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बच तो गए ट्रंप लेकिन…

यद्यपि अमेरिकी इतिहास की अब तक की सबसे दुखद घटना अमेरिकी संसद कैपिटोल हिल पर हमले के मामले में पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप महाभियोग की कार्रवाई से बच निकले हैं लेकिन ट्रंप का कार्यकाल अमेरिका के इतिहास में इसलिए भी याद रखा जाएगा कि

यद्यपि अमेरिकी इतिहास की अब तक की सबसे दुखद घटना अमेरिकी संसद कैपिटोल हिल पर हमले के मामले में पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप महाभियोग की कार्रवाई से बच निकले हैं लेकिन ट्रंप का कार्यकाल अमेरिका के इतिहास में इसलिए भी याद रखा जाएगा कि वे ऐेसे पहले राष्ट्रपति थे जिन्हें चार वर्ष के कार्यकाल में दो बार महाभियोग का सामना करना पड़ा। उन्हें इस बात के ​लिए भी याद रखा जाएगा कि उन्होंने अपने समर्थकों काे हिंसा के लिए उकसाया, जिसमें 5 लोगों की मौत हो गई और बड़ी संख्या में लोग घायल हुए थे। यह अलग बात है कि महाभियोग के लिए सीनेट में जरूरी दो-तिहाई बहुमत का आंकड़ा पूरा नहीं हो पाया और ट्रंप बरी हो गए। कैपिटोल हिल की घटना से रिपब्लिकन पार्टी भी सकते में आ गई थी। उनकी अपनी ही पार्टी के 7 सदस्यों ने भी ट्रंप के खिलाफ महाभियोग चलाने का समर्थन किया था। अमेरिका का प्रजातंत्र काफी मजबूत है। वहां पूर्व राष्ट्रपति की हैसियत एक आम नागरिक जैसी होती है, इसलिए उन्हें कोई विशेष कानून संरक्षण प्राप्त नहीं होता। अमेरिका के इतिहास में भी ऐसा पहली बार हो रहा है कि कैपिटोल हिल पर हमले की जांच एक स्वतंत्र आयोग करेगा। अमेरिकी प्रतिनिधि सभा की अध्यक्ष नैन्सी पैलोसी ने कहा है कि यह आयोग 9/11हमले की तर्ज पर जांच करेगा। इससे जुड़े तथ्यों को जुटाने के साथ ही इसके पीछे की वजहों का पता लगाएगा। ट्रंप के बरी होने के बावजूद दोनों पार्टियों से घटना की जांच के लिए स्वतंत्र आयोग के गठन की मांग बढ़ती जा रही थी। स्वतंत्र आयोग के गठन से साफ है कि डोनाल्ड ट्रंप की मुश्किलें कम नहीं होने वाली। ट्रंप भले ही अतिउत्साह में कह रहे हों कि अमेरिका को महान बनाने का ऐतिहासिक और देशभक्ति अभियान अब शुरू हुआ है, भविष्य के संकेत देता है लेकिन इस बात के संकेत मिल चुके हैं कि पूर्व राष्ट्रपति को जवाबदेह ठहराने के लिए लोग अदालतों में मामले दायर कर सकते हैं। दंगों के शिकार लोग अदालत जाने की तैयारी कर रहे हैं। स्वतंत्र जांच आयोग गठित होने से ट्रंप के राजनीतिक भविष्य पर ग्रहण लग सकता है। भले ही ट्रंप 2024 में फिर से अमेरिका का नेतृत्व करने का दावा कर रहे हैं, यह उन्हें भी पता है कि जांच आयोग द्वारा उन्हें जवाबदेह ठहराए जाने से उनके सपनों पर पानी फिर सकता है। मुकदमें होने की स्थिति में केवल वह यह कह सकते हैं कि उन्होंने जो किया वह राष्ट्रपति का कर्त्तव्य निभाते हुए किया था  लेकिन कानून के जानकारों की राय काफी अलग है। उचित आपराधिक जांच में समय लगता है। अब तक कैपिटोल हिल्स पर हमले में 200 से अधिक लोग गिरफ्तार किए जा चुके हैं और पुलिस को सैकड़ों लोगों की तलाश है। इनमें से कई लोग गवाह हो सकते हैं क्योंकि उन्होंने स्वीकार किया है कि ट्रंप ने उन्हें हमला करने को कहा था। सबसे महत्वपूर्ण बात तो यह है कि जब हिंसा हो रही थी तब ट्रंप क्या कर रहे थे। महाभियोग में इसका कोई जवाब नहीं मिला लेकिन संघीय जांचकर्ताओं के पास आपराधिक जांच में ग्रैंड ज्यूरी के जरिये सम्मन करके सबूत हासिल करने के लिए अधिक शक्तियां हैं। महाभियोग के दौरान अभियोजन पक्ष में जो नए वीडियो पेश किए गए, उसमें ट्रंप के समर्थक ‘अमेरिका को फिर से महान’ बनाने वाली टोपी और ट्रंप के समर्थन वाले झंडों के साथ कैपिटोल हिल में तोड़फोड़ करते दिखाई पड़े। ये तस्वीरें हमेशा के लिए ट्रंप की छवि के साथ जुड़ चुकी हैं, अब जब कभी भी वो किसी तरह का राजनीतिक नेतृत्व करेंगे तो हिंसा की यादें ताजा होंगी। भले ही रिपब्लिकन पार्टी के भीतर उनकी स्थिति मजबूत हो लेकिन मतदाताओं के जेहन में यह तस्वीरें अमिट रहेंगी। जिन रिपब्लिकन सांसदों ने ट्रंप के खिलाफ स्टैंड लिया है, उन्हें भी आगामी चुनावों में रिपब्लिकन समर्थक मतदाताओं की नाराजगी झेलनी पड़ सकती है। बहुत कुछ इस बात पर निर्भर करेगा कि ट्रंप आगे क्या करते हैं। क्या वे दोबारा राजनीति में सक्रिय होते हैं या फिर खुद को प्राइवेट क्लब की जिंदगी में ले जाते हैं। 
आम अमेरिकी के दिमाग में यह सवाल जरूर कौंध रहा है कि सत्ता की खातिर कोई राष्ट्रपति इस हद तक कैसे पहुंच सकता है। ऐसा किसी ने सोचा भी नहीं था। जो कुछ ट्रंप ने किया वह अक्षम्य अपराध है। राष्ट्रपति जो बाइडेन ने ट्रंप के खिलाफ महाभियोग की प्रक्रिया से दूरी बनाए रखी है। पूरी सुनवाई के दौरान वे कोरोना वायरस से जुड़े कार्यक्रमों में व्यस्त रहे। उनके सामने कोरोना महामारी, अर्थव्यवस्था संबंधित चुनौतियां मुंह बाए खड़ी हैं। देश में अश्वेतों के विरुद्ध घृणा फैला रही ताकतों पर अंकुश लगाना भी बड़ी चुनौती है। उनकी प्राथमिकता घरेलू और​विदेश नीति के मोर्चे पर सफल होना है न ​कि ट्रंप जैसे सनकी व्यक्ति से उलझना। अगर बाइडेन सफल हो जाते हैं तो ​ट्रंप का भविष्य काफी धूमिल हो जाएगा।

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