लोकसभा चुनाव 2024

पहला चरण - 19 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

102 सीट

दूसरा चरण - 26 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

89 सीट

तीसरा चरण - 7 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

94 सीट

चौथा चरण - 13 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

96 सीट

पांचवां चरण - 20 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

49 सीट

छठा चरण - 25 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

सातवां चरण - 1 जून

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

दूसरा चरण - 26 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

89 सीट

चंदे की पारदर्शिता

NULL

राजनीतिक दलों को मिलने वाले चंदे पर हमेशा से पारदर्शिता की अंगुली उठती रही है। कानूनन ये राजनीतिक दल अभी तक 20 हजार से अधिक नकद चंदे को ही सार्वजनिक करने के लिए बाध्य होते थे। लिहाजा इनको मिले चंदे में करीब 70 फीसदी हिस्सा इस तय सीमा से कम के चंदों का होता था। चंदे का यही बेनामी स्रोत सारे फसाद की जड़ है। कालेधन को खपाने के बड़े स्रोत के रूप में यह प्रक्रिया वर्षों से अपनाई जाती रही है। पारदर्शिता लाने के लिए सरकार ने चंदे को सार्वजनिक करने की सीमा दो हजार कर दी, लेकिन सवाल खड़ा होता है​ कि इस सीमा के भीतर ही अधिकांश मिले चंदे को दिखाने से राजनीतिक दल क्या परहेज करेंगे? चुनाव सुधार सतत् चलने वाली प्रक्रिया है और चुनाव सुधारों की राह पर चलते हुए हर सरकार ने महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं।

चुनाव में कालेधन का इस्तेमाल रोकने के लिए समय-समय पर चिन्ताएं जाहिर की जाती रही हैं लेकिन इसके तहत गठित समितियों की सिफारिशों पर अमल नहीं हो सका है। अटल जी के शासन में भाजपा नीत राजग सरकार ने चुनाव प्रणाली में सुधार के लिए 1998 में इंद्रजीत गुप्त की अध्यक्षता में समिति गठित की थी। समिति ने अपनी विस्तृत सिफारिशें केन्द्रीय गृह मंत्रालय को भेजी थीं। अन्य महत्वपूर्ण सिफारिशों के अलावा समिति ने केन्द्र सरकार को 600 करोड़ रुपए के योगदान वाला एक अलग चुनाव कोष बनाने की सिफारिश की थी। दस रुपए प्रति मतदाता के हिसाब से 60 करोड़ मतदाताओं के लिए इस कोष में यथोचित भागीदारी सभी राज्य सरकारों की होगी। सरकारी खर्चे पर चुनाव कराने की सिफारिश को स्वीकार नहीं किया गया। 1999 में लॉ कमीशन ने इसकी सिफारिश की थी लेकिन ऐसा करने से पहले राजनीतिक दलों को उपयुक्त नियामक तंत्र के दायरे में लाए जाने का प्रावधान था। सिफारिशें तो आती रहीं लेकिन राजनीतिक दलों ने कुछ में बिल्कुल भी रुचि नहीं दिखाई।

दुनिया के कई देशों में राजनीतिक दलों को चंदा देने की प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने के लिए कई अहम प्रावधान किए गए हैं। यहां पर चंदा देने वाले कार्पोरेट, ट्रेड यूनियन और वैयक्तिक स्तर पर वैधानिक सीमा लागू कर दी गई है। ब्रिटेन में तो चंदा देने के तीन प्रमुख स्रोत हैं। सदस्यता चंदा और सरकारी खर्च पर चुनाव। यहां यह भी राजनीतिक दलों पर अारोप लगता रहा है कि वे कुछ विशेष धनी दानदाताओं पर कुछ ज्यादा ही निर्भर हैं। अमेरिका में हर नागरिक प्रत्येक चुनाव अभियान के लिए एक हजार डालर से अधिक की राशि नहीं दे सकता। इस तरह एक नागरिक सालभर के चुनावी अभियान पर 25 हजार डालर से अधिक नहीं दे सकता। आस्ट्रेलिया, फ्रांस और जर्मनी में भी नागरिकों के लिए चंदा देने की सीमा तय है। भारत में बड़े आैद्योगिक घराने और कार्पोरेट सैक्टर राजनीतिक दलों को चंदा देते हैं और आरोप है कि मनमाफिक सरकार बनने के बाद अपने हितों के अनुकूल नीतियां बनवाते हैं या फिर अपने उच्च सम्पर्कों से फायदा उठाते हैं। चुनावी चंदे को पारदर्शी बनाने के लिए अपनी योजना पर चलते हुए केन्द्रीय वित्त मंत्री अरुण जेतली ने ‘इलैक्टोरल बांड’ शुरू करने की घोषणा कर दी है।

चुनावी बांड योजना के तहत चंदा देने वाला व्यक्ति केवल चैक और डिजिटल भुगतान के तहत निर्धारित बैंक से बांड खरीद सकता है। ये बांड एसबीआई की चुनिंदा शाखाओं से खरीदे जा सकेंगे। हालांकि इसके लिए दानदाता को केवल केवाईसी डिटेल देनी होगी। ये बांड जनवरी, अप्रैल, जुलाई आैर अक्तूबर के दस दिनों में बिक्री के लिए उपलब्ध होंगे। इलैक्टोरल बांड एक हजार, दस हजार, एक लाख, दस लाख और एक करोड़ के गुणांक में होंगे। सरकार की ओर से यह भी कहा गया है कि चैक या ड्राफ्ट के जरिये राजनी​ितक दलों को दिए जाने वाले चंदे पर रोक नहीं लगाई जाएगी परन्तु बांड खरीदने वालों की पहचान गोपनीय रखी जाएगी। इस गोपनीयता के पीछे सरकार की दलील है कि नाम उजागर होने पर लोग विपक्ष या आयकर विभाग के निशाने पर आ सकते हैं। चुनावी चंदे में पारदर्शिता लाने के लिए यह एक अच्छी पहल है लेकिन सवाल यह है कि इससे कुछ बदलेगा? जब तक राजनीतिक दलों की नीयत साफ नहीं होगी, नीति से कुछ नहीं होने वाला।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

11 − 1 =

पंजाब केसरी एक हिंदी भाषा का समाचार पत्र है जो भारत में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली के कई केंद्रों से प्रकाशित होता है।