फाल्गुन की होली तो हो-ली। बीते साल भी होली के बाद संक्रमण में तेजी आई थी, लेकिन इस बार होली से पहले ही तेजी आ गई। कोराेना विषाणु के अनेक रूपांतरण सामने आ चुके हैं। जिस तरह की तस्वीरें देशभर में देखने को मिल रही हैं उससे साफ है कि लोग कोरोना नियमों का पालन नहीं कर रहे। धार्मिक स्थानों पर काफी भीड़ देखी गई। सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं, जबकि हमें भीड़भाड़ से बचने की जरूरत है। ऐसे में एक संक्रमित व्यक्ति कई लोगों को संक्रमित कर सकता है।
कई राज्य सरकारों ने क्लब, होटल एवं रेस्तरांओं में सार्वजनिक समारोहों पर रोक लगाई है। पांच राज्यों में चुनाव चल रहे हैं, चुनावी रैलियों के नाम पर संक्रमण से बचाव के तमाम नियमों को ताक पर रखकर लोग विशाल जमावड़ों में शामिल हो रहे हैं। देश के अनेक शहरों में रात का कर्फ्यू जारी है तो महाराष्ट्र में फिर से पूर्ण लॉकडाउन लगाने की नौबत आ चुकी है। धर्म और आस्था संवेदनशील विषय हैं लेकिन उत्सव धर्मिता के भी नियम कायदे होते हैं। अब हरिद्वार में कुम्भ चल रहा है। ऐसे आयोजनों में लोग कितनी सावधानी बरतेंगे इसका अनुमान लगाया जा सकता है। यद्यपि उत्तराखंड सरकार ने कुम्भ में एंट्री देने के लिए 72 घंटे पहले की टीपीसीआर टेस्ट की निगेटिव रिपोर्ट दिखाने और कोरोना वैक्सीन लगे होने की शर्त रखी है। अगर धार्मिक आयोजनों में प्रशासन सख्ती बरतता है तो भीड़ के हिंसक हो जाने का खतरा पैदा हो जाता है। लोग लापरवाही की हदें भी पार कर रहे हैं, जिसमें उन्हें एक और अपनी सेहत और जान की सुरक्षा की कोई चिंता नहीं तो दूसरी ओर कोरोना नियमों का पालन नहीं कर दूसरों के लिए भी मुसीबतें खड़ी कर रहे हैं।
छह राज्यों, महाराष्ट्र, पंजाब, कर्नाटक, तमिलनाडु, गुजरात आैर मध्य प्रदेश में 78 फीसदी मामले सामने आ रहे हैं। यदि इनमें केरल और छत्तीसगढ़ को भी जोड़ें तो यह आंकड़ा 84 फीसदी से अधिक हो जाता है। कोरोना की दूसरी लहर की गम्भीरता का अनुमान इस तथ्य से लगाया जा सकता है कि पहली लहर के दौरान संक्रमण के मामलों की संख्या 18 हजार से 50 हजार पहुंचने में जहां 32 दिन लगे थे, वहीं 11 मार्च से 27 मार्च के बीच 17 दिनों में मामले 18,377 से बढ़कर 50,518 हो गए।
लोगों की लापरवाही देखते हुए अब लड़ाई कोरोना वैक्सीनेशन और वायरस के बीच है। वायरस से मुकाबला अब केवल वैक्सीनेशन से ही हो सकता है। कोरोना की दूसरी लहर से चिंतित केन्द्र सरकार ने राज्यों को चेतावनी देते हुए कहा है कि कोरोना से सर्वाधिक प्रभावित जिलों में कान्टैक्ट ट्रेसिंग बढ़ाई जाए और दो सप्ताह में वैक्सीनेशन कवरेज को सौ फीसदी किया जाए। कोरोना से प्रभावित दस जिलों में 8 महाराष्ट्र के हैं और दिल्ली का एक जिला भी इस सूची में शामिल है। आज से 45 वर्ष से ऊपर वाले सभी लोगों को टीका लगाने का काम शुरू हो गया है। बहुत से लोगों को लगता है कि कोरोना वायरस के खिलाफ वैक्सीन आ गई है, अब सब कुछ ठीक हो गया है, लोगों ने कोरोना काे गम्भीरता से लेना छोड़ दिया है। तभी तो सुपर स्प्रेडर इवेन्ट्स हो रहे हैं। अब तक 6 करोड़ से भी ज्यादा लोगों को टीका लगाया जा चुका है और लगभग एक करोड़ लोगों को दूसरी डोज भी दी जा चुकी है। आबादी के बड़े हिस्से को टीका मिलने में अभी काफी समय लग सकता है। वैक्सीन हमारे देश के वैज्ञानिकों की बड़ी उपलब्धि है लेकिन वैक्सीन आने के बाद संक्रमण दर में बढ़ौतरी से सरकारों के हाथ-पांव फूलने लगे हैं। इसलिए जरूरी है, जो जिले सर्वाधिक प्रभावित हैं, वह सबसे पहले प्रत्येक को वैक्सीनेशन करने का अभियान युद्ध स्तर पर चलाना होगा। यह काम भी प्रशासन को एक पखवाड़े के भीतर करना होगा। देशवासियों को अपने जीवन की रक्षा और बीमार होने से बचने के साथ-साथ अर्थव्यवस्था की भी चिंता करनी चाहिए।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री डा. हर्षवर्द्धन और विशेषज्ञ डाक्टर टीकाकरण की गति तेज करने का आह्वान कर रहे हैं। प्रधानमंत्री लगातार संदेश दे रहे हैं कि लोगों को टीकाकरण अभियान में बढ़-चढ़ कर भाग लेना चाहिए। कुछ रिपोर्टों में कोरोना की दूसरी लहर के मई तक जारी रहने की बात कही गई है। वायरस के नए स्पो से भी महामारी घातक हो सकती है। इस समय पूरा देश जोखिम में है, ऐसे में किसी को भी लापरवाही नहीं करनी चाहिए। अगर लोगों ने कोरोना से लड़ाई में सहयोग नहीं दिया तो फिर देश एक बार फिर लॉकडाउन में फंस जाएगा। पंजाब और मध्य प्रदेश में स्कूल खुलने की उम्मीद थी लेकिन स्थितियां बदतर होने पर दोनों राज्यों ने स्कूलों की छुट्टियां बढ़ा दी हैं। पंजाब में तो कोरोना के पर्याप्त टेस्ट ही नहीं हो रहे। अच्छा यही होगा कि लोग स्वयं टीका लगवाने के लिए आएं और इस अभियान को और तेज किया जाए।