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प्रसिद्ध डॉ. झिंगन से वरिष्ठ नागरिकों का वेबिनार…

अभी वरिष्ठ नागरिकों के लिए लॉकडाउन नहीं खुला। मेरा मतलब है कि अभी उन्हें घर पर ही रहना चाहिए क्योंकि 60 के बाद इम्यूनिटी लेवल कम हो जाता है तो मेरा हर समय प्रयास रहता है कि वे घर में बैठकर भी व्यस्त रहें, मस्त रहें, एक्टिव रहें तो उनके लिए तरह-तरह के प्रोग्राम आनलाइन आयोजित करवा रही हूं।

अभी वरिष्ठ नागरिकों के लिए लॉकडाउन नहीं खुला। मेरा मतलब है कि अभी उन्हें घर पर ही रहना चाहिए क्योंकि 60 के बाद इम्यूनिटी लेवल कम हो जाता है तो मेरा हर समय प्रयास रहता है कि वे घर में बैठकर भी व्यस्त रहें, मस्त रहें, एक्टिव रहें तो उनके लिए तरह-तरह के प्रोग्राम आनलाइन आयोजित करवा रही हूं।
 उन्हें अकेलापन बिल्कुल महसूस नहीं होने देती क्योंकि मेरा हमेशा उनको यही कहना होता था, चाहे कितनी भी मुश्किल हो शो मस्ट गो ऑन।
 किसी का साथी चला जाता था तो उन्हें नेचुरल जिन्दगी में लाना, उनको उत्साहित करना भी मेरा काम था। आज मैं अश्विनी जी के जाने के बाद खुद मुश्किल परिस्थितियों से गुजर रही हूं, परंतु मैं जो सबको कहती थी अब खुद को करके दिखाना है।
 कहना आसान होता है, करना बहुत मुश्किल है। अभी भी आंसू थमने का नाम नहीं लेते। यहां तक कि मेरी आंखों पर असर पड़ रहा है, परन्तु मुझे सबको यही बताना और सिखाना है कि शो मस्ट गो ऑन।
 इसलिए आनलाइन प्रतियोगिता भी चलाई। जिसे सभी वरिष्ठ नागरिक एंज्वाय कर रहे हैं और बढ़-चढ़ कर हिस्सा ले रहे हैं।
 प्रसिद्ध मधुमेह डॉ. अशोक झिंगन, जिन्होंने बहुत पुस्तकें लिखी हैं, डब्ल्यूएचओ से भी जुड़े हैं, जिनको मिलने के लिए अपांयटमेंट के लिए कतारें लगी रहती हैं।
 बहुत ही बड़े और मशहूर डॉक्टर हैं, परन्तु बहुत ही डाउन टू अर्थ हैं। जब से हमने वरिष्ठ नागरिक केसरी क्लब शुरू किया है तब से हमारे साथ जुड़े हैं। 
साल में 2 बड़े कैम्प करते हैं, दवाइयां देते हैं क्योंकि आज बीपी और शुगर काफी हद तक लोगों को है। पिछले सप्ताह डॉक्टर झिंगन ने वेबिनार में हिस्सा लिया और वरिष्ठ नागरिकों को स्वस्थ रहने के टिप्स दिए।   
इस बार  हमारे पश्चिम विहार के सदस्य की बेटी शयमली ने वेबिनार अरेंज किया। इस बार संख्या बहुत ज्यादा थी और नए ऐप के कारण बहुत से लोग सम्पर्क में नहीं आए। कइयों के मैं और डॉक्टर साहब चेहरे नहीं देख सके। सबसे रोचक बात थी कि डॉ. साहब का सम्पर्क नहीं हो रहा था। कोई नेट की प्रोब्लम थी, तो उन्होंने फोन किया और समय खराब न करते हुए वह झट से हमारे घर ही पहुंच गए।
 मैं तो उनकी हिम्मत की दाद देती हूं और कितने कत्र्तव्यनिष्ठ हैं इसकी भी दाद देती हूं। वो यह भी कह सकते थे कि सॉरी प्रोब्लम है नहीं सम्पर्क हो सकता परन्तु उन्होंने आव देखा न ताव 15 मिनट में पहुंच गए। उतनी देर तक मुझे वरिष्ठ नागरिकों से सम्पर्क करने का अवसर मिल गया।
मुम्बई, दिल्ली, फरीदाबाद, गुडग़ांव, नोएडा, हैदराबाद, नरेला और गांवों से लोग संपर्क में थे। 
डॉक्टर साहब ने शुगर के लिए क्या खाना, क्या नहीं खाने के बारे में बताया। व्यायाम के बारे में बताया और फिर प्रश्न-उत्तर का  दौर  चलाए, कइयों को दवाई अपने डॉक्टर से पूछकर बदलने  को  कहा। 
किसी को बढ़ाने, घटाने के लिए कहा परन्तु अपने डॉक्टर से पूछ कर, सब बहुत खुश थे, परन्तु कई उदास भी हो रहे थे। जैसे नरेला के दहिया जी, उनको प्रश्न पूछने का अवसर नहीं मिला तो ऐसे सबको आश्वासन दिया कि डॉक्टर साहब दोबारा सैशन करेंगे क्योंकि इस बीमारी का नाम शुगर है, यह बहुत ही खतरनाक है, घुन की तरह या कह लो दीमक की तरह लग जाती है और धीरे-धीरे शरीर को खोखला करती है, परन्तु डॉक्टर साहब के अनुसार अगर  व्यायाम और दवाई ठीक ढंग से ली जाए तो 90 साल तक कुछ नहीं होता। 
लोगों की ध्यान रखने से आयु बढ़ जाती है और सच में वेबिनार में वे लोग भी उपस्थित थे जो डॉक्टर साहब से पिछले 20-30 सालों से इलाज करा रहे हैं और स्वस्थ हैं। उन्होंने कहा ध्यान रखो तो आम की एक फाड़ी (पीस) भी खा सकते हो जो सबको बहुत पसंद आया।
वाह! डॉक्टर साहब आपका सेवाभाव और मरीजों को प्यार से समझाने के तरीके से हम सब बहुत ही प्रभावित हैं और साथ में आपकी पत्नी  का जो योगदान रहता है उसके लिए हम सब उनके भी बहुत आभारी हैं। 
मुझे यह बात कभी नहीं भूलती, एक बार हमारा हैल्थ कैम्प था। मुख्य अतिथि अमित शाह जी (गृह मंत्री) थे। जब कैम्प शुरू होने लगा तो आपके सर पर बहुत भारी चोट लग गई क्योंकि वो कैम्प आप पर निर्धारित था, बाकी भी बहुत डॉक्टर थे, परन्तु मेन आप ही थे और उस समय मैं तो बहुत घबरा गई कि हजारों लोगों की लाइन लगी है। अगर कैम्प आप से शुरू न हो पाया तो क्या होगा।
 आपने अपने माथे पर बर्फ  लगाए रखी और मरीजों को देखना शुरू कर दिया क्योंकि चोट बड़ी थी। मैं आपके पास गई कि डॉक्टर साहब आपको बहुत चोट लगी है, आप कर पाओगे तो आपने हंस कर जवाब दिया शो मस्ट गो ऑन। द्य

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