लोकसभा चुनाव 2024

पहला चरण - 19 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

102 सीट

दूसरा चरण - 26 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

89 सीट

तीसरा चरण - 7 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

94 सीट

चौथा चरण - 13 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

96 सीट

पांचवां चरण - 20 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

49 सीट

छठा चरण - 25 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

सातवां चरण - 1 जून

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

लोकसभा चुनाव पहला चरण - 19 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

102 सीट

वैलेंटाइन डे और पुलवामा अटैक

आज ‘वैलेंटाइन डे’ है-प्रेम और मस्ती में डूबे युवा वर्ग के लिए दुआ करना चाहता हूं कि परमात्मा उन्हें सुमति दे। आज के दिन एक बात अवश्य कहना चाहूंगा कि प्रेम की बहुत सी श्रेणियां हैं।

आज ‘वैलेंटाइन डे’ है-प्रेम और मस्ती में डूबे युवा वर्ग के  लिए दुआ करना चाहता हूं कि परमात्मा उन्हें सुमति दे। आज के दिन एक बात अवश्य कहना चाहूंगा कि प्रेम की बहुत सी श्रेणियां हैं। जीवन में प्रेम नहीं तो जीवन नीरस हो जाता है, करुणा नहीं तो समझ लो जीवन का एक रस खत्म हो गया। प्रेम की श्रेणियों में एक राष्ट्रप्रेम भी है। आज का सम्पादकीय उन राष्ट्रप्रेमी नागरिकों को, युवाओं को स​मर्पित है जो सड़ांध मारती राजनीति के मोहपाश में नहीं बंधे हैं। यह सही है कि इंटरनेट और सोशल मीडिया की दुनिया में दुनिया भर के उत्सव सार्वभौमिक हो गए हैं। भारत पर तो पाश्चात्य संस्कृति का प्रभाव कुछ ज्यादा ही है। भारतीय संस्कृति और  परम्परा में वैलेंटाइन डे एक आयातित पर्व है और यह पर्व भारतीय जीवन शैली और संस्कृति का अंग बन चुका है। 
बाजारवाद के तूफान ने हर पर्व को विशुद्ध व्यावसायिक बना डाला है। प्रेम जैसे निर्मल शब्द की आड़ में खुद को बर्बाद और दूसरों को बर्बाद करने वालों की भी कोई कमी नहीं। प्रेम मानवीय संबंधों की सशक्त नींव है, लेकिन अब इसे भोंडा प्रदर्शन बना दिया गया है। प्रेम है तो उसका इजहार तो किसी भी दिन किया जा सकता है, लेकिन  इजहार में भी शालीनता होनी चाहिए। वैलेंटाइन डे तो सबको याद है लेकिन याद रखना होगा कि 14 फरवरी, 2019 को ही जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में फिदायीन हमले में 42 सीआरपीएफ के जवान शहीद हो गए थे। देश पीड़ा में डूब गया था। 
मुझे याद है तब साहित्यकार केदारनाथ सिंह ने अपनी कविता के अंत में माफी के साथ लिखा था। ‘‘लौटना एक खूबसूरत क्रिया है। दुनिया लौटने के लिए ही घर से निकलती है। पंछी घोंसलों से बाहर जाते हैं और देर शाम लौटते हैं। काफिले लौटते हैं घरों की ओर, किसान लौटते हैं खेत से और  महानगर लौटते हैं अपने आशियाने की ओर मैं सोचता हूं उन लोगों के बारे में जो घरों से निकलते हैं कभी नहीं लौटने के लिए।’’मैं आज ही के दिन आतंकवादियों के कायराना हमले में शहीद देश के जवानों को याद कर श्रद्धांजलि देता हूं जो घर से कभी नहीं लौटने के ​लिए देश की सुरक्षा में तैनात रहे। मैं नमन करता हूं उन परिवारों को जिनकी आंखों में उम्रभर का इंतजार शेष है।
आज ही के दिन मैं कोटिल्ये  को स्मरण कर रहा हूं। नंद वंश का समूल नाश करने के पश्चात् उन्होंने जब सम्राट चन्द्रगुप्त को ​सिंहासन पर बैठाया तो एक दिन नीति शिक्षा देते हुए कहा-‘‘…और यह बात कभी मत भूलना सम्राट कि शिक्षा हमें कुत्ते से भी मिले तो उसे अवश्य ग्रहण करें।’’गृह स्वामी के गृह के बाहर बैठा कुत्ता अगर आंखें बंद कर सोया भी लगे तो यह भ्रम पाल लेना मूर्खता है कि वह सजग नहीं। श्वान निद्रा में मनुष्य को सजगतापूर्वक प्रहरी बनकर राष्ट्र की रक्षा सीखनी होगी।
आज हम कानून व्यवस्था के उस दौर से गुजर रहे हैं जो बदतर अवस्था में है। देश में बलात्कार की घटनाओं में लगातार बढ़ौतरी हो रही है और देश की न्यायिक व्यवस्था इतनी लचीली है कि फांसी की सजा प्राप्त अपराधी भी कानूनी दांव-पेचों का सहारा लेकर कानून का मजाक उड़ा रहे हैं। आश्चर्य होता है कि निर्भया के दोषियों की दया याचिका राष्ट्रपति द्वारा खारिज किए जाने के बाद भी वह अदालतों में याचिकाएं लगा रहे हैं। निर्भया की मां अदालत में आंसू बहाती है और कहती है कि ‘‘मैं भी इंसान हूं, दोषियों के डेथ वारंट जारी कर दीजिए।’’ कानून नियमों से बंधा है, दोषियों की पैरवी के लिए उन्हें वकील भी उपलब्ध कराया जा रहा है।
यह देश जयचंदों और मीर जाफरी से भरा पड़ा है। आज भी कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक षड्यंंत्र रचे जा रहे हैं। सवाल यह है कि देश का युवा वर्ग वैलेंटाइन डे की खुमारी में डूब रहा  तो भारतीय संस्कृति और सभ्यता की रक्षा कौन करेगा? समाज की मर्यादाएं और मूल्य कैसे बचेंगे? सरहदों की रक्षा के बारे में कौन सोचेगा। देश के लिए शहादत देने वालों को याद करना समाज का दायित्व होना चाहिए। मैं अपने युवा साथियों को आवाज देना चाहता हूं।
‘कभी न मिलेगी तुमको मंजिल, सदा अंधेरों में रहोगे
अगर तुम बचाना चाहते हो मुल्क को तो सारे रस्मो-रिवाज बदलो
निजामे नौ से हर इक सतह पर समाज बदलो, समाज बदलो।’’

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

9 − nine =

पंजाब केसरी एक हिंदी भाषा का समाचार पत्र है जो भारत में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली के कई केंद्रों से प्रकाशित होता है।