रूस और यूक्रेन युद्ध एक तरफ तो बमों-मिसाइलों और नवीनतम घातक हथियारों से लड़ा जा रहा है तो दूसरी तरफ दोनों में इन्फर्मेशन वार (सूचना युद्ध) भी चल रहा है। आज के दौर में युद्ध के कई घटक हैं। सूचना युद्ध मनोवैज्ञानिक युद्ध से निकटता से जुड़ा हुआ है। युद्ध के दौरान प्रचार या दुष्प्रचार का प्रसार दुश्मन की सेना और जनता को हतोत्साहित करने, उसे हताश करने के लिए किया जाता है। सूचना युद्ध साइबर युद्ध के समान नहीं होता। जो कम्प्यूटर सॉफ्टवेयर और कमांड और कंट्रोल सिस्टम को लक्षित करता है। युद्ध में उलझे हुए देश एक-दूसरे पर हमला करने के लिए ठोस कारणों को गढ़ते हैं और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर उन्हें प्रचारित करते हैं। रूस-यूक्रेन युद्ध के दौरान भी ऐसा ही हो रहा है। रूस ने दावा किया है कि उसके राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन की हत्या के लिए क्रैमलिन पर ड्रोन से हमले किए गए। इसके लिए रूस ने न केवल यूक्रेन को बल्कि अमेरिका को जिम्मेदार ठहराया है लेकिन यूक्रेन ने रूस के इन दावों पर सवाल खड़े कर दिए हैं। रूस के अभेद्य किले क्रैमलिन तक दो ड्रोन कैसे पहुंच गए। इस पर भी संशय जताया जा रहा है। क्रैमलिन परिसर में ही रूस की संसद भी है। इस पूरे मामले में अलग-अलग कहानियां सामने आ रही हैं। पहली यह कि यूक्रेन ने रूस के राष्ट्रपति पुतिन की हत्या करने की साजिश रची और इसके लिए दो फाइटर ड्रोन लांच किए। यूक्रेन रूस से 434 दिनों से युद्ध लड़ रहा है। इसलिए हो सकता है उसने पुतिन को मारने की साजिश रची हो ताकि वह युद्ध जीत सके।
दूसरी कहानी यह है कि यह हमला खुद रूस ने ही करवाया हो ताकि वह यूक्रेन और पश्चिमी देशों पर दबाव बना सके। वह इस बात को आधार बनाकर यूक्रेन के खिलाफ बड़े पैमाने पर खुली कार्रवाई करना चाहता है ताकि यह दिखाया जा सके कि यूक्रेन ने पुतिन को मार डालने की साजिश रची थी और रूस ने एक तरह से बदला लिया है। रूस ने यूक्रेन के ठिकानों पर ताबड़तोड़ हमले शुरू भी कर दिए हैं जिससे चारों तरफ तबाही का आलम है। कीव में लगातार धमाके सुनाई दे रहे हैं। रूस ने यूक्रेन के खैरसान पर हमला करके 21 लोगों को मार गिराया और उनके लोगों को घायल कर दिया रूस ने रेलवे स्टेशन, मार्किट और मॉल और अन्य सार्वजनिक स्थानों पर हमले किए। जिस तरह से रूस ने जवाबी कार्रवाई की है उससे लगता है कि क्या 14 महीने की लड़ाई टर्निंग प्वाइंट साबित होगी। रूस का कहना है कि उनके पास यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की और उनके गुट को खत्म करने के अलावा और कोई चारा नहीं। रूस की आक्रामक कार्रवाई के बीच यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की फिनलैंड के दौर पर है। उन्हें फिनलैंड से विमान मिलने की उम्मीद है। अब तक इस युद्ध में रूस यूक्रेन के 35 फीसदी क्षेत्रफल पर कब्जा कर चुका है। क्रैमलिन पर ड्रोन हमले की कहानी यूक्रेन की सािजश है या रूस का अपना ड्रामा। यह सच शायद ही कभी सामने आए लेकिन रूस अब यूक्रेन को पूरी तरह से तबाह करने पर आमादा हो गया है।
रूस के पास इस बात की पूरी जानकारी है कि यूक्रेन के पास अब हथियारों और गोला-बारूद की कमी होती जा रही है। चैक रिपब्लिक, रोमानिया और अन्य देश उन्हें राकेट और हथियार दे रहे हैं लेकिन अब उनका भी स्टाफ खत्म होता जा रहा है। पाकिस्तान द्वारा सप्लाई किए गए राकेट और हथियार निहायत ही घटिया साबित हो रहे हैं। जैसे-जैसे युद्ध खिंच रहा है वैसे-वैसे गोला-बारूद मुहैया कराने की यूक्रेन की अपील बढ़ रही है। यूक्रेन युद्ध में अपने सारे संसाधन झोंक रहा है। रूस यूक्रेन की फौज की क्षमता के बारे में जानता है।
एक रिपोर्ट के मुताबिक अब तक अमेरिका ने यूक्रेन को एक हजार मिलियन यूएस डालर के हथियार दिए हैं। इसके अलावा यूरोपियन यूनियन की तरफ से एक हजार मिलियन यूएस डालर की लीथल एड दी गई है। ब्रिटेन, फ्रांस, नीदरलैंड, जर्मनी समेत कई देश यूक्रेन को हथियार सप्लाई कर रहे हैं। ‘द कनवरसेशन’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका ने दस करोड़ से ज्यादा गोले-बारूद यूक्रेन को दिए हैं। इसमें राइफल्स, तोप, हैंडगन शामिल हैं। इनके अलावा कनाडा, ग्रीस, लिथुआनिया, नीदरलैंड, पोलैंड, पुर्तगाल, रोमनिया, स्लोवेनिया जैसे देशों से भी इस तरह के हथियार यूक्रेन को मिल रहे हैं। अगर युद्ध एक साल और चला तो यूक्रेन के पास संसाधन नहीं होंगे। देश थक चुका है और उसकी अर्थव्यवस्था ध्वस्त हो चुकी है। युद्ध के मोर्चे पर यूक्रेन ने कोई कदम नहीं उठाया तो पश्चिमी समर्थन भी मिलना बंद हो जाएगा। आशंका इस बात की है कि रूस यूक्रेन से बदला लेने के नाम पर परमाणु बम का इस्तेमाल न कर दे। फिलहाल लोग मर रहे हैं। दोनों तरफ के सैनिक और नागरिक मारे जा चुके हैं। लाखों लोग शरणार्थी हो चुके हैं और यूक्रेन खंडहर हो चुका है। युद्धों में न कोई जीतता है न कोई हारता है। अगर किसी की हार होती है तो वह है मानवता।
आदित्य नारायण चोपड़ा
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