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ये है जम्मू-कश्मीर समस्या का बड़ा जवाब

अब जबकि मोदी सरकार केंद्र में पूरे धूम-धड़ाके से रिपीट कर चुकी है तो इंतजार यही किया जा रहा है कि सबसे बड़ी चुनौती का सामना किया जाए और हल निकाला जाए।

अब जबकि मोदी सरकार केंद्र में पूरे धूम-धड़ाके से रिपीट कर चुकी है तो इंतजार यही किया जा रहा है कि सबसे बड़ी चुनौती का सामना किया जाए और हल निकाला जाए। जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद का खात्मा और पाकिस्तान को सबक सिखाना यह काम मोदी सरकार ने प्राथमिकता पर ले रखा है। अब लोगों की उम्मीदें इसलिए भी बढ़ गई हैं कि भाजपा के सुप्रीमो अमित शाह को गृह मंत्रालय का चार्ज दिया गया है। खुद प्रधानमंत्री के रूप में मोदी जी ने घाटी में बड़ी जबरदस्त भूमिका निभाई और अंतर्राष्ट्रीय मंच पर पाकिस्तान को ठिकाने भी लगाया। 
पूरी दुनिया को यही संदेश दिया गया कि भारत अपनी रक्षा करने के लिए जब चाहे पाकिस्तान पर पलटवार कर सकता है। उरी सर्जिकल स्ट्राइक हो या फिर बालाकोट सर्जिकल स्ट्राइक भारत ने 100 सुनार की और एक लुहार की वाली उक्ति अपनाते हुए पाकिस्तान को करारा जवाब दिया। पिछले दिनों राजनीतिक स्तर पर एक बड़ा घटनाक्रम यह भी उभरा कि जब राष्ट्रपति शासन को और छह महीने के लिए बढ़ा दिया गया यकीनन इसके पीछे सोच यह रही है कि माहौल सामान्य बनाकर चुनाव कराए जा सकें। एक चौंकाने वाला घटनाक्रम राष्ट्रपति शासन को बढ़ाए जाने के साथ ही देखने को मिला जब अनंतनाग में सीआरपीएफ के गस्ती दल पर आतंकियों ने हमला किया और हमारे 5 जवान शहीद हो गए। जब-जब हमारी सुरक्षा से जुड़े फौजी या सीआरपीएफ, बीएसएफ या जम्मू-कश्मीर पुलिस आतंकियों की तलाश में कोई अभियान चलाते हैं तब-तब उन पर हमले तेज कर दिए जाते हैं। 
हम समझते हैं कि अब समय आ गया है कि इन आतंकियों को काबू करके वो सब कुछ किया जाना चाहिए जिसके पीछे मजबूत राजनीतिक इच्छाशक्ति काम कर रही है। धारा-370 को खत्म करने का मामला इस समय हम समझते हैं कि पूरे देश की मांग है। इसी तरह 35-ए को लेकर भी पूरे देश में एक ही राय है कि जम्मू-कश्मीर को देश के अन्य राज्यों की तरह ट्रीट किया जाए। वहां विशेष राज्य का दर्जा जम्मू-कश्मीर को मिला होने की वजह से आतंकवादी अपना खेल खेल रहे हैं। यह बात हम नहीं कह रहे बल्कि पूरे देश के लोगों की उन भावनाओं से समझिए जिन्हें वो सोशल मीडिया पर एक-दूसरे के साथ जमकर शेयर कर रहे हैं। लोग खुलकर कह रहे हैं कि अगर धारा-370 हटा दी जाए तो आतंकवादी विचारधारा खुद-ब-खुद खत्म हो जाएगी। 
जब संविधान में धारा-370 जम्मू-कश्मीर के संदर्भ में लागू की गई तो हालात कुछ और थे परंतु आज तो इसका इस्तेमाल हो रहा है। विशिष्ट राज्य के नाम पर जो सुविधाएं मिल रही हैं उसे आतंकवादी संगठन अपने साथ जोड़कर इतना कुछ करते रहे हैं कि इनके पीछे पुराना राजनीतिक सिस्टम ही उन पर मेहरबान रहा। बची-खुची कसर महबूबा की सरकार ने पूरी कर दी थी। हालांकि भाजपा सरकार ने उसे बाहर से समर्थन देकर उसकी सरकार बनाई थी। यह बात अलग है कि बाद में भाजपा ने समर्थन वापस लेकर यह प्रमाणित कर दिया कि आतंकवादियों और पाकिस्तान का समर्थन करने वालों के साथ उसकी दाल नहीं गल सकती। 
राष्ट्रीयता के समर्थन में यद्यपि भाजपा ने यह प्रयोग किया था परंतु तब ही से जो ट्यूनिंग महबूबा ने आतंकियों के साथ बैठाई लगता है वह आज तक कायम है इसीलिए हम बेझिझक कह सकते हैं कि कश्मीर घाटी में आतंकी ढांचा आज भी कायम है। सेना के कड़े प्रयासों के बावजूद सीमा पार से घुसपैठ आज भी जारी है। अनेक नए-नए आतंकवादी संगठन उभर रहे हैं जिस आतंकवादी संगठन ने हमारे छह सीआरपीएफ जवानों की शहादत ली है उसका नाम है अल-उमर-मुजाहिद्दीन। 
ये नए-नए संगठन कैसे उभर रहे हैं यकीनन इसके पीछे पाकिस्तान काम कर रहा है लेकिन हमारा मानना है कि आतंकी ढांचे लोकल स्तर पर मदद के बाद ही पनप रहे हैं। इनका खात्मा धारा-370 और 35 ए को खत्म करने से ही संभव है। हमारे जम्मू-कश्मीर में अगर अन्य देशवासियों को प्रॉपर्टी खरीदने की इजाजत हो तो आतंक फैलाने वाले संगठनों और आतंकी विचारधारा फैलाने वाले लोकल लोगों पर नकेल कसी जाए। यूपी, बिहार, मध्य प्रदेश या आंध्र प्रदेश या दिल्ली पर बढ़ती आबादी का बोझ अगर है तो क्यों नहीं कश्मीर में ज्यादा से ज्यादा फैक्ट्रियां लगाई जाती और वहां इन लोगों को खपाकर बेरोजगारी की समस्या भी खत्म की जाए ताकि देश में एक राज्य का नागरिक दूसरे राज्य में बराबरी के हक के साथ रह सके। जहां-जहां ज्यादा मुस्लमान हैं वहां ज्यादा से ज्यादा हिंदू बसाए जाएं तो सब कुछ हो सकता है। बात इच्छाशक्ति की है और अब तो अमित शाह जी जो रणनीति के मास्टर माने जाते हैं अब मोदी जी की जोड़ी के साथ मास्ट्रर स्ट्रॉक मारे तो धारा-370 और 35 ए को निशाने पर रखें तो यही सबसे बड़ा राष्ट्रहित होगा। 
जब मोदी है तो सब कुछ मुमकिन है, अब तो उनके जोड़ीदार के रूप में अमित शाह जी भी हैं। ज्यादा देर नहीं होनी चाहिए सब कुछ करने का वक्त आ गया है। यद्यपि पाकिस्तान की नस तो दबा दी गई है परंतु लातों का भूत बातों से नहीं मानता। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान आज मोदी जी से बात करने को तरस रहे हैं परंतु भारत ने उन्हें अलग-थलग कर दिया है। हम समझते हैं कि अगर अब 35 ए और धारा 370 को लेकर मोदी और शाह की जोड़ी कुछ करिश्मा कर दे तो देश का विश्वास भाजपा पर दोगुना हो जाएगा और पाकिस्तान के इरादे जमींदोज हो जाएंगे। जम्मू-कश्मीर में अमन गुलजार होगा यही समय की मांग है जिसका पूरे देश को इंतजार है।

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