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यह मोदीगिरी है…

गांधीवादी मूल्यों की रफ्तार पीएम मोदी ने देशवासियों के लिए स्थापित की है और गांधी के दर्शन को समझने के लिए खुद मोदी जी ने बहुत ज्यादा सर्च किया होगा।

जिस व्यक्ति ने लंदन में लॉ की पढ़ाई की हो और दक्षिण अफ्रीका में इसकी प्रेक्टिस की और जिस आदमी का प्रभाव लगभग 13-14 दशक पहले इंग्लैंड और अफ्रीका पर पड़ा हो, ऐसा व्यक्ति आज तक अगर भारत के साथ-साथ अमरीका में भी एक प्रभावशाली रूप में देखा जाने लगे तो आप सही समझ रहे हैं- यह राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ही हैं। पांच दिन पहले महात्मा गांधी की 150वीं जयंती देशभर में धूमधाम से मनाई गई और संयुक्त राष्ट्र तक में एक विशेष श्रद्धांजलि सभा में अगर बापू को याद किया जाता है तो इससे प्रमाणित होता है कि बापू आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं जितने वो 1947 की आजादी की जंग के दौरान थे। 
खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनके बारे में यही कहा है कि राष्ट्रपिता तो केवल भारत के नहीं बल्कि पूरी दुनिया के थे। इसीलिए आज दुनिया के अमरीका जैसे देश उनके आदर्शों को आत्मसात करने के लिए तैयार हैं लेकिन यह भी एक उतना ही सच है कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के बताये मार्ग को और उन्हें भारत के गौरव के रूप में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सबसे ज्यादा प्रतिस्थापित किया। काश! चार दशक से भी ज्यादा का शासन कर चुकी कांग्रेस भी इस बारे में उनके आदर्शों को आगे बढ़ाती। 
नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में पूरी भाजपा सरकार ने महात्मा गांधी के अप्रत्यक्ष योगदान को बहुत ही बारीक चश्मे से देखा और बीसवीं सदी से 21वीं सदी तक आते-आते यह प्रमाणित कर दिया कि व्यक्ति चला जाता है लेकिन उसका कामकाज और उसके आदर्श कभी खत्म नहीं होते। ठीक ऐसे ही आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अगर खुद को एक आइकॉन बनाकर देशवासियों के समक्ष रख रहे हैं तो उसके पीछे राष्ट्रपिता के प्रति उनका समर्पण और उनके बताये मार्ग पर चलने का संकल्प भी दिखाई देता है। 
गांधीवादी मूल्यों की रफ्तार पीएम मोदी ने देशवासियों के लिए स्थापित की है और गांधी के दर्शन को समझने के लिए खुद मोदी जी ने बहुत ज्यादा सर्च किया होगा। अहिंसा का पुजारी कहलवाने वाला बापू का सामाजिक जीवन इतना खरा था कि उन्होंने स्वच्छता के मामले में कभी अपने जमाने में अपनी पत्नी तक को यह कह दिया था कि रसोई से लेकर टॉयलेट तक इस काम के लिए हमें किसी पर निर्भर होने की जरूरत नहीं बल्कि ये काम खुद करने चाहिएं। इसी का दूसरा पक्ष यह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने पिछले पांच साल के कार्यकाल में जो खुले में शौच मुक्त भारत का संकल्प लिया था उसका ऐलान भी 2 अक्तूबर को ही करके दिखाया। 
यकीनन राजनीति में आज साफ-सुथरे व्यक्तित्व और ईमानदार होने का दावा करने वाला नहीं बल्कि लोग आप उदाहरण दें तो ऐसा व्यक्ति भी एक व्यक्तित्व बन जाता है। मोदी भी आज एक ऐसा ही आइकान हैं कि भारतीय जनता पार्टी उन्हें एक बड़ा चेहरा बना चुकी है और उनका चरित्र, आचरण तथा वर्किंग सब कुछ बेदाग है इसीलिए भाजपा अकेले दम पर 300 के पार जाकर विपक्ष पर भारी पड़ती जा रही है। अमरीकी राष्ट्रपति ट्रंप का अपने यहां हाउडी मोदी आयोजन में भारतीय पीएम के प्रति जो सम्मान भाव था वह पूरी दुनिया ने देखा। 
इसीलिए कश्मीर को लेकर ट्रंप मध्यस्थता का भाव यह जताकर दिखाने लगे हैं कि मैं इमरान खान की मदद तो कर सकता हूं लेकिन इसके लिए मुझे मोदी से पूछना होगा। गांधीवादी मूल्यों को अपने जीवन में उतारकर एक ईमानदार चेहरा मोदी ने भले ही भारत के सामने प्रस्तुत किया लेकिन आज सोशल साइट पर कहा जा रहा है कि अगर कोई देश अपने यहां चुनाव जीतना चाहता है तो मोदी ही उसकी पहली पसंद हैं। लोगों का यह आपसी शेयर सचमुच वजनदार है। हम तो यही कहेंगे कि देश में अगर कहा जा रहा है कि ‘मोदी है तो मुमकिन है’ अब यह बात पूरी दुनिया पर लागू हो रही है। 
ट्रंप जानते हैं कि उनके यहां चुनाव हैं और पूरी दुनिया जान गई है कि उन्होंने अपना चुनाव प्रचार मोदी के माध्यम से ही शुरू कर दिया है। रंगभेद के खिलाफ अगर बापू ने लड़ाई लड़ी तो मोदी ने भी एक अपना नजरिया अपने कर्त्तव्य के औजार से दुनिया के सामने रखा है। मोदी में जमीनी लड़ाई का माद्दा है। प्रतिद्वंद्वियों को अपने तर्कों और प्रबंधन से चित्त करने में महारत है और इसके बाद विजेता बन जाने पर दुश्मन को गले लगाने का फन भी है। इसीलिए मोदी लोकप्रियता में आज बुलंदी पर हैं। वह भारतीय लोकतंत्र में एक अलग पहचान बन चुके हैं जिस पर न सिर्फ भाजपा को बल्कि हर वर्कर को नाज है। देशवासी इसीलिए उन्हें एक आइकॉन मानकर गांधी की तरह मोदी के बताए मार्ग पर चलने को तैयार है।

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