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फिर पुरानी कहानी याद आई…

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पिछले दिनों हमारे देश के एक बहुत ही लाेकप्रिय युवा केन्द्रीय मंत्री, ओलंपिक की शूटिंग स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीतकर देश का नाम रौशन करने वाले मेजर राज्यवर्धन सिंह राठौर, जो कि अब सूचना एवं प्रसारण मंत्री हैं, ने कुछ दिन पहले ‘जो फिट है वो हिट है’ कैम्पेन का सूत्रपात किया। देश में खिलाड़ियों के सबसे बड़े प्रेरणास्रोत टीम इंडिया के कप्तान विराट कोहली ने भी अपनी फिटनेस को लेकर एक फोटो फेसबुक पर डालकर और ट्वीट कर पीएम मोदी को चैलेंज किया। पीएम ने भी उनकी भावना का सम्मान करते हुए इसे स्वीकार करते हुए एक फोटो ट्वीट किया। इसके बाद तो पूछो मत, पूरे देश के काफी मंत्रियों के अलावा नामी-गिरामी हस्तियों ने भी अपनी फिटनेस को लेकर शारीरिक व्यायाम करते हुए अपनी तस्वीरें फेसबुक आैर सोशल साइट्स पर शेयर करनी शुरू कर दीं। देशवासियों को हैल्दी और फिट रहने के लिए शुरू किए गए इस अभियान के लिए राठौर जी को बहुत बधाई। सचमुच ऐसे लग रहा था जैसे मोदी जी ने 21 जून को योगा क्रांति ला दी है और अमेरिका जैसे देश में दर्जनों बार राष्ट्रपति वाशिंगटन से लेकर पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा तक अपने नागरिकों को फिट रखने के लिए रन फॉर योर कंट्री आयोजित कर चुके हैं वैसे ही यह एक नई पहल है।

राज्यवर्धन राठौर के इस अभियान से ऐसे लग रहा है जैसे कोई क्रांति आ गई हो। सच में मेरा दिल कर रहा था कि अश्विनी जी भी अपनी फोटो ट्वीट करें क्योंकि वो भी योगा में माहिर हैं परन्तु उन्होंने मेरी इच्छा हंस कर टाल दी आैर उन्होंने कहा जो मैं इतनी गर्मी में गांवों के दौरे कर रहा हूं वही मेरी फिटनेस है। मुझे मेरे बुजुर्गों आैर जानने वालों के फोन आए कि आप भी अपनी एक्सरसाइज करते की फोटो फेसबुक में डालो। एक्सरसाइज मुझसे कोसों दूर है परन्तु अपने बुजुर्गों की बात को रखते हुए और सभी की पुशअप करते फोटो देखकर जोश जागा और मैंने भी ट्राई करने की कोशिश की परन्तु गिरी और इधर-उधर देखा कि किसी ने देखा तो नहीं। फिर मैं हंसी आैर सोच में पड़ गई… किरण यह क्या है…? फिर सोच, अगर रोल मॉडल बनना है तो करना पड़ेगा। मैं तो अपने समय में जिम्नास्ट रही हूं आैर अगर युवा आगे होकर कर रहे हैं आैर मैं तो बुजुर्गों को यही कहती हूं कि तुम किसी से कम नहीं।

सच अगर देश के युवा नेता चाहें वो राज्यवर्धन हों, विराट कोहली हों, ज्योतिरादित्य सिंधिया, सचिन पायलट, मनोज तिवारी, प्रवेश वर्मा, अखिलेश यादव, दिग्विजय चौटाला, दुष्यंत चौटाला, अनुराग ठाकुर हों, समाज की दिशा आैर दशा बदल सकते हैं। वैसे भी यह दुनिया चलना चाहती है, कोई चलाने वाला चाहिए, फॉलो करना चाहती है कोई कराने वाला चाहिए। देशभक्ति में डूबना चाहती है, डुबोने वाला चाहिए। एक समझदार व्यक्ति वही है जो सारे देश को, फिर दुनिया को अपने अच्छे कामों आैर उनके सामने एक रोल मॉडल बनकर सबको पीछे लगा ले, जैसे मोदी जी ने सारे देश में लहर जगा दी है मोदी मोदी। अगर ऐसे युवा जिनकी देश में छवि अच्छी है, जो रोल मॉडल हैं वो आगे बढ़कर कुछ भी करवा सकते हैं। जितना मैं राज्यवर्धन राठौर और उनकी सुन्दर संस्कारी पत्नी को जानती हूं वो एक रोल मॉडल कपल भी हैं क्योंकि अक्सर मैंने देखा है कि गद्दी मिलते ही लोगों के रवैये और व्यवहार में बदलाव आ जाता है। गद्दी का नशा हो जाता है परन्तु यह कपल ऐसा जो जहां मिलता है झुककर संस्कारी तरीके से पूरा सम्मान देता है। काफी प्रोग्रामों में हम लोग इकट्ठे होते हैं चाहे राज्यवर्धन हों, मनोज तिवारी, प्रवेश वर्मा या उभरते युवा मोर्चा के नेता राजीव बब्बर, सौरभ नैय्यर, शिवम छावड़ा, मदन रोखड़, मनजीत, प्रवीन बंसल, नकुल भारद्वाज, डा. मनोज, डा. रेणु कौर जैसे बहुत से युवा हैं जिनके नाम लिखते-लिखते जगह भी कम पड़ जाए।

छोटे होते सभी ने एक कहानी पढ़ी होगी, फिर वही कहानी याद आ गई जो बड़ी फनी है। उस समय तो हम उसे मजाक वाली कहानी समझते थे परन्तु अब समझ आया कि इसका अर्थ है अपनी सूझबूझ से आप कुछ भी कर सकते हाे। कहानी इस प्रकार है कि एक व्यापारी जो टोपियां बेचता था। एक बार उसकी एक पेड़ के नीचे आंख लग गई। जब आंख खुली तो उसकी सारी टोपियां पेड़ पर बन्दर पहनकर बैठे हुए थे। उसको समझ नहीं आ रही थी कि क्या करे। फिर उसने महसूस ​किया कि उसने भी टोपी पहनी हुई है इसलिए उसे देखकर सबने टोपियां पहन लीं। क्योंकि हमारी इवाल्यूशन थ्योरी में बन्दर आैर मनुष्य एक समान हैं तो उस समझदार व्यापारी ने अपनी टोपी उतारकर नीचे फैंक दी तो सभी बंदरों ने भी अपनी-अपनी टोपियां नीचे फैंक दीं तो उस व्यापारी ने सारी टोपियां इकट्ठी कर लीं। इससे यह पाठ मिलता है अगर आप सूझबूझ से काम लो तो आप मनुुष्य को तो क्या जानवरों को भी पीछे लगा सकते हाे।

वाकई ही जब हर तरफ से युवा, खिलाड़ी, नेता, महिलाएं, पुरुष, बुजुर्ग आैर मेरी जैसी महिलाएं जो एक्सरसाइज से दूर हैं, सब फॉलो करना शुरू करें और बन्द कमरे में यह ट्राई करें कि वो भी यह फिटनेस टैस्ट कर सकती हैं कि नहीं तो समझ लो उस सूझबूझ वाले युवा नेता में जान है और आने वाले समय का भविष्य हो सकता है आैर मेरा अनुभव यह भी कहता है जो लोगों द्वारा चुनकर आते हैं तो वह लोगों की नब्ज जानते हैं कि लोग क्या चाहते हैं। उनके लिए उन्हें क्या करना चाहिए क्योंकि उन्हें दोबारा लोगों के बीच जाना होता है। सो वाकई ही ‘जो फिट है वो हिट है।’ कहने वाले ने कहा है कि हैल्थ इज वैल्थ अर्थात अगर शरीर अच्छा है तो यही सबसे बड़ी पूंजी है। ऐसे में अगर कोई व्यक्ति आपको हर रोज हैल्थ इज वैल्थ कहकर समझाने लग जाए तो कोई भी नहीं समझता और कम लोग ही इसका पालन करते लेकिन अगर देश का कोई मंत्री, अभिनेता, खिलाड़ी फिटनेस को लेकर आपको अपने आपको फिट रहने के लिए प्रेरित करता है तो इस अभियान को नमन।

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