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बेरोजगारी खात्मे की एक बड़ी पहल!

इसमें कोई शक नहीं कि देश में बेरोजगारी एक बड़ी समस्या है। भारतीय अर्थव्यवस्था पर बेरोजगारी का यह कलंक पुरानी सरकारों की देन है या नहीं हम इस मामले में बहस नहीं करना चाहते। हमें तो यह पता है कि इतनी बड़ी बेरोजगारी की समस्या को महज 5 साल में खत्म नहीं किया जा सकता।

इसमें कोई शक नहीं कि देश में बेरोजगारी एक बड़ी समस्या है। भारतीय अर्थव्यवस्था पर बेरोजगारी का यह कलंक पुरानी सरकारों की देन है या नहीं हम इस मामले में बहस नहीं करना चाहते। हमें तो यह पता है कि इतनी बड़ी बेरोजगारी की समस्या को महज 5 साल में खत्म नहीं किया जा सकता। हालांकि राजनैतिक ​विश्लेषकों और अर्थशास्त्रियों का कहना है कि अर्थव्यवस्था की मजबूती के लिए योजनाओं की नहीं जमीनी स्तर पर उद्योग-धंधे लगाने की जरूरत है। 
पीएम मोदी ने 2014 में जब पहली बार सत्ता हासिल की और अब जब 2019 आया तो एक बड़ा फर्क भी सामने आया है। बेरोजगारी खत्म करने को लेकर मोदी सरकार-2 ने एक अच्छी पहल की है जिसका स्वागत किया जाना चाहिए। खुद पीएम मोदी ने 2 हाई लेबल कैबिनेट कमेटियां गठित कर दी हैं जो यह पता लगाएंगी कि बेरोजगारी को लेकर असली स्थिति क्या है? हम तो यही कहेंगे कि कर्तव्यपरायणता और राष्ट्रवाद को लेकर मोदी सरकार ने सही काम कर दिया। वैसे आंकड़े बता रहे हैं कि देश में अभी लगभग साढ़े 23 लाख नौकरियां भरी जानी हैं। इनमें बीए, एमए और पीएचडी जैसे लोग हैं जो आज भी नौकरियां तलाश रहे हैं। इतने ज्यादा खाली पद हमारे सामने हैं और इससे पिछला बेकलॉग कितना बड़ा है वह यहां बयां नहीं किया जा सकता, लेकिन सरकार की पहल का स्वागत तो किया ही जाना चाहिए। जब पूरी दुनिया में आर्थिक मंदी चल रही हो तब अगर आपको सत्ता मिली हो तो बेरोजगारी आपको विरासत में मिलेगी, मोदी सरकार के साथ भी यही हुआ। 
यूं तो कागजों में बेरोजगारी की दर को आप कितने भी प्रतिशत कह लें, परंतु यह हकीकत है कि नौकरियों के मामले में आंकड़े महज 5-6 साल के नहीं निकाले जा सकते और पिछले 40 सालों पर अगर गौर करें तो बेरोजगारी का आंकड़ा 7 प्रतिशत तक जा बैठता है। सरकार के अपने महकमों में और उसकी अपनी कंपनियों में अगर नौकरियां नहीं निकल रहीं तो लोगों में झुंझलाहट पैदा होगी और उनका आक्रोश बढ़ेगा। ऐसे में राजनीतिक पार्टियां हमारे देश के लोकतंत्र में मुद्दा बनाने में देर नहीं करतीं लेकिन सरकार की अपनी नीति भी होनी चाहिए। इस मामले में मोदी सरकार ने साफ कहा है कि 2019 में बेरोजगारी को हमने बड़ी प्राथमिकता के रूप में लिया है, इसीलिए उसका सर्वे कराया जा रहा है। बड़ी बात यह है कि इसमें रेहड़ी, पटरी और खोमचे वालों को भी शामिल किया गया है।
 बेरोजगारी को लेकर अब अधिकारी जब टेबल पर बैठकर काम करेंगे तो महज आंकड़ों पर बहस नहीं होनी चाहिए बल्कि जमीनी हकीकत रखकर बेरोजगारी खत्म करने के साधन जुटाए जाने चाहिएं। प्रधानमंत्री मोदी ने जहां गृहमंत्री अमित शाह को इस आर्थिक मोर्चे पर अपने साथ जोड़ा है तो वहीं अनेक मामलों में अपने सहयोगी वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण और रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह का अनुभव भी अपने मिशन में जोड़ा है। इन्वेस्टमेंट और स्किल डेवलपमेंट को लेकर मोदी जी ने ज्यादातर कमेटियों में अपने विश्वासपात्रों को लेकर विदेश नीति को भी सामने रखा है। 
कुल मिलाकर देश तभी शक्तिशाली होगा यदि हर मोर्चे पर काम करने वाले लोग ईमानदारी से डटेंगे, इसीलिए नीति आयोग में भी प्रधानमंत्री ने श्री अमित शाह को पदेन सदस्य बनाकर इरादे जाहिर कर दिए हैं कि आर्थिक मोर्चे पर देश को मजबूत बनाना है और साथ ही नीतिगत मामलों को लेकर बेरोजगारी की बढ़ती बेल को जड़ से काटना है। सच बात यह है कि महंगाई, मुद्रास्फीति जैसे मामले सिर उठा रहे हैं। इसका हल निकालना ही होगा और सबसे बड़ी बात है कि सरकार ने पहल शुरू कर दी है। आने वाले दिनों में उम्मीद की जानी चाहिए कि बेरोजगारी को लेकर सवाल उठाना आसान नहीं होगा, क्योंकि श्रम एवं रोजगार के साथ-साथ गरीब लोगों की आर्थिक स्थिति मजबूत करना भी अब सरकार की प्राथमिकता है।
 हमारे देश में बैंकिंग व्यवस्था को लेकर सवाल उठते रहे हैं लेकिन जिस तरह फाईनेंस मामले पर पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेतली सरकार के संकटमोचक बने रहे आज ऐसे ही एक पावरफुल वित्त मंत्री की जरूरत है। निर्मला सीतारमण के रूप में उम्मीद की जानी चाहिए वह जेतली जी का विकल्प बनकर कुछ ऐसे पग उठाएंगी जो उद्योगों की स्थापना में बहुत कारगर सिद्ध होंगे। जब बेरोजगारी बढ़ रही हो तब अगर नई-नई इंडस्ट्री स्थापित हो जाए तो बहुत कुछ पाया जा सकता है। बाजार में आपके माल की मांग बढ़नी चाहिए और अंतर्राष्ट्रीय जगत में हमें अपनी पहचान बनानी है तो चीन जैसे लोग भी हमारे सामने हैं। बेरोजगारी और विकास को लेकर पहिया कभी अटकना नहीं चाहिए। डॉलर की तुलना में रुपए की मजबूती चाहिए तो कंपीटिशन के मामले में भारत के प्रोडक्ट की मांग बढ़नी चाहिए। अब विकास दर का भी हमें ध्यान रखना है।
 हमें छोटे और मध्यम वर्ग के साथ-साथ बड़े वर्ग का भी ध्यान रखना है तभी आप सबको खुश रख सकते हो, लेकिन आर्थिक मोर्चे पर  मोदी सरकार ने जो रास्ता चुना है उसमें बेरोजगारी को नंबर-1 माना है। जिस तरह सरकार ने अपनी पारी शुरू करते ही इस बेरोजगारी को लेकर मोर्चा लगाया है तो आपकी पारी को एक मजबूती मिलेगी और उम्मीद ही नहीं यकीन है कि गृहमंत्री अमित शाह को इस फ्रंट पर लाकर खुद प्रधानमंत्री मोदी अपना मार्गदर्शन देते हुए आगे की राहें बना रहे हैं और भारत अपनी मंजिल पा ही लेगा, क्योंकि सरकार की नीति स्पष्ट है और उसकी नीयत में खोट नहीं है। देशवासियों का विश्वास है तभी तो सब मोदी सरकार के साथ हैं।

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