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वैक्सीन पर विश्वास करें

कोरोना संक्रमण का टीका (वैक्सीन) बना कर भारत के चिकित्सीय वैज्ञानिकों ने सिद्ध कर दिया है कि इस विधा में वह दुनिया के अग्रणी कहे जाने वाले देशों से पीछे नहीं हैं।

कोरोना संक्रमण का टीका (वैक्सीन) बना कर भारत के चिकित्सीय वैज्ञानिकों ने सिद्ध कर दिया है कि इस विधा में वह दुनिया के अग्रणी कहे जाने वाले देशों से पीछे नहीं हैं। भारत के सीरम संस्थान ने ब्रिटेन की ‘आक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका’ वैक्सीन के फार्मूले पर ‘कोविशील्ड’ वैक्सीन पुणे के अपने संस्थान में विकसित की जबकि भारत-बायोटेक कम्पनी ने पूरी तरह भारतीय शोध पर आधारित वैक्सीन ‘कोवैक्सीन’ तैयार की। इन दोनों को ही भारत के चिकित्सा नियन्त्रण तन्त्र ने आपातकालीन प्रयोग के उपयुक्त माना। कोरोना का टीका तैयार करना निश्चित रूप से भारत के लिए गौरव की बात है और यह कार्य राजनीति से प्रेरित न होकर मानवता की सेवा से प्रेरित है। जाहिर है कोरोना संकट से निपटना किसी भी सरकार का दायित्व था। अतः केन्द्र की भाजपा नीत मोदी सरकार ने इस कार्य में दिलचस्पी दिखाई और वैज्ञानिकों को प्रेरित किया, परन्तु उत्तर प्रदेश के मुख्यमन्त्री रहे समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इसे भाजपा की वैक्सीन का नाम देते हुए कह दिया कि ‘वह वैक्सीन नहीं लगवायेंगे क्योंकि उन्हें भाजपा पर भरोसा नहीं है।’  पक्के तौर पर यह भारत का अपमान है और देश व जनहित के विरुद्ध दिया गया बयान है। यह समझ से परे है कि किसी भी वैज्ञानिक खोज में किसी भी राजनीतिक दल का क्या हाथ हो सकता है? 
वैक्सीन पर किसी राजनीतिक दल का ‘पेटेंट’ होना वैज्ञानिकों के लिए भी सिर घुमा देने वाला सवाल है। श्री यादव इस बात पर राजनीति जरूर कर सकते हैं कि उनके राज्य उत्तर प्रदेश में कोरोना पर नियन्त्रण पाने में क्या-क्या ढिलाई बरती गई या प्रशासनिक अदूरदर्शिता दिखाई गई परन्तु यह नहीं कह सकते कि जब राज्य की योगी सरकार यह कह रही है कि उत्तर प्रदेश में कोरोना पर नियन्त्रण पा लिया गया है तो वैक्सीन की क्या जरूरत है? दरअसल अखिलेश बाबू अपने बयान की गंभीरता को न समझते हों एेसा नहीं माना जा सकता क्योंकि वह अच्छे-खासे पढे़-लिखे इंसान हैं। इसमें भी कोई दो राय नहीं हो सकती कि उनका बयान पूरी तरह सियासी रंग में रंगा हुआ है क्योंकि इस बहाने वह आम जनता के बीच उस समुदाय या वर्ग की सहानुभूति बटोरना चाहते हैं जो भाजपा का विरोधी माना जाता है। श्री यादव ने वैक्सीन की दक्षता या परीक्षण सफलता के बारे में कोई प्रश्न खड़ा नहीं किया बल्कि इसे भाजपा की वैक्सीन बता दिया और कहा कि जब उनकी सरकार आयेगी तो वह जनता को वैक्सीन मुफ्त में लगवायेंगे। इसी से उनकी राजनीतिक नीयत का पता चलता है जिसमें भारत के वैज्ञानिकों की मेहनत को हिकारत से देखने की धृष्टता की गई है। हालांकि उन्होंने बाद में एक ट्वीट करके सफाई दी कि वे वैज्ञानिकों के शोध पर शक नहीं कर रहे हैं मगर तीर तो उन्होंने कमान से पहले ही छोड़ कर समस्त देशवासियों के सामने साफ कर दिया कि उन्हें भाजपा पर भरोसा नहीं है। 
हकीकत यह है कि उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी की राजनीति सिर्फ भाजपा विरोध पर ही टिकी हुई है। अतः इस पार्टी के नेता इस राजनीति के चलते हर मुद्दे पर राज्य के समाज को सम्प्रदायों में बांटने की कोशिश करते हैं। यदि एेसा न होता तो क्यों समाजवादी पार्टी का ही एक विधान परिषद का सदस्य श्री यादव के बयान के बाद यह वक्तव्य देता कि इस वैक्सीन के लगाने के बाद लोगों की प्रजनन क्षमता में अवरोध आ सकता है लेकिन इस बहाने फिलहाल कांग्रेस पार्टी में हाशिये पर पड़े हुए नेता राशिद अल्वी ने नहले पर दहला मारते हुए यह बयान दे दिया कि भाजपा इस वैक्सीन के बहाने विपक्ष को ही समाप्त कर देना चाहती है। यह पूरी तरह बेहूदा बयान है जो 2022 के उत्तर प्रदेश चुनावों को देखते हुए दिया गया है। श्री अल्वी कांग्रेस में आने से पहले बहुजन समाज पार्टी में थे।  वह समाजवादी पार्टी में पुनः प्रवेश पाने की भूमिका बना रहे हैं।  इसका आंकलन प्रत्येक राजनीतिक विश्लेषक आसानी से कर सकता है। श्री यादव का बयान भी कमोबेश इन चुनावों को ही ध्यान में रख कर दिया गया है जिससे भाजपा विरोधी वर्ग पुनः उनके पाले में आ सके मगर इस काम के लिए पर्दे की ओट से जनहित से जुड़े स्वास्थ्य जैसे मुद्दे को सीढ़ी बनाना पूरी तरह अवांछनीय है जिससे ऐसी पार्टियों की दुर्दशा का अन्दाजा लगाया जा सकता है। वैसे तो कांग्रेस के सांसद शशि थरूर ने भी इन वैक्सीनों को लेकर कुछ सवाल खड़े किये हैं मगर वे पूरी तरह तकनीकी हैं।  उनका कहना है कि इस मामले में जल्दबाजी की गई।
 भारत बायोटैक के टीके  ‘कोवैक्सीन’ को लेकर उनकी आशंका में वजन हो सकता है क्योंकि इसके प्रायोगिक परीक्षण का तीसरा दौर अभी पूरा नहीं हुआ जिससे यह पता चल सके कि इसे लगाने के बाद मानव प्रतिक्रिया कैसी होती है। इसके बावजूद प्रारम्भिक दो परीक्षणों में यह वैक्सीन खरी उतरी है और परिणाम अनुकूल आये हैं मगर जनहित में यह वाजिब होता कि श्री थरूर सांसद होने के नाते अपनी आशंकाएं विशेषज्ञ दल के सामने उठाते और सार्वजनिक रूप से टिप्पणी करने से बचते। फिलहाल शुरू में सरकार की योजना तीन करोड़ लोगों को वैक्सीन लगाने की है।  इनमें चिकित्सा क्षेत्र व प्रशासकीय क्षेत्र से जुड़े लोगों के अलावा इन्हें मदद देने वाले क्षेत्र से जुड़े लोग भी होंगे। इन सबको आक्सफोर्ड वैक्सीन कोविशील्ड ही दी जायेगी। अतः भारतवासियों को इस बात का जश्न मनाना चाहिए कि कोरोना वैक्सीन उनकी पहुंच में आने वाली है न कि अखिलेश यादव जैसे क्षेत्रीय नेताओं के राजनीति प्रेरित बयानों को गंभीरता से लेना चाहिए क्योंकि उत्तर प्रदेश में पिछले तीस साल से जिस प्रकार की राजनीति चल रही है वह आम आदमी में वैज्ञानिक सोच पैदा करने के खिलाफ की ही चल रही है। यह राजनीति मतदाता को जात-बिरादरी व सम्प्रदाय में बांट कर ‘कूप मंडूक’ बनाये रखने की सियासत के अलावा और कुछ नहीं है। जिसके चलते यह प्रदेश अपनी वैज्ञानिक विरासत भूलता जा रहा है।

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