ाव पर पहुंच गए हैं। अब हम उतने एक्टिव नहीं हैं परन्तु यह तो अभी भी दोनों बड़े अनुशासित और एक्टिव हैं। दोनों छड़ी लेकर बड़े स्मार्ट तैयार होकर आए थे और दोनों ने आजादी के जोश के गानों पर खूब जमकर जोश से डांस किया। इनका जोश देखते बन रहा था। मेरे सामने सारा नजारा घूम रहा था कि कैसे इन्होंने शुरू किया, कैसे काम करते थे, कैसे हर फंक्शन एक्टिविटी में अपनी पत्नियों के साथ हिस्सा लेते थे। अब दोनों की पत्नियां नहीं रहीं परन्तु क्लब को अभी भी दिल से खुशियां देते और लेते हैं। अभी उनमें हिम्मत है और जोश में कमी नहीं है।
इस बार प्रोग्राम को देखना और भी जरूरी और चैलेंजिंग था कि नए हैड कैसे सम्भाल रहे हैं। वहां जाकर समझ लगी कि कथूरिया जी और जटवाणी जी की राइट च्वाइस थी क्योंकि जिस जोश और मेहनत से दोनों ने सम्भाला कमाल था। दोनों पहले दिन से जुड़े हुए हैं परन्तु इस बार तो जिम्मेदारी थी, जिनका साथ पूरी तरह से कैंथ जी दे रहे थे।
महेन्द्र खुराना पहले दिन से सभी बुजुर्गों की सेवा कर रहे हैं और पुन्यानी जी कि परफोर्म मेरा नाम जोकर मशहूर था परन्तु इस बार तो उन्होंने नए देशभक्ति के गाने और एक्टिंग से सबको हिला दिया। सभी में देशभक्ति का जोश भर दिया। मुझे क्या जो भी वहां मौजूद थे सबको लगा ब्रांच बड़े सुरक्षित हाथों में आ गई है। दोनों की सेवा, जोश और मेहनत का कोई मुकाबला नहीं।
वहां उपस्थित एक-एक व्यक्ति उस जोश में शामिल था। सभी देशभक्ति के जोश में झूम उठे कि मैं भी न रह सकी। एक बात वहां जाकर ऐसे लगी कि जैसे अपने घर आ गए हैं। जो लोगों ने प्यार, सम्मान दिया उसका कोई मुकाबला नहीं। सभी लोग दिल से खुश थे। दिल से प्यार, सम्मान दे रहे थे। दिल से खुशियां मना रहे थे। फरीदाबाद की आन-बान-शान जिसके बिना फरीदाबाद का कोई भी फंक्शन अधूरा है, कालड़ा जी, जिनकी आवाज में वो जादू है कि हर व्यक्ति के पांव थिरकने शुरू हो जाते हैं, वो भी पहले दिन से ब्रांच से जुड़कर अपनी सेवा देते हैं। एक बार तो उन्होंने दिल्ली के फंक्शन में सबको हिला दिया था। वाह! क्या बात है। कालड़ा जी, फरीदाबाद की महिलाओं का तो जवाब ही नहीं। लग ही नहीं रही थीं कि वह वरिष्ठ हैं। मुझे तो ऐसे लग रहा था कि वहां सब
जवान थे। यह सब कथूरिया जी और जटवाणी जी का कमाल है जिन्होंने सबको एक धागे में बांध रखा है। अब वही जिम्मेदारी मनोहर पुन्यानी जी और महेन्द्र खुराना जी की है। मुझे पूरा विश्वास है जो अपनी मेहनत और लगन से इसे और भी आगे बढ़ाएंगे। जल्दी ही हम फरीदाबाद में एक बड़ा उत्साहवर्धक फंक्शन करेंगे। पर यही कहूंगी फरीदाबाद के लोगों में जो प्यार, अपनापन है उसका कोई मुकाबला नहीं।
वहीं इस मौके पर सदस्य रमेश आहूजा, रवीन्द्र गुड्डी, सुभाष रावल, रवीन्द्र पाल कौर, बलदेव सिंह नारंग, एस. आर केंथ, प्रीति गांधी, रमेश आहूजा, बसंत आहूजा, सुधीर बंसल व अन्य सदस्य मौजूद रहे। सभी ने एक-दूसरे को स्वतंत्रता दिवस की बधाई दी।