लोकसभा चुनाव 2024

पहला चरण - 19 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

102 सीट

दूसरा चरण - 26 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

89 सीट

तीसरा चरण - 7 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

94 सीट

चौथा चरण - 13 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

96 सीट

पांचवां चरण - 20 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

49 सीट

छठा चरण - 25 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

सातवां चरण - 1 जून

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

लोकसभा चुनाव पहला चरण - 19 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

102 सीट

स्वतन्त्रता दिवस पर चिन्तन !

आज 74वां स्वतन्त्रता दिवस पूरा भारतवर्ष मना रहा है। इस स्वतन्त्रता के लोकतान्त्रिक स्वरूप को पाने के लिए हमारी कितनी ही पुरानी पीढि़यों ने बलिदान दिया तब जाकर 15 अगस्त, 1947 को वह शुभ घड़ी आई जब अंग्रेजों की दो सौ वर्ष की दासता से यह मुल्क आजाद हुआ

आज 74वां स्वतन्त्रता दिवस पूरा भारतवर्ष मना रहा है। इस स्वतन्त्रता के लोकतान्त्रिक स्वरूप को पाने के लिए हमारी कितनी ही पुरानी पीढि़यों ने बलिदान दिया तब जाकर 15 अगस्त, 1947 को वह शुभ घड़ी आई जब अंग्रेजों की दो सौ वर्ष की दासता से यह मुल्क आजाद हुआ। हमने उसी दिन प्रण किया कि इस देश का हर नागरिक निडर होकर अपनी मन पसन्द सरकार का चयन करेगा, हर गरीब-अमीर का हक बराबर होगा और सत्ता में बराबर की भागीदारी होगी। भारत की जो भी सरकार होगी वह लोक कल्याणकारी होगी। महात्मा गांधी के सपनों का भारत बनाने के लिए हमने आगे बढ़ना शुरू किया। यह सपना प्रत्येक भारतीय को आत्मनिर्भर बनाने का था। गांधी बाबा यह हिदायत देकर चले गये थे कि लोकतन्त्र में सरकार का हर काम सबसे गरीब आदमी को केन्द्र में रख कर इस प्रकार  किया जाना चाहिए कि उसका असर उस पर क्या पड़ेगा?
 इस मामले में हम कितने खरे उतरे हैं, यह विचारणीय प्रश्न है क्योंकि 73 साल बाद भी भारत के सामने चुनौतियां बनी हुई हैं।  यह स्वतन्त्रता दिवस भारत ऐसे माहौल में मना रहा है। जब भारत में कोरोना कहर ढाह रहा है।  रोजाना भारत में पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा कोरोना मरीज मिल रहे हैं। इसके समानान्तर हमारी अर्थव्यवस्था के ढहने के चर्चे इस प्रकार अन्तर्राष्ट्रीय जगत में हो रहे हैं कि हमारी सकल विकास वृद्धि दर नफी (मायनस) में पांच प्रतिशत से भी नीचे तक जा सकती है। लेकिन भारत की विशेषता यह है कि वह हमेशा चुनौतियों के सामने फिर उठ खड़ा होता है। जब कोराेना वायरस फैलना शुरू हुआ था तो हमारे पास जांच की भी कोई ठोस व्यवस्था नहीं थी। लेकिन कुछ दिनों में ही भारत में कोराेना की जांच के कई केन्द्र स्थापित हो गए। हमारे पास मास्क का अभाव था, पीपीई किट का निर्माण भी नहीं होता था, लेकिन देखने ही देखते हम इनको बनाने में आत्मनिर्भर हो गए। केन्द्र की मोदी सरकार ने हर क्षेत्र के लिए पैकेज दिए हैं। आत्मनिर्भर भारत के तहत कारर्पोरेट सैक्टर, उद्योग जगत और छोटे दुकानदारों तक के लिए ऐसी योजनाएं तैयार की हैं जिन्हें उनसे राहत मिलेगी। मजदूरों को मनरेगा के तहत रोजगार दिया जा रहा है। अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने की कवायद रातोंरात पूरी नहीं हो सकती। भारतीय बहुत सयंमी हैं और उनका भरोसा नरेन्द्र सरकार पर कायम है। यही विश्वास भारत के अर्थतंत्र को फिर मजबूती देगा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कोरोना काल के दौरान लगातार राष्ट्र को सम्बोधित ​किया तब करोड़ों हाथ अपने घरों को लौट रहे प्रवासी मजदूरों की मदद के लिए उठ खड़े हुए। जहां तक चीन का सवाल है भारत डोकलाम के बाद दूसरी बार उससे आंख में आंख डालकर बात कर रहा है। पूर्व की सरकारों ने चीन से आंख झुकाकर बात की है। हमारे जवानों ने अपने शौर्य का परिचय देते हुए चीनी सैनिकों की गर्दनें मरोड़े हुए अपनी शहादतें दी हैं, राष्ट्र उनको आज नमन कर रहा है।
नाजायज मुल्क पाकिस्तान अपनी नापाक हरकतों से बाज नहीं आ रहा है। बार-बार अन्तर्राष्ट्रीय सीमा का उल्लंघन करना उसकी आदत बन चुकी है और जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी गतिविधियों को शह देना उसकी नीति बन चुकी है लेकिन इन सभी विरोधाभासों के बावजूद भारत ने कई क्षेत्रों में तरक्की भी की है।  हमारा आधारभूत ढांचा मजबूत हुआ है खास कर सड़क मार्गों का पूरे देश में सुनियोजित विस्तार हुआ है और विज्ञान व टैक्नोलोजी के क्षेत्र में हमारे वैज्ञानिकों ने सफलता भी प्राप्त की है। निश्चित रूप से यह संकट का दौर है, विशेष रूप से अर्थव्यवस्था और राष्ट्रीय सुरक्षा के मोर्चे पर क्योंकि नेपाल जैसा हमारा सहोदर देश भी हमें आंखें दिखा रहा है, परन्तु भारत की अन्तर्निहित ताकत से जो मुल्क वाकिफ हैं वे जानते हैं कि इसने तीन-तीन युद्ध (चीन व पाकिस्तान से ) लड़ने के बावजूद अपनी तरक्की इस तरह की कि यह अन्तरिक्ष विज्ञान के सिरमौर देशों में से एक देश बन गया। यह सब हमारे दूरदर्शी राजनीतिज्ञों की बदौलत ही हुआ क्योंकि ये नेता जानते थे कि भारत की आन्तरिक ताकत इसकी विविधता में इस प्रकार समाहित है कि यह दुनिया के विकसित से विकसित देश का मुकाबला कर सकती है। इस ताकत को सबसे पहले पं. जवाहर लाल नेहरू ने पहचाना था जब आजादी से पहले ही लन्दन के एक अंग्रेजी अखबार में लेख लिख कर उन्होंने यह घोषणा की थी कि ‘भारत कभी भी गरीब मुल्क नहीं था।’ 
पिछले 73 सालों में हम यहां तक पहुंचे हैं कि अब दुनिया के दस गिने हुए औद्योगिक राष्ट्रों में हमारी गिनती होती है। यह उपलब्धि छोटी नहीं है। इसे पाने के लिए हमारी पिछली कई पीढि़यां खपी हैं और उन्होंने गरीब भारत को आत्म सम्पन्न भारत बनाया है।  इसमें हरित क्रान्ति का नाम सबसे ऊपर लिखा जायेगा, परन्तु यह सब भारत ने अपने लोकतन्त्र को लगातार सशक्त, सजग व पारदर्शी बनाते हुए किया है। अतः जब भी हम अपनी तुलना कम्युनिस्ट चीन से करने की गलती करते हैं तो इस तथ्य को भूल जाते हैं कि हम दुनिया के सबसे बड़े लोकतन्त्र हैं  जिसका संविधान एक सन्तरी और मन्त्री को बराबर के हक देता है यह हमारी दूसरी सबसे बड़ी ताकत है जो आम नागरिक को आगे बढ़ने की प्रेरणा देती है, परन्तु वर्तमान में सार्वजनिक जीवन का राजनीतिक विमर्श जिस रसातल में जा रहा है वह चिन्ता पैदा करने वाला है।
 लोकतन्त्र वैचारिक निडरता के बिना चल ही नहीं सकता। इसमें बौद्धिक हिंसा या वाक् हिंसा के लिए नहीं बल्कि वाक् पटुता के लिए सम्मान होता है। अतः आज हम यह भी कसम लें कि लोकतन्त्र की मर्यादा हर मंच पर कायम रखेंगे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

15 − three =

पंजाब केसरी एक हिंदी भाषा का समाचार पत्र है जो भारत में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली के कई केंद्रों से प्रकाशित होता है।