तेलुगू बनाम तमिल की लड़ाई बना अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव

तेलुगू बनाम तमिल की लड़ाई बना अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव
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भारत में सोशल मीडिया उपयोगकर्ता आगामी अमेरिकी राष्ट्रपति चुनावों को लेकर उतने ही उत्साहित हैं, जितने अमेरिकी। अमेरिका के साथ भारत का मजबूत संबंध है। उपराष्ट्रपति पद के लिए डेमोक्रेट उम्मीदवार कमला हैरिस की मां तमिलनाडु से थी और इसी पद के लिए रिपब्लिकन उम्मीदवार वेंस की पत्नी ऊषा चिलुकुरी का परिवार आंध्र प्रदेश से है। नतीजतन, भारतीय सोशल मीडिया की दुनिया में, अमेरिकी चुनाव आंध्र प्रदेश बनाम तमिलनाडु या तेलुगू बनाम तमिल की लड़ाई बन गए हैं। और उपयोगकर्ता हाल ही में हुए लोकसभा चुनावों की तरह ही दूर-दराज के चुनावों में भी शामिल दिख रहे हैं।
अमेरिका में सबसे बड़े चुनाव में भारत का कनेक्शन दर्शाता है कि उस देश में भारतीयों की कितनी ऊंची उड़ान है और सभी स्तरों पर अमेरिकी समाज में प्रवासी भारतीय समुदाय का कैसा प्रभाव है। चाहे कोई भी जीत जाए, चाहे वह डोनाल्ड ट्रंप और जेडी वेंस की रिपब्लिकन टीम हो या डेमोक्रेट जो बाइडेन और उनकी साथी कमला हैरिस, अमेरिका में इस चुनावी मौसम का स्वाद भारतीय होगा, जो दोनों देशों के बीच और भी करीबी द्विपक्षीय संबंधों के लिए मंच तैयार करेगा।
कहीं कंगना पर भारी नहीं पड़ जाए आधार
भारत में जन्म से लेकर मृत्यु तक हर चीज के लिए आधार कार्ड जरूरी हो गया है। अब ऐसा लगता है कि हिमाचल प्रदेश के मंडी निर्वाचन क्षेत्र में कम से कम अपने स्थानीय सांसद से मिलने के लिए भी आधार कार्ड जरूरी हो गया है। मंडी से सांसद फिल्म अभिनेत्री कंगना रनौत ने मंडी में अपने कार्यालय में उनसे मिलने के इच्छुक लोगों के लिए इसे एक पूर्व शर्त बना दिया है। उनके निर्वाचन क्षेत्र के लोगों से कहा गया है कि उन्हें उनसे मिलने के उद्देश्य को बताते हुए एक लिखित अनुरोध के साथ अपना आधार कार्ड जमा करना होगा। यह भारत में पहली बार हुआ है। किसी भी सांसद ने कभी भी मतदाताओं से आग्रह नहीं किया है कि वे उनसे संपर्क करने से पहले निवास के प्रमाण के रूप में अपना आधार कार्ड जमा करें।
रनौत का तर्क है कि चूंकि हिमाचल प्रदेश तेजी से बढ़ता पर्यटन स्थल है, इसलिए यहां बाहरी लोग भी उनसे मिलना चाहते हैं। कोई सेल्फी लेना चाहेगा, कोई ऑटोग्राफ लेना चाहेगा, कोई तीसरा सिर्फ हाथ मिलाना चाहेगा। उन्होंने अपने कार्यकर्ताओं से कहा है कि इससे मंडी निर्वाचन क्षेत्र के मतदाताओं की मदद करने की उनकी इच्छा में बाधा आएगी। गौरतलब है कि कई फिल्म अभिनेता लोकसभा सांसद बन चुके हैं, लेकिन किसी ने भी अपने मतदाताओं के लिए यह शर्त नहीं रखी। उदाहरण के लिए, हेमा मालिनी मथुरा का प्रतिनिधित्व करती हैं, लेकिन क्षेत्र के सांसद के रूप में उनके काम में आधार कार्ड आड़े नहीं आता। अगर रनौत मंडी में खुद को लोकप्रिय बनाना चाहती है, तो उन्हें जनप्रतिनिधि होने के बारे में कुछ बातें सीखनी होंगी। उनके प्रतिद्धंद्वी जिन्हें उन्होंने हालिया चुनाव में हरा दिया था वह उनकी हर कमजोरी को उजागर करना चाहेंगे।
अब कार्यकर्ताओं को साधने में जुटी भाजपा
लोकसभा चुनावों में भाजपा के निराशाजनक प्रदर्शन और हाल के उपचुनावों में उसकी करारी हार के बाद, भाजपा नेताओं ने आम कार्यकर्ताओं की तारीफ करना शुरू कर दिया है। इसमें शामिल होने वाले नवीनतम व्यक्ति उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत हैं। राज्य में दो विधानसभा उपचुनावों में पार्टी की हार के बाद, जिसमें बद्रीनाथ का महत्वपूर्ण तीर्थस्थल भी शामिल है, रावत ने कहा कि पार्टी को यह नहीं भूलना चाहिए कि कार्यकर्ता सर्वोच्च है।
उन्होंने दिल्ली में हाईकमान में सत्ता के केंद्रीकरण का संकेत देते हुए एक कड़े बयान में चेतावनी दी कि फैसले शीर्ष से नहीं थोपे जाने चाहिए। उन्होंने यह बात भाजपा की प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में कही, जो उपचुनावों में हार की समीक्षा के लिए हुई थी। इससे साफ दिख रहा है कि भाजपा कार्यकर्ता को सर्वोच्च मानने के मंत्र को लेकर आगे बढ़ने की तैयारी कर रही है।
केशव प्रसाद मौर्य को मिल सकती है नई जिम्मेदारी
उत्तर प्रदेश में भाजपा के गलियारों में इस बात को लेकर अटकलें लगाई जा रही हैं कि उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य इस सप्ताह की शुरुआत में अचानक 48 घंटे के लिए दिल्ली क्यों गए। राजधानी में दो दिनों के दौरान उन्होंने पार्टी अध्यक्ष जे पी नड्डा से दो बार मुलाकात की। इससे यह चर्चा तेज हो गई है कि मौर्य को कोई नया कार्यभार सौंपा जा सकता है। यह कोई रहस्य नहीं है कि पार्टी हाईकमान और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बीच तनातनी चल रही है। यह भी कोई रहस्य नहीं है कि मौर्य मुख्यमंत्री बनने की महत्वाकांक्षा रखते हैं।
भाजपा के लोगों का मानना ​​है कि योगी को हटाने की स्थिति में पद के लिए लॉबिंग करने के लिए वह दिल्ली में थे लेकिन किसी ने योगी जैसे हिंदुत्व आइकन को सीएम पद से हटाने का साहस नहीं दिखाया है। योगी को आरएसएस के एक महत्वपूर्ण वर्ग का भी समर्थन प्राप्त है, जो मानता है कि वह यूपी में हिंदुत्व परियोजना के लिए एक संपत्ति हैं। अगर योगी हॉट सीट पर बने रहते हैं, तो भाजपा में कई लोगों का मानना ​​है कि ऐसी सूरत में मौर्य राज्य में अगले पार्टी प्रमुख हो सकते हैं लेकिन क्या यह संभव होगा इस पर राजनीतिक विश्लेषक चुप हैं। मौजूदा अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी ने लोकसभा चुनावों में यूपी में पार्टी की हार की जिम्मेदारी लेते हुए पद छोड़ने की पेशकश की है।

– आर.आर. जैरथ 

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