जब से मेरी शादी हुई है। अश्विनी जी जैड प्लस सुरक्षा के अधीन थे क्योंकि अश्विनी जी के पिताजी और दादा जी की देश की एकता और अखंडता को कायम रखते हुए शहीद हुए थे अश्विनी जी के साथ 24 घंटे ब्लैक कैट कमांडो फिर सीआरपीएफ और बच्चों के साथ दिल्ली पुलिस और मेरे साथ भी सीआरपीएफ है मैं हमेशा इनको ड्यूटी पर तैनात देखती हूं और कोई दिन हो या कोई त्यौहारा इनकी ड्यूटी होती है कभी-कभी बहुत तरस भी आता है और दिल भी उदास होता था कि इनके परिवार भी हैं बीवी, बच्चे, माता-पिता हैं तो वो इनको कितना मिस करते होंगे।
अभी भी अश्विनी जी अपनी सिक्योरिटी का हर पल बहुत ध्यान रखते और वही आदतें बच्चों में भी है मुझे तो शुरू से शोक था कि मैं सैनिकों की सेवा करूं। इसलिए अभी भी जो पुस्तकें लिखती हूं उनका पैसा सैनिकों के परिवारों को ही जाता है वैसे तो देश का हर व्यक्ति सैनिक है जो अपने-अपने तरीके से सेवा कर रहा है। हमारे जो अध्यापक हो या टीचर या डाक्टर या कोई भी परन्तु सैनिक, पुलिस वाले स्पेशल स्थान रखते हैं चाहे कोई आपदा आये या कोई घटना उसमें सबसे पहले यही लोग होते हैं फिर भी इनके काम को लेकर व्यवहार को लेकर बहुत कुछ कहा सुना जाता है।
सच में पूछो तो अन्दर से यह भी इंसान हैं, दिल रखते हैं भावनाएं हैं जिम्मेदारियां हैं। पारिवारिक समस्याएं भी इनके साथ चलती हैं। बहुत ही अच्छा लगा जब दिल्ली पुलिस की रेलवे यूनिट अर्थात जीआरपी में काम करने वाले पुलिसकर्मियों को अब हर हफ्ते उनको वीकली मिला करेगा। इतना ही नहीं उनकी शादी की वर्षगांठ के अलावा बीवी और बच्चों के जन्मदिन के लिए छुट्टी अवश्य मिलेगी।
दूसरी तरफ पिछले सप्ताह देश के रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह जी ने यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ को एक पत्र लिखकर कहा है कि अपने घर परिवारों से दूर रहकर बार्डर पर ड्यूटी करने वाले हमारे सेनिकों और सशस्त्र बल के जवानों का उत्साह बढ़ाने के लिए उनके परिजनों का सम्मान हमें करना चाहिए। यह पत्र अपने आप में दर्शाता है कि हम सैनिकों की कर्त्तव्यपरायणता को सलाम करते हुए हम उनके परिजनों के साथ प्रेमपूर्वक व्यवहार करें तो उन्हें बहुत खुशी होगी।
श्री राजनाथ जी ने साफ लिखा कि सेना और सशस्त्र बलों के जवान बहुत सीमित समय के लिए अपने परिवार के सदस्यों के पास आते हैं। तो ऐसे उनके बहुत से काम बच जाते हैं जो पूरे नहीं हो पाते हैं। उन्हें पूरा करने के लिए हर राज्य के मुख्यमंत्री और प्रशासन का यह फर्ज होना चाहिए उनके परिजनों के कामकाज पहले किए जाए और उनसे अच्छा व्यवहार किया जाए।
यह सच है कि देश में रेलवे पुलिस के साथ-साथ सेना के तीनों अंगों के अलावा बीएसएफ, आईटीबीपी, सीआरपीएफ और सीआईएसएफ के जवान खास त्यौहारों के मौके पर घरों से दूर रहते हैं परंतु कई बार परिजनों के अनेक काम ऐसे होते हैं जिनमें प्रशासन की भूमिका रहती है तथा उसे प्राथमिका दी जानी चाहिए। श्री राजनाथ जी एक रक्षा मंत्री के रूप में अनेक मौकों पर जवानों से मिलकर उनका दर्द समझते हैं ऐसे में इधर रेलवे यूनिट की पुलिस भी जवानों काे सुविधाएं देने की बात कर रही है तो इसका स्वागत किया जाना चाहिए।
हमारा मानना है कि आज के भौतिक जीवन में हर कोई सुख उठाना चाहता है पुलिस वालों और सुरक्षा कर्मचारियों पर आरोप लगा देना बड़ा आसान है। उनकी सख्त ड्यूटी को कोई नहीं देखता। देश में सुरक्षा और अमन-चेन की ड्यूटी संभालने वालों के प्रति अगर हम कानूनी दृष्टीकोण से कुछ नहीं कर सकते तो कम से कम नैतिकता का तकाजा यही है कि हम उनके बारे में सोचें जिन्होंने हमारी सुरक्षा की है।
एक पुलिस वाले या सुरक्षा जवान से किसी विवाद की फोटो वायरल करने के काम में लगा समाज उनके तनावपूर्ण कर्त्तव्यपरायणता के लम्हों को याद रखकर उनके प्रति सहानुभूति कोई नहीं रखता बल्कि उनके अपमान और दुर्व्यवहार की शिकायतें भी मिलती रहती हैं ऐसे में इस पहल का स्वागत किया जाना चाहिए। यही नहीं हमारे गृहमंत्री श्री अमित शाह जी ने भी कहा जनता और पुलिस को एक-दूसरे के प्रति नजरिया बदलने की जरूरत है ‘‘जब आप दीपावली पर अपने घर पर पटाखे जलाते हैं तो एक पुलिसकर्मी अपनी खुशियां छोड़कर सुरक्षा में लगा होता, जब एक भाई बहन से राखी बंधवाने जाता है तो एक सिपाही सुरक्षा में लगा होता है।’’
आज जब हम सब यहां बैठकर घुसपैठ, आतंकवाद, नक्सलवाद, जाली मुद्रा और नियमित कानून व्यवस्था की बात करते हैं जिस सफलता को हम देख रहे उसमें 35 हजार जवानों ने अपनी शहादत दी है। तब जाकर यह देश सुरक्षित हुआ है। सच में ऐसी महान सोच को मैं नमन करती हूं और गृहमंत्री और रक्षा मंत्री को कहती हूं कि सेना, बीएसएफ, आईटीबीपी, सीआरपीएफ पुलिस के लिए कितना कर सकते हैं। अधिक से अधिक करे ताकि वो तनाव मुक्त होकर अपनी ड्यूटी करें।