भारत में पर्यटन की अपार सम्भावनाएं हैं। बर्फ से ढके पहाड़ों से लेकर महासागर में फैले द्वीप पर्यटन क्षेत्र काे विविधताओं से भर देते हैं। भारत में समृद्ध सांस्कृतिक और एतिहासिक विरासत मौजूद है। यही कारण है कि पर्यटन उद्योग नए आकाश ढूंढ रहा है। जरूरत है नए विचारों के साथ आगे बढ़ने की। इस उद्योग में 80 फीसदी भागीदारी निजी क्षेत्र की है लेकिन इसके साथ-साथ सौहार्दपूर्ण माहौल, सुरक्षा, सतर्कता, ट्रैफिक व्यवस्था और सस्ती परिवहन सुविधाओं की जरूरत होगी। इनमें राज्य सरकारों की जिम्मेदारी भी है। केन्द्र सरकार और राज्य सरकारें पर्यटन उद्योग का दायरा बढ़ाने की हर सम्भव कोशिश कर रही हैं। कोरोना महामारी के दो साल बाद अब भारत में एक बार फिर पर्यटन तेजी से बढ़ने लगा है।
किसी भी राष्ट्र के लिए पर्यटन आर्थिक सुव्यवस्था का एक सशक्त माध्यम होता है। जैसा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पूर्वोत्तर राज्यों के बारे में अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा है कि आवागमन के सुविधाजनक माध्यम न होने से पूर्वोत्तर क्षेत्र अन्य राज्यों से पिछड़ गया था। जब से वे प्रधानमंत्री बने हैं तब से उन्होंने पचासों बार क्षेत्र का दौरा कर लोगों की पूर्वोत्तर क्षेत्र के प्रति जिज्ञासा बढ़ा दी है। प्रधानमंत्री का यह भी कहना है कि पर्यटकों को आधारभूत सुविधा उपलब्ध कराने से यहां पर्यटन क्रांति आएगी तथा क्षेत्र के लोगों को अधिकाधिक संख्या में रोजगार उपलब्ध होगा और जनता खुशहाल होगी।
पर्यटन को आर्थिक विकास और रोजगार सृजन का एक सशक्त माध्यम माना जाता है। पर्यटन क्षेत्र देश के शीर्ष सेवा उद्योगों में से एक है। आज के समय में जहां हर देश की पहली जरूरत अर्थव्यवस्था को मजबूत करना है, वहीं पर्यटन के कारण कई देशों की अर्थव्यवस्था इस उद्योग के इर्द-गिर्द घूमती है। यूरोपीय देश, तटीय अफ्रीकी देश, पूर्वी एशियाई देश, कनाडा, आस्ट्रेलिया आदि ऐसे देश हैं जहां पर पर्यटन उद्योग से अर्थव्यवस्था सुदृढ़ हुई है। कई देश जैसे श्रीलंका में विस्फोटक स्थिति के लिए पर्यटन उद्योग का ठप्प होना प्रमुख कारण बताया गया है। पर्यटन क्षेत्र के विकास से न केवल लोगों को रोजगार मिलता है, बल्कि दूसरे प्रांत से आए लोगों के रहन-सहन, सभ्यता-संस्कृति के आदान-प्रदान करने में सहूलियत होती है। वैश्विक दृष्टि से देखा जाए तो पर्ययन विश्व का सबसे बड़ा कमाऊ क्षेत्र बना है। वैश्विक स्तर पर सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 11 फीसदी तक योगदान दे रहा है। हालांकि भारत में अभी भी इस क्षेत्र का योगदान महज 6.7 फीसदी है। पड़ोसी देशों जैसे चीन (8.6), श्रीलंका (8.8), इंडोनेशिया (9.2), मलेशिया (12.9) तथा थाइलैंड (13.9) प्रतिशत के साथ हमसे काफी आगे हैं।
सकल घरेलू उत्पाद में पर्यटन क्षेत्र का 6.23 फीसदी योगदान है जबकि भारत के कुल रोजगार में 8.78 फीसदी योगदान है। वर्ष 2022 में करीब 62 लाख विदेशी पर्यटकों ने भारत की यात्रा की। जम्मू-कश्मीर में पिछले वर्ष सबसे ज्यादा पर्यटक पहुंचे। देश के धार्मिक स्थलों पर भी पर्यटकों की भीड़ लगी रहती है।
पर्यटन उद्योग को बढ़ावा देने के लिए केन्द्र सरकार ने एक नई पर्यटन नीति 2023 का मसौदा तैयार किया है। इससे भारत में पर्यटन क्षेत्र को नया रूप मिलने की उम्मीद है। इस मसौदे में पर्यटन क्षेत्र में निवेश को बढ़ावा देने के लिए इसे उद्योग का दर्जा देने का जिक्र किया गया है। साथ ही होटलों को औपचारिक तौर से बुनियादी ढांचे में शामिल किया गया है। नीति के जरिये भारतीय अर्थव्यवस्था में पर्यटन के योगदान को बढ़ाने का लक्ष्य रखा गया है। हाल ही में सरकार ने जानकारी दी थी कि संबंधित हितधारकों और दूसरे मंत्रालयों से इस मसौदे पर फीडबैक मिलने के बाद इसे संशोधित किया गया है। सभी पक्षों से जरूरी अनुमति मिलने के बाद इस नीति को अमल में लाया जाएगा।
केन्द्र सरकार ने 2030 तक पर्यटन उद्योग के जरिये 56 बिलियन डॉलर विदेशी मुद्रा अर्जित करने और अगले 7 वर्ष में 14 करोड़ नौकरियां सृजन करने का लक्ष्य रखा है। इसके साथ प्रकृति को संरक्षण भी देना होगा और यह भी देखना होगा कि पर्यटक स्थलों पर कचरा न जमा हो और प्रदूषण न हो। पर्यटन को देखने, समझने का एक नजरिया विकसित करना होगा। कभी-कभी विदेशी पर्यटकों से लूट या महिलाओं से दुर्भाग्यपूर्ण घटनाएं हो जाती हैं। इन्हेें भी रोकने के लिए ठोस कदम उठाने होंगे। विदेशी पर्यटकों की सुरक्षा हमारा ध्येय होना चाहिए। पर्यटन उद्योग का विकास होता है ताे 2047 तक भारत काे विकसित राष्ट्र बनाने में उसकी बड़ी भूमिका होगी और इससे अर्थव्यवस्था को काफी मजबूती मिलेगी।
आदित्य नारायण चोपड़ा