फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों का भारत में स्वागत है। मैक्रों दिल्ली के कर्त्तव्य पथ पर आयोजित होने वाले 75वें गणतंत्र दिवस समारोह में बतौर मुख्य अतिथि शामिल होंगे। वह इस कार्यक्रम में शामिल होने वाले फ्रांस के छठे नेता हैं। यह आंकड़ा देखकर यह सवाल जरूर उठता है कि फ्रांस हमारे लिए महत्वपूर्ण क्यों है? अभी सितम्बर में इमैनुएल मैक्रों जी-20 शिखर सम्मेलन के लिए भारत आए थे। भारत में गणतंत्र दिवस समारोह में मुख्य मेहमान के तौर पर उन्हें बुलाए जाने का अर्थ फ्रांस के नेता को विशेष सम्मान दिया जाना है। भारत का आतिथ्य अतिथि देवो भवः की परम्परा संस्कृति और इतिहास को दर्शाता है। भारत ने पहले अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन को न्यौता दिया था लेकिन उन्होंने अपनी व्यस्तताएं बताते हुए न्यौते को स्वीकार नहीं किया था। तब भारत ने फ्रांस के राष्ट्रपति को आमंत्रित किया जिसे उन्होंने तुुरन्त स्वीकार कर लिया। मैक्रों के भारत दौरे पर अमेरिका, चीन, पाकिस्तान और अन्य देशों की नजर रहेगी। फ्रांस अब भारत का विश्वसनीय दोस्त बन चुका है।
अन्तर्राष्ट्रीय व्यवस्था में बहुध्रुवीय विश्व के समर्थक तथा रूस और अमेरिका के बीच संतुलन बनाकर चलने वाले भारत और फ्रांस के बीच गहरे संबंध बन चुके हैं। फ्रांस ने संकटकाल में हमेशा भारत का साथ दिया है। वर्ष 1998 में पोखरण परमाणु परीक्षण के बाद अमेरिका, जापान, जर्मनी, ब्रिटेन सहित सारी दुनिया के विभिन्न देश प्रतिबंधों को लगाकर भारत के विरुद्ध हो गए थे, तब तत्कालीन फ्रांसीसी राष्ट्रपति जैक शिराक भारत के साथ मजबूती से खड़े हुए थे और भारत के विषय में कहा था कि एशिया की उभरती हुई महाशक्तियों को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। तब से लेकर अब तक फ्रांस भारत के साथ मजबूती से खड़ा है तथा कभी दूसरे देश के साथ मिलकर भारत का विरोध नहीं किया। रूस-यूक्रेन के युद्ध पर फ्रांस से अलग राय रखने वाले भारत के प्रधानमंत्री को 14 जुलाई के राष्ट्रीय दिवस पर गेस्ट ऑफ ऑनर बनाना भारत के फ्रांस के साथ गहरे संबंधों को दर्शाता है। भारत-फ्रांस के सामरिक रिश्तों की 25वीं जयंती होने के कारण यह और विशेष मौका था, जब किसी भारतीय प्रधानमंत्री को फ्रांस का सबसे बड़ा नागरिक व सैन्य सम्मान 'दी ग्रैंड क्रास ऑफ द लीजन ऑफ आनर देकर सम्मानित किया गया। बास्टील डे परेड में भारत के थल, जल और वायु सेना के 269 जवानों की तीन टुकड़ियों ने पेरिस में मार्च और फ्लाईपास्ट किया। भारत और फ्रांस की सेनाओं के बीच यह प्रथम विश्व युद्ध से जारी है। इस युद्ध में 13 लाख से अधिक भारतीय सैनिकों ने भाग लिया था तथा साहस, वीरता और सर्वोच्च समर्पण से शत्रुओं को विफल कर दिया था। प्रथम विश्व युद्ध के दौरान भारतीय सेना के फ्रांस को किए सहयोग को कभी भुलाया नहीं जा सकता, जो आज भी परस्पर मजबूत, विश्वसनीय व निरंतरता लिए हुए है।
70 के दशक से ही फ्रांस ऊर्जा, एयरोस्पेस, सुरक्षा, उद्योग में भारत का सहयोगी रहा है। 2005 में भारत ने 6 स्कोर्पियन पनडुब्बियां खरीदीं। 2015 में 36 राफेल लड़ाकू विमान खरीदे गए। पिछले वर्ष प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की फ्रांस यात्रा के दौरान कई सैन्य समझौते किए गए जिनमें नौसेना के लिए 26 राफेल-मरीन फाइटर जैट्स और डस्कोर्पियन पनडुब्बियों का सौदा प्रमुख रहा। इससे हमारी सेना की ताकत में जबरदस्त इजाफा हुआ। इमैनुएल मैक्रों और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की बैठक में रक्षा, व्यापार, स्वच्छ ऊर्जा और भारतीय छात्रों के लिए वीजा नियमों को आसान बनाने सहित कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर बातचीत होगी और रक्षा सौदों पर बातचीत आगे बढ़ेगी। भारत फ्रांस से सुपर राफेल खरीदने का इच्छुक है। दोनों नेता हिन्द प्रशांत क्षेत्र में समुद्री सहयोग बढ़ाने, लाल सागर में हालात और इजराइल-हमास युद्ध पर भी चर्चा कर सकते हैं। यद्यपि नरेन्द्र मोदी सरकार ने फ्रांस के साथ संबंधों में रक्षा क्षेत्र पर विशेष फोकस ज्यादा रखा है लेकिन दोनों देशों के संबंधों का रणनीतिक पहलू है। दोनों देशों के रिश्तों में भारत प्रशांत सागर का सीधा कनैक्शन है। दोनों देशों के राजनीतिक नेतृत्व में कई द्विपक्षीय और अन्तर्राष्ट्रीय संबंधों में समान सोच है।
भारत फ्रांस स्वतंत्र, मुक्त, समावेशी और सुरक्षित हिन्द प्रशांत क्षेत्र के अस्तित्व में विश्वास करते हैं और अन्तर्राष्ट्रीय कानूनों के मुताबिक एक संतुलित और स्थिर व्यवस्था का संकल्प लेते हैं। दोनों देशों को सागर में चीन का दबदबा स्वीकार नहीं है। इसलिए दोनों देशों ने हिन्द प्रशांत क्षेत्र में सहयोग को तेज करने और सेनाओं की नौसैनिक यात्राएं बढ़ाने का समझौता किया हुआ है। फ्रांस ने हमेशा सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता की दावेदारी का समर्थन किया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रों में जबरदस्त कैमिस्ट्री भी देखी गई है।
आदित्य नारायण चोपड़ा
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