लोकसभा चुनाव 2024

पहला चरण - 19 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

102 सीट

दूसरा चरण - 26 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

89 सीट

तीसरा चरण - 7 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

94 सीट

चौथा चरण - 13 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

96 सीट

पांचवां चरण - 20 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

49 सीट

छठा चरण - 25 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

सातवां चरण - 1 जून

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

लोकसभा चुनाव पहला चरण - 19 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

102 सीट

बच्चों के लिए वैक्सीन आने तक…

कोरोना की दूसरी लहर का प्रकोप कम होता दिखाई दे रहा है। इसके साथ ही तीसरी लहर आने को लेकर कयास लगाये जा रहे हैं।

कोरोना की दूसरी लहर का प्रकोप कम होता दिखाई दे रहा है। इसके साथ ही तीसरी लहर आने को लेकर कयास लगाये जा रहे हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञ भी कोरोना की तीसरी लहर के आने या नहीं आने को लेकर कोई एक राय नहीं बना पा रहे। कोरोना की तीसरी लहर से सबसे ज्यादा बच्चों के प्रभावित होने का भी कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है। कुछ लोगों ने बिना किसी आधार के बच्चों के सर्वाधिक प्रभावित होने की बात फैला दी है। सिंगापुर में स्कूल बंद किए जाने से भी अटकलों को बल मिला। स्कूल-कालेज तो भारत में भी बंद हैं। दुनिया के किसी कोने से ऐसा कोई सबूत नहीं मिला कि तीसरी या उसके बाद भी किसी लहर से बच्चों पर ज्यादा असर होगा। अभिभावक बहुत तनाव में हैं। उनका तनाव में आना स्वाभाविक है क्योंकि बच्चों के लिए अभी भारत में कोई वैक्सीन नहीं आयी। कोरोना की दूसरी लहर से बच्चे प्रभावित हुए हैं। महाराष्ट्र के अहमद नगर में 8 हजार बच्चे कोरोना से संक्रमित जरूर हुए लेकिन वे भी दो-तीन दिन में ठीक हो गए। यह दावा भी किया गया कि बच्चों के संक्रमण में 3.3 गुणा की वृद्धि हुई है।
बच्चों के संक्रमित होने की खबर केवल इस आधार पर फैलाई जा रही है कि जनसंख्या का जो हिस्सा कोरोना से अप्रभावित रहा है, इसलिए हो सकता है कि कोरोना की तीसरी लहर से संक्रमित हो जाए। इंडियन एकेडमी आफ पीडिया ट्रिक्स ने कहा है कि ‘‘इस बात की संभावना बेहद कम है कि तीसरी लहर मुख्य रूप से यह सिर्फ बच्चों को ही प्रभावित करेगी, अगर बड़ी संख्या में कोविड-19 मरीज सामने आते हैं तो उनमें बच्चों के होने की संभावना है। अप्रैल-मई के मध्य महाराष्ट्र में करीब 29 लाख केस सामने आये, ऐसे में बच्चों के 99 हजार नए मामले कुल मामलों का 3.5 प्रतिशत हुए। दूसरी लहर का प्रकोप पहली लहर के मुकाबले 4 गुणा ज्यादा रहा, ऐसे में बच्चों में 3.3 गुणा की बढ़त भी बाकी आयु वर्ग से कम है। जिन कोरोना संक्रमित बच्चों को अस्पताल में भर्ती कराने की जरूरत पड़ी, उनमें से अधिकतर को पहले से ही कोई और बीमारी थी। अभिभावक मनोवैज्ञानिक दबाव में आ गए, राज्य सरकारों ने बच्चों के लिए अलग वार्ड बना दिए, टास्क फोर्स बना दी गई। ऐसे वार्ड बनाये जा रहे हैं जिसकी दीवारों पर बच्चों के मनपसन्द करैक्टर की पेंटिंग्स लगाई गई हैैं। बच्चे ही देश का भविष्य हैं इसलिए उनकी सुरक्षा करना हम सब का दायित्व है। इसलिए कोरोना की तीसरी लहर की आशंकाओं के बीच हमें ऐसी तैयारी करनी है ताकि हम किसी भी स्थिति का सामना कर सके।
चीन ने तीन वर्ष के ऊपर के बच्चों को वैक्सीन देने की अनुमति दे दी है। ब्रिटेन में 12-15 वर्ष के बच्चों को फाइजर वैक्सीन देने की अनुमति दे दी है। अमेरिका में 12-15 साल के किशोरों पर चल रहे क्लीनिकल ट्रायल में वैक्सीन सौ फीसदी कारगर रही है। अमेरिका ने भी किशोरों को टीका लगाना शुरू कर दिया है। कनाडा में भी ट्रायल के बाद 12 से 15 वर्ष के बच्चों को फाइजर वैक्सीन दी जा रही है। भारत में भी बच्चों को जल्द ही कोरोना वैक्सीन मिलने की उम्मीद जग रही है। दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में बच्चों पर भारत बायोटेक की वैक्सीन कोवैक्सीन का ट्रायल शुरू हो चुका है जबकि पटना एम्स में ट्रायल पहले ही शुरू हो चुका है। पहले चरण में 12 से 18 साल की उम्र के बच्चों पर ट्रायल होगा, फिर 6 से 12 साल की उम्र के, फिर 2 से 6 साल के बच्चों पर ट्रायल होगा। इन ट्रायल में 3 या 4 माह लग जाएंगे। ट्रायल में विभिन्न पहलुओं का अध्ययन किया जाएगा। मसलन यह बच्चों के लिए कितनी सुरक्षित है, इसके साइड इफैक्ट्स हैं कि नहीं।
यह समझना बहुत जरूरी है कि कुल आबादी में कम से कम 70 से 85 प्रतिशत लोगों को टीका लगाये बिना कोरोना से नहीं लड़ा जा सकता। जब तक ज्यादा से ज्यादा आबादी को वैक्सीन नहीं लगेगी तब तक कोरोना की एक के बाद एक लहरें आती रहेंगी और इसलिए वैक्सीनेशन से बच्चों को अलग नहीं रखा जा सकता। भारत में 18 साल से कम उम्र की आबादी 30 प्रतिशत है। अगर इनका जल्द वैक्सीनेशन नहीं होगा तो कोरोना को कंट्रोल करना मुश्किल होगा। यह सही है कि बच्चे कोरोना से कम संक्रमित होते हैं और वे एसिम्पटोमेटिक रहते हैं। बच्चे घरों में बंद हैं, वे उदास और बेचैन हैं। वे पहले ही मानसिक तनाव से गुजर रहे हैं। उन्हें मानसिक रूप से स्वस्थ रखने के लिए सहयोग की जरूरत है। 12 वर्ष से 17 वर्ष आयु वर्ग के लिए भारत में 26 करोड़ डोज चाहिये। यह समूह 13 से 14 करोड़ है। यह कोई छोटा समूह नहीं है। राज्यों में लॉकडाउन खुल चुका है। लम्बे समय से बंद पड़े स्कूल खोलने पर अभी कोई विचार नहीं किया जा रहा। यह तभी संभव है जब हम बच्चों का वैक्सीनेशन करें। अमीर देशों में बच्चों के लिए भी वैक्सीन को अधिकृत किया जा रहा है लेकिन डब्ल्यूएचओ इसे प्राथमिकता नहीं देता। उसका मानना है कि बच्चों के कोरोना से गंभीर रूप से बीमार होने या मरने का खतरा नहीं। तीसरी लहर के आने के समय की निश्चित भविष्यवाणी कोई नहीं कर सकता, ऐसे में हमें हर स्थिति का मुकाबला करने के लिए तैयार रहना होगा। अभिभावकों को भी चाहिए कि वे तीसरी लहर से घबराहट में नहीं आएं बल्कि बच्चों पर बहुत ज्यादा दबाव न बनायें और उन्हें हर तरह से सहयोग दें। उनके खानपान का ध्यान रखें। महामारी के खिलाफ जीतने के लिए सरकार और अभिभावकों को वैज्ञानिक सलाह पर ध्यान देना होगा न कि शोर पर। जब तक बच्चों का टीका नहीं आता तब तक अभिभावक मनोबल बनाये रखें।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

twelve − eleven =

पंजाब केसरी एक हिंदी भाषा का समाचार पत्र है जो भारत में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली के कई केंद्रों से प्रकाशित होता है।