Trump's conviction: अमेरिका के इतिहास में गुरुवार का दिन शर्मनाक दिन रहा जब पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प को न्यूयार्क की अदालत में हशमनी मामले के 34 केसों में दोषी ठहरा दिया गया। अदालत ने उनको सजा सुनाए जाने की तारीख 11 जुलाई निर्धारित की। इस फैसले के साथ ही डोनाल्ड ट्रम्प पहले ऐसे पूर्व राष्ट्रपति बन गए हैं जिन्हें सजा सुनाई जाएगी। अदालत के फैसले ने अमेरिका में राष्ट्रपति पद के चुनावों के लिए लड़ाई में अहम मोड़ ला दिया है। यद्यपि डेमोक्रेटिक पार्टी उम्मीदवार और मौजूदा राष्ट्रपति जो बाइडेन के लिए एक सुनहरा अवसर हो सकता है। लेकिन अंतिम फैसला मतपेटी ही करेगी। इस फैसले ने एक बात फिर से यह साबित कर दी है कि अमेरिका का लोकतंत्र काफी मजबूत है। वहां कानून की नजर में हर कोई बराबर है। अगर डोनाल्ड ट्रम्प प्रभावशाली व्यक्ति हैं तो भी वहां की अदालत ने उनके खिलाफ फैसला दिया है और इन मामलों में उन्हें 4 साल की सजा तक हो सकती है। कानून सभी के लिए बराबर होना चाहिए।
भारत के बारे में कानून को लेकर लोगों की राय बहुत अलग-अलग है। एक संवाद अक्सर सुनाई देता है कि कानून एक ऐसा मकड़जाल है जिसमें कीट पतंगे तो फंस जाते हैं लेकिन बड़े जानवर मकड़जाल को तोड़कर निकल जाते हैं। प्रभावशाली व्यक्तियों के केस वर्षों तक लटकते रहते हैं। तब तक वह अपने पद और प्रतिष्ठा का पूरा आनंद उठा लेते हैं। फिर जाकर फैसले होते हैं। भारत में कई ऐसे मामले चर्चित हैं। इस लिहाज से देखा जाए तो अमेरिका के कानून ने एक नया उदाहरण स्थापित किया है।
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प पर पोर्न स्टार स्टॉर्मी डेनिएल्स को साल 2016 में चुनाव से पहले 1 लाख 30 हजार डॉलर का भुगतान करने का आरोप है। अमेरिकी अखबार वॉल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट के मुताबिक ट्रम्प के वकील माइकल कोहेन ने पोर्न स्टार को यह रकम उनके अफेयर की बात सार्वजनिक नहीं करने के समझौते के तहत दी थी। जानकारी के मुताबिक पोर्न स्टार उस दौरान उनके अफेयर की कहानी को बेचने के लिए कथित तौर पर अमेरिका के ही एक अखबार नेशनल इंक्वायरर के संपर्क में थीं।
ट्रम्प पर आरोप है कि पोर्न स्टार को उन्होंने चुप कराने के लिए बड़ी रकम का भुगतान किया था। उन पर मामला यह है कि जो रकम उन्होंने अपने वकील के जरिए पोर्न स्टार को दी थी वो लीगल नहीं थी। पोर्न स्टार तक पहुंचाई जाने वाली रकम वकील कोहेन को लीगल फीस के रूप में दी गई थी। न्यूयॉर्क सरकार के वकीलों का कहना है कि यह मामला ट्रंप की तरफ से उनके दस्तावेजों के साथ हेराफेरी से जुड़ा है, इसे न्यूयॉर्क में एक आपराधिक मामले के रूप में दर्ज किया गया है।
अदालत के फैसले के बाद ट्रम्प के प्रचार अभियान की टीम ने उन्हें राजनीितक बंदी के रूप में पेश किया। जिसके बाद बड़ी संख्या में अमेरिकियों ने रिपब्लिकन पार्टी को चंदा देना शुरू कर दिया। इस कोर्ट के फैसले के बाद अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन को तो खुश होना चाहिए लेकिन वह आैर परेशान दिखाई दे रहे हैं। जो बाइडेन की परेशानी के एक नहीं अनेक कारण हैं। अमेरिकी संविधान में राष्ट्रपति उम्मीदवार के लिए न्यूनतम पात्रता की जरूरत होती है। जैसे कि उम्र कम से कम 35 साल हो, अमेरिका का आजन्म नागरिक हो या अमेरिका में कम से कम 14 साल रहा हो। आपराधिक रिकॉर्ड वाले उम्मीदवार को चुनाव लड़ने से रोकने वाला कोई कानून नहीं है। जेल में बंद व्यक्ति भी राष्ट्रपति का चुनाव लड़ सकता है। इस तरह नवम्बर में होने वाले अमेरिकी राष्ट्रपति के चुनाव में डोनाल्ड ट्रम्प उम्मीदवार बने रह सकते हैं।
दरअसल, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन की परेशानी की वजह भी डोनाल्ड ट्रंप ही हैं। जो बाइडेन को शक है कि डोनाल्ड ट्रम्प अब अमेरिकी चुनाव में खुलकर पैसों का इस्तेमाल करेंगे। अदालत के फैसले के बाद डोनाल्ड ट्रम्प फंड रेजिंग का एक नया रिकॉर्ड बनाएंगे, बाइडेन की टीम ने अपने चुनावी कैंपेन वाले संदेश में अपने समर्थकों को इस बात को लेकर आगाह किया है। टीम बाइडेन ने कैंपेन के हिस्से के रूप में अपने समर्थकों को टेक्स्ट वार्निंग भेजा है। संदेश में लिखा है, 'यह वे पैसे हैं, जिनका उपयोग डोनाल्ड ट्रम्प व्हाइट हाउस में वापस आने के लिए करेंगे, ताकि अपने राजनीतिक विरोधियों के खिलाफ बदला लेने और प्रतिशोध की धमकियों को पूरा कर सकें।'
चुनावी सर्वेक्षणों में भी डोनाल्ड ट्रम्प बाइडेन से कहीं आगे दिखाई दे रहे हैं। अब सवाल उठता है कि क्या ट्रम्प जेल जाएंगे। इसका जवाब अभी नहीं दिया जा सकता। दरअसल, अमेरिका में बिजनेस रिकॉर्ड छिपाना या उसमें धोखाधड़ी करना बड़ा अपराध माना जाता है। इसमें जुर्माना और जेल दोनों के प्रावधान हैं। अब सवाल उठता है कि क्या डोनाल्ड ट्रम्प को जेल की सजा होगी? तो प्रथमदृष्टया यह संभव नहीं दिखता है। उन पर जुर्माना लगाया जा सकता है या फिर उन्हें नजरबंद रखा जा सकता है। मगर जेल की सजा हो, यह शायद संभव नहीं। इसकी वजह यह है कि अमेरिका में फर्स्ट टाइम ऑफेंडर को जेल की सजा रेयरेस्ट ऑफ द रेयर केस में ही मिलती है। इसमें भी देखा जाता है कि उसका क्रिमिनल बैकग्राउंड है या नहीं। हालांकि, यह सब कुछ जज और केस की मेरिट पर डिपेंड करता है।
डोनाल्ड ट्रम्प का कहना है कि यह एक धांधली वाला और शर्मनाक मुकद्दमा है। लेकिन वह अपनी लड़ाई कानूनी रूप से लड़ेंगे। आपराधिक रिकॉर्ड वाले लोगों के चुनाव लड़ने की छूट पर अमेरिकी संविधान और लोकतंत्र की आलोचना तो करनी ही पड़ेगी। इस मामले में मैं अमेरिकी लोकतंत्र की तारीफ नहीं कर सकता। फैसला अमेरिकी जनता को करना है क्योंकि लोकतंत्र में जनादेश ही सर्वोच्च होता हैै।
आदित्य नारायण चोपड़ा
Adityachopra@punjabkesari.com