प्रधानमंत्री का यह मंत्र वाकई समझने और व्यावहारिक रूप से अपनाने वाला है। उन्होंने ट्विटर पर इस जन आंदोलन की शुरूआत की, जिसका बहुत से नामी-गिरामी एक्टर और समाजसेवी सैलिब्रिटीज ने फालो किया। रिट्विट किया। उन्होंने दोनों भाषणों में ट्विट कर लोगों से अपील की जब तक कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए कोई टीका नहीं बन जाता तब तक उन्हें हर सावधानी बरतनी है और तनिक भी ढिलाई नहीं करनी चाहिए। कोरोना से लड़ने के लिए एकजुट हों। हमेशा याद रखें मास्क जरूर पहनें, हाथ साफ करते रहें। सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करो, दो गज की दूरी रखें। उन्होंने कहा, ‘‘जब तक दवाई नहीं, तब तक ढिलाई नहीं।’’
वाक्य में देख रही हूं कि लोग घरों में बैठकर या घर से काम (वर्क एट होम) करके तंग आ चुके हैं। यही नहीं घर पर आनलाइन क्लासों से माओं पर भी बोझ बढ़ गया है। सभी इतने तंग आ रहे हैं कि कई लोग डिप्रेशन की गिरफ्त में आ रहे हैं। मैंने अपने बुजुर्गों को व्यस्त-मस्त करने के लिए आनलाइन प्रतियोगिता रख दी जो इंटरनेशनल बन गई, क्योंकि यह समस्या इंटरनेशनल है। सभी भय, अवसाद से ग्रस्त हैं और मैं अब भी उनको व्यस्त रखने का प्रयत्न कर रही हूं और जरूरतमंदों को घर में सहायता पहुंचा रही हूं और जब आम लोगों से बातचीत करती हूं तो कइयों के मुंह से सुन रही हूं कि अब तो तंग हो गए जो होना है हो जाए, हम तो बाहर भी जाएंगे। हमें तो चेंज चाहिए आदि… परन्तु मैैं तो यही कहूंगी, ठीक है परन्तु जरा सम्भलकर, क्योंकि इसमें कोई संदेह नहीं कि कोरोना ने दिल्ली, देश और दुनिया को बुरी तरह प्रभावित किया है लेकिन यह भी सच है कि पूरी दुनिया में यह भारत ही है जिसकी हैल्थ रिकवरी रेट सबसे बेहतरीन है। जहां डेथ संख्या एक लाख का आंकड़ा पार कर गई है वहीं हमारे यहां प्रभावित कोरोना मरीजोंं की संख्या भी प्रतिदिन पूरे देश में 70-75 हजार औसत से चल रही है। अब आने वाली 15 अक्तूबर से अनलॉक 5 शुरू होगा अर्थात कोरोना को लेकर जो एहतियात, जो लॉकडाउन से पहले लगाए गए थे वह अब अनलॉक के अलग-अलग चरणों के माध्यम से आगे बढ़ रहे हैं। धीरे-धीरे रात का कर्फ्यू खत्म हुआ, बाजार खुलने लगे और अब इस कड़ी में सिनेमाघर 50 प्रतिशत की कैपिसिटी से खुलने जा रहे हैं। दिल्ली वालों के लिए यकीनन यह एक खुशखबरी है। शराब घर यानि कि बार पहले ही खुल चुकी है और अब आम परिवारों के लिए रेस्टोरेंट भी सातों दिन खुलने जा रहे हैं। लेकिन एक चौंकाने वाली बात यह है कि दिल्ली में अभी भी बहुत संभलने की जरूरत है। प्रतिदिन दो-तीन हजार कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या है। तीन लाख से ज्यादा लोग प्रभावित हैं। तो हम यही कहेंगे कि संभलने की जरूरत है। कोरोना अभी इतनी जल्दी खत्म होने वाला नहीं है। यह हम नहीं कहते बल्कि भारत में एम्स, स्वास्थ्य मंत्रालय और अन्य स्वास्थ्य संगठनों की ये चेतावनी और उनके द्वारा दिये गये निर्देशों का पालन अगर हम नहीं करेंगे तो हम कभी भी कोरोना की चपेट में आ सकते हैं।
दिल्ली के बारे में एक बात और भी चौंकाने वाली है कि खुद मुख्यमंत्री केजरीवाल हो या देश के प्रधानमंत्री मोदी इन्होंने यही अपील की है कि भले ही अनलॉक पांच हो रहा है लेकिन मास्क का पहनना अनिवार्य है और दो गज की दूरी अर्थात सोशल डिस्टेंसिंग का पालन भी जरूरी है। दुर्भाग्य से यह सब नहीं हो रहा। अगर नहीं संभले तो हालात गंभीर भी हो सकते हैं केवल सड़क पर चलते हुए या वाहन पर चलते हुए अगर एक आवश्यक चेतावनी यह कहकर कि सावधानी हटी और दुर्घटना घटी, हम अलर्ट रहते हैं। अब दिल्ली वालों को भी याद रखना चाहिए कि सावधानी से ही बचाव है। सावधानी से चूकना नहीं चाहिए। दिल्ली के पार्कों या सड़कों पर लोगों का आना बहुत तेजी से बढ़ रहा है। ये उन सब के लिए अच्छा नहीं है। लोग यह समझे कि उन्हें खुद बचना है और अपने परिवार वालोंं को बचाना है। सरकारी आदेश स्पष्ट है कि सुबह या शाम की सैर से बचें तो अच्छा है हालांकि सोशल गेदरिंग पर अब सौ से ज्यादा लोगों के इकट्ठे होने की छूट मिल चुकी है लेकिन इसका मतलब यह तो नहीं कि हम पांच सौ या हजार की भीड़ में इकट्ठे होने लगे।
डॉक्टर लोग बाकायदा निर्देश जारी कर रहे हैं और सर्दियों के आने पर कोरोना की लहर लौटने की चेतावनियां भी जारी कर रहे हैं। यह सब इसलिए है कि हम एहतियात बरतें अगर इम्युनिटी मजबूत नहीं हुआ तो कुछ भी हो सकता है। कई बड़े-बड़े लोग कोरोना से प्रभावित हुए और ठीक भी हुए लेकिन यह भी तो सच है कि जो लोग ठीक हुए हैं वे मौत के मुंह में जाते-जाते बचे हैं। डॉक्टर सतेंद्र जैन जो दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री हैं और डिप्टी सीएम मनीष सिसौदिया भी कोरोना के साथ-साथ डेंगू से प्रभावित रहे। हमारे गृहमंत्री श्री अमित शाह जी भी कोरोना से प्रभावित रहे लेकिन नियमित क्वारंटिन होकर और उचित इलाज कर वे ठीक हुए और अब भी ये सब लोग सोशल डिस्टेंसिंग और मास्क लगाकर नियमों का पालन कर रहे हैं। दिल्ली वालों को इससे सबक लेना चाहिए कि इतने बड़े लोग जब नियमों का पालन कर सकते हैं और फिर भी ये लोग देश और दिल्ली के लोगों के हैल्थ को स्वस्थ बनाए रखने के लिए ज्यादा से ज्यादा सुविधाएं प्रदान कर रहे हैं तो हमारा फर्ज बनता है कि हम भी नियमों का पालन करें हालांकि आज की तारीख में दिल्ली में अस्पतालों में पर्याप्त बेड हैं। अच्छा है कि किसी को बीमार होकर अस्पतालोंं में न जाना पड़े। दिल्ली वाले ध्यान रखें कि अगर सुविधाएं हैं तो यह सरकारी ड्यूटी है और सरकारी कर्त्तव्यपरायणता के तहत लोगों की हेल्थ का ध्यान रख रही है लेकिन खुद दिल्ली वालों को अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखना होगा और एहतियात रखने होंगे वरना दुर्घटना घट जायेगी।