भारत की बेटी का स्वागत

भारत की बेटी का स्वागत
Published on

पे​रिस ओलंपिक से बिना पदक के लौटी भारत की बेटी विनेश फोगाट का अभूतपूर्व स्वागत इस बात का परिचायक है कि विनेश चैम्पियनों की चैम्पियन है। दिल्ली हवाई अड्डे से लेकर पैतृक गांव बलाली तक जगह-जगह पंचायतों ने उसे सम्मानित किया। फूल मालाओं से उसे लाद दिया। अपने स्वागत और लोगों के प्रेम को देखकर वह भावुक भी हो उठी। पहले तो वह कुछ बोल ही नहीं पा रही थी। बाद में उसने अपने आप को संभालते हुए कहा "क्या हुआ उन्होंने अगर मुझे स्वर्ण पदक नहीं दिया लेकिन यहां के लोगों ने मुझे जो प्यार और सम्मान दिया है वह 1000 ओलंपिक पदक से भी ज्यादा है। उसकी आंखों में आंसू थे और उसके स्वागत में उमड़े लोगों की भावनाएं उफान पर थी। दिल्ली से हरियाणा के बलाली गांव तक का 135 किलोमीटर का सफर खत्म होते-होते रात हो गई थी लेकिन गांव वालों का उत्साह कम नहीं हुआ। गांव में लड्डू बांटे गए। देर रात तक महिलाएं उससे मिलने आती रही। महज 100 ग्राम वजन अधिक होने पर स्वर्णिम द्वार से लौटी विनेश फोगाट ने दिल टूटने के बाद कुश्ती से संन्यास की घोषणा कर दी थी ले​िकन यह उसका जज्बा ही है कि सोशल मीडिया में शेयर किए गए तीन पृष्ठ के पत्र में उसकी कुश्ती में वापसी की संभावनाओं के संकेत मिलते हैं।
विनेश फोगाट का जीवन ही संघर्षों से भरा रहा है। भारतीय कुश्ती संघ के पूर्व अध्यक्ष और पूर्व सांसद बृजभूषण सिंह के खिलाफ आंदोलन के चलते वह काफी चर्चित हुई थी। तब विनेश को ​िदल्ली की सड़कों पर पुलिस द्वारा घसीटने की तस्वीरें भी वायरल हुई थी। जिस बेटी से ऐसा व्यवहार ​िकया गया हो उसका चैम्पियन की तरह स्वागत देखकर जन भावनाओं का अनुमान लगाया जाना कठिन नहीं है। विनेश फोगाट संघर्ष का दूसरा नाम है। दर्द, गम और आंसुओं से उसका गहरा ​रिश्ता है। पेरिस ओलंपिक में जो हुआ वह ​िकसी बुरे सपने से कम नहीं था। इसका दर्द और मलाल उसे जीवनभर रहेगा। जख्म भरने में काफी समय लगेगा। तीन बार की ओलंपियन विनेश फोगाट के पास कॉमनवैल्थ गेम्स में तीन स्वर्ण, वर्ल्ड चैंपियनशिप में दो कांस्य पदक और एशियन गेम्स और एशियन चैंपियनशिप में एक-एक स्वर्ण पदक है। वह पेरिस 2024 ओलंपिक के फाइनल में भी पहुंची लेकिन स्वर्ण पदक मैच की सुबह वेट-इन में विफल होने के बाद उन्हें अयोग्य घोषित कर दिया गया।
25 अगस्त 1994 को जन्मी विनेश फोगाट अपनी चचेरी बहनों गीता फोगाट और बबीता कुमारी के नक्शेकदम पर चलती है और भारत के सबसे प्रसिद्ध कुश्ती परिवारों में से एक से आती है। उन्हें बहुत कम उम्र में उनके ताऊ महावीर सिंह फोगाट ने इस खेल से परिचित कराया था। हालांकि जब विनेश फोगाट ने कुश्ती शुरू की तो गीता धीरे-धीरे खुद को राष्ट्रीय मंच पर स्थापित कर रही थीं लेकिन उन्हें सामाजिक बाधाओं और कई असफलताओं को भी पार करना पड़ा।
विनेश को उन ग्रामीणों के विरोध का सामना करना पड़ा जो कुश्ती काे केवल पुरुषों का खेल मानते थे और महिलाओं को चारदीवारी के भीतर ही बंद रखना चाहते थे। महज 9 साल की उम्र में विनेश फोगाट को अपने पिता की मृत्यु का भी सामना करना पड़ा। यद्यपि बृजभूषण के ​िखलाफ आंदोलन के दौरान भी जमकर राजनीति हुई। अन्याय के विरुद्ध संघर्ष में भी दो खेेमे बंटे हुए नजर आ रहे थे। आंदोलन के दौरान पहलवान साक्षी मलिक और बजरंग पूनिया ने आंदोलन का नेतृत्व किया था। तब भी कई राजनीतिक दल आंदोलन को लेकर बंटे हुए नजर आए। विनेश का स्वागत करने के लिए कांग्रेस सांसद दीपेन्द्र हुड्डा की मौजूदगी को लेकर राजनीतिक टीका-टिप्पणियां की जा रही थी। भारतीय जनता पार्टी ने भी उसके स्वागत की योजना बनाई थी लेकिन चुनाव कार्यक्रम की घोषणा के बाद इस आयोजन को चुनाव आचार संहिता के लागू होने पर स्थगित कर दिया गया। हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने विनेश के संबंध में किए गए फैसलों की जानकारी दी। वे पहले ही घोषणा कर चुके हैं कि विनेश को रजत पदक विजेता के तौर पर पुरस्कृत किया जाएगा। अब सवाल यह है कि चुनावी गर्मी के बीच क्या विनेश राजनी​ित में पदार्पण करती है या नहीं। विनेश फोगाट का सक्रिय राजनी​ित में पदार्पण करने का फैसला उसका व्य​क्तिगत फैसला होगा। उसके ​िदमाग में क्या है यह तो वह जानती है। अगर वह चुनावी दंगल में उतरती है तो ऐसा करने के लिए स्वतंत्र है। लोकतंत्र में ऐसा करने का सबको अधिकार है। यह आलोचना का विषय नहीं होना चा​िहए। बल्कि उसका स्वागत ही ​िकया जाना चा​िहए। अगर वह कुश्ती की तरफ फिर लौटती है तो यह भी उसका निजी फैसला होगा। इस पर ज्यादा राजनीति नहीं की जानी चाहिए। भारत की बेटी को पूर्ण सम्मान देकर ही उसको अपना जख्म भुलाने में मदद दी जानी चाहिए। उम्मीद है कि भारत की युवतियां उसके संघर्ष को आदर्श मानकर आगे बढ़ेंगी।

आदित्य नारायण चोपड़ा
Adityachopra@punjabkesari.com

Related Stories

No stories found.
logo
Punjab Kesari
www.punjabkesari.com