अगर आप 65 वर्ष के हो गए है और इस लेख को पढ़ रहे है तो आप उन सात प्रतिशत सौभाग्यशाली लोगों में हैं जो इस उम्र तक स्वस्थ जीवन जी रहे हैं। जी हां। वल्र्ड बैंक की एक रिपोर्ट के अनुसार 2023 में भारत में पैंसठ वर्ष से ज्यादा आयु के 7.1 प्रतिशत व्यक्ति हैं और 2030 तक यह जनसंख्या दस प्रतिशत हो जाएगी, ऐसा अनुमान हैं।
भारत, जो आज अपने आपको एक नौजवान देश की श्रेणी में पाता है वो अब धीरे-धीरे वरिष्ठजन की श्रेणी की ओर अग्रसर हो रहा है। आंकड़ों पर नजर दौड़ाई जाए तो यह देखने को मिलता है कि सन् 2050 तक भारत में कोई 35 करोड़ व्यक्ति 60 वर्ष से ज्यादा के हो जायेंगे।
हमें थोड़ी-बहुत भी तकलीफ जब होती है, चाहे वो स्वास्थ्य सम्बन्धित हो, आर्थिक हो, पारिवारिक हो या अन्य कोई कारण से, तो हम तुरंत परेशान हो जाते हैं। जरा यह विचार करें कि हम तो उन सौ में से सात सौभाग्यशाली लोग है जो कि जीवित है। व्हाट्सएप पर एक बहुत ही अच्छी वीडियो मैंने कुछ दिनों पहले देखी। इसमें बताया गया कि अगर हमारे पास भोजन करने के लिए खाना है, पहनने को कपड़े हैं और रहने के लिए घर है तो हम दुनिया के उन 75प्रतिशत लोगों से ज्यादा खुशकिस्मत हैं जिनके पास यह सब नहीं है।
हम जिन्दगी से शिकायत करना छोड़ दें। हमारे पास जो है उससे संतुष्ट होना सीखे। हमारे ऊपर तो ईश्वर की कृपा रही है कि हमें इतना कुछ मिला है। यह जिन्दगी दोबारा हमें नहीं मिलने वाली है, इसलिए इसे दुख में, गुस्से में, किसी से नाराजगी या नफरत में या किसी से झगड़ा करने में व्यर्थ न गवांये। कुछ सकारात्मक काम में हम लगे रहे, सभी से अच्छा व्यवहार करें और अपनी जिन्दगी को खुशी-खुशी जिएं। हां, कुछ अड़चने आती रहती हैं। हमें भगवत कृपा से इन तकलीफों को पार करने की हिम्मत जुटाकर सब कुछ सामान्य करना होगा।
सर्वप्रथम हमें अपने स्वास्थ्य पर ध्यान केन्द्रित करना होगा। जीवन के इस पड़ाव पर आकर हमें अपनी शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य संबधित दोनों विषयों पर ही ध्यान देना होगा। शरीर और मन अलग नहीं है और ये एक दूसरे को प्रभावित करते हैं। केवल लंबी उम्र पाना हमारा लक्ष्य नहीं, स्वस्थ व उपयोगी जीवन ही हमारा उद्देश्य होना चाहिए। हम अपने बुढ़ापे में किसी पर बोझ न बने यही भगवान से प्रार्थना हो।
हमारा संकल्प व हमारी इच्छाशक्ति दृढ़ होनी जरूरी है। ज्यादातर यह देखा गया है कि एक बार हमारे अंदर जोश आता है, हम लग जाते हैं अपने स्वास्थ्य की देखभाल के लिए विभिन्न कार्यक्रम करने में थोड़े अंतराल के पश्चात अक्सर हमें आलस्य आने लगता है। वरिष्ठजन को यह ध्यान रखना होगा कि हम आलस्य को पास में भटकने न दें। हमें अगर दो घंटे प्रतिदिन अपने स्वास्थ्य के लिए योग व व्यायाम करना है तो इसमें कोई समझौता नहीं करना है। विशेषज्ञों का यह कहना है कि बढ़ती उम्र में स्वास्थ्य सम्बन्धित सबसे ज्यादा ध्यान दो बातों पर देना है। पहला तो यह कि आप अपने को गिरने से बचाएं। इस उम्र में गिरने से बहुत कॉम्पलिकेशन हो सकता है। इस कारण बहुत संभल कर रहना है। दूसरी बात है कि अपने को कुछ भी खाते हुए या पीते हुए चोकिंग से बचाव करना है।
बुजुर्ग व्यक्तियों में चोकिंग की संभावना ज्यादा होती है क्योंकि गले और निगलने की मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं। फेसबुक पर एक ग्रुप है - नेवर से रिटायर्ड फोरम, जिस पर केवल वरिष्ठ जन के लिए स्वास्थ्य संबधी बातें व अन्य जानकारी प्रतिदिन पोस्ट होती है। अगर आप फेसबुक पर हैं तो इससे जुड़ सकते हैं। पौष्टिक भोजन पर ही ध्यान रखना होगा।
जीवन को खुशहाल रखने के लिए अच्छे दोस्तों की बहुत आवश्यकता होती हैं। इस उम्र में आकर हमें नए दोस्त नहीं बनाने हैं। हमारे जो पुराने दोस्त हैं उनसे ज्यादा संपर्क में रहें। अगर वो नजदीक रहते है तो उनसे बराबर मिलते रहें। अगर दूर रहते हैं तो उनसे मोबाइल पर वार्तालाप और मैसेज का आदान-प्रदान बराबर करते रहें।
हम सौभाग्यशाली हैं और आगे भी रहें इसके लिए भगवान को धन्यवाद जरूर दें।
- विजय मारू