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हमें कसम है हिन्दुस्तान की…

गर्व की बात है कि हम सब हिन्दुस्तानी अर्थात भारतीय हैं। बड़ी बात यह है कि हम 130 करोड़ आबादी वाले भारतीय हैं। जो लोग देश में रहते हैं वे सभी के सभी हिन्दू हैं।

गर्व की बात है कि हम सब हिन्दुस्तानी अर्थात भारतीय हैं। बड़ी बात यह है कि हम 130 करोड़ आबादी वाले भारतीय हैं। जो लोग देश में रहते हैं वे सभी के सभी हिन्दू हैं। ऐसे में अगर भारत में एनआरसी अर्थात नैशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन जो असम में लागू किया गया और वह भी सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर तो इसमें किसी को क्या दिक्कत है। दुःख की बात यह है कि जब सरकार देश के हिन्दुओं की बात करती है तो फिर अचानक मुसलमानों को क्यों देश में हिंसा भड़काने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। 
देश में रहने वाला कोई भी व्यक्ति चाहे वह हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई हो वह भारतीय है लेकिन जब देश में सीएबी अर्थात सिटीजन एमेंडमेंट बिल आता है और यह कानून बनकर सीएए (सिटीजन एमेंडमेंट एक्ट) बन जाता है तो फिर हंगामा क्यों खड़ा हो जाता है? ऐसे में आरएसएस के प्रमुख श्री मोहन भागवत जी ने अपनी चुप्पी तोड़ते हुए हैदराबाद की संकल्प सभा में साफ कहा कि देश में पैदा हुआ हर शख्श हिन्दू है, वह किसी भी जात का है तो वह हिन्दू है। 
दरअसल देश की राजनीति में जब वोट तंत्र को कोई भी पार्टी अपने हित में नफे और नुक्सान की तराजू पर तोलती है तो फिर जम्मू-कश्मीर में धारा 370 लगाई ही जाती है। देश के लिए जरूरी यह है कि अगर पूर्व में कोई गलती या चूक हो चुकी है तो उसे सुधारा जाए। हिन्दुओं को नजरंदाज करते हुए कश्मीर में विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने के संवैधानिक व्यवस्था की आड़ लेकर मुसलमानों को खुश करने की कोशिश करने वाली पार्टियां बेनकाब हो चुकी हैं। इसीलिए श्री भागवत जी ने कहा कि देश में अब ब्रिटिश शासन की वो बातें ‘फूट डालो और राज करो’ नहीं चलेंगी। हम अंग्रेजों की इस चाल में फंसकर पहले ही बहुत कुछ गवां चुके हैं। अब हम एक महाशक्ति बनने की राह पर हैं तो फिर भारतीयता पर नाज करना होगा। 
श्री भागवत जी ने साफ कहा कि अगर देश की परम्परा हिन्दुवादी है तो फिर हमें उस महान रवीन्द्रनाथ टैगोर को याद करना होगा जिन्होंने हिन्दू और मुसलमानों के बीच एकता की बात कही थी। हम समझते हैं कि देश में रहकर हर तरफ से मिलने वाली सुविधाएं अगर आपको मिल रही हैं तो वो इसलिए मिल रही हैं क्योंकि आप इसके नागरिक हैं और भारत का नागरिक होने के नाते भारतीयता आपकी पहचान है। अब कोई किसी भी जाति का हो परन्तु हम भारतीयता और राष्ट्रीयता को नजरंदाज तो नहीं कर सकते। अपने देश की मिट्टी की कदर तो हमें करनी होगी। हमें भारत माता की जय या फिर वन्देमातरम् तो बोलना ही होगा। 
हम नहीं समझते इसमें कोई बुराई है परन्तु रोटी भारत की खानी, धन्धा-पानी यहीं चलाना और पाकिस्तान के समर्थन में नारेबाजी, यह नहीं चलेगा। प्रधानमंत्री मोदी, गृहमंत्री अमित शाह या रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह जैसे कर्मठ, कर्त्तव्यपरायण और सच्चे देशभक्त लोग जब तक इस देश में मौजूद हैं वाे भारतीयता का जज्बा एक कानून के रूप में देशवासियों के सामने प्रस्तुत करते हैं तो इसमें किसी को आपत्ति क्यों है? एनआरसी, सीएए या फिर अब एनपीआर को लेकर जो हिंसक प्रदर्शनों का दौर चल रहा है इस पर लगाम कसना भी जरूरी है। सबको पता है कि यह हिंसक प्रदर्शनकारी कौन हैं। समय रहते हिंसा पर भी नकेल कसनी होगी। 
आने वाले दिनों में नई पीढ़ी को भारतीयता और राष्ट्रीयता की विरासत भी हमें सौंपनी है। अगर आगे तरक्की करनी  है तो पहले भारतीयता और राष्ट्रीयता का पाठ पढ़ना होगा। इसे देश के संस्कार कहें यह संस्कृति परन्तु मोदी सरकार ने अगर एनपीआर अर्थात नेशनल पापुलेशन रजिस्टर जो जनसंख्या में जाति पहचान को लेकर है तो इसमें  किसी को ऐतराज क्यों है। हम फिर स्पष्ट कर देना चाहते हैं कि जो देश में रह रहा है वह किसी भी जाति-पाति का क्यों न हो, वह भारतीय तो है ही। ऐसे में आन्दोलन और आक्रोश एकदम बेमानी है। जब आर्मी चीफ जनरल विपिन रावत को यह कहना पड़े कि हिंसा भड़काने वाले नेता नहीं हैं तो इस बात को स्वीकार कर लिया जाना चाहिए। 
उनकी बात को गम्भीरता से लिया जाना चाहिए लेकिन यहां भी राजनीति शुरू हो गई है। आने वाले वक्त में अगर दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में भारतीयता मजबूत नहीं होगी तो जातिवाद और क्षेत्रीयवाद की आग में हम इस तरह बिखर जाएंगे जैसे रूस खंड-खंड हो गया। हमारी पहचान एकता में है अखण्डता में है। आओ इसका स्वागत करें और भागवत जी के बयान को स्वीकार कर पूरा देश अपने आपको भारतीय और हिन्दुस्तानी कहे, यही हिन्दुस्तान की पहचान है आखिरकार हमारा मुल्क भी तो हिन्दुस्तान है और हम इसे दिल से स्वीकार करते हैं। गर्व से कह रहे हैं कि हिन्दुस्तान की कसम कि हम हिन्दुस्तानी हैं।

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