रविवार के दिन समाचारपत्रों में भारत के गुजरात राज्य में जीका वायरस की पुष्टि होने की खबरें पढऩे के बाद चौराहों से लेकर घरों तक इस महामारी की चर्चा शुरू हो गई। टीवी चैनलों पर भी जीका वायरस की खबरें दिनभर प्रसारित की जाती रहीं। शाम होते ही हर कोई जीका-जीका कर रहा है। दुनियाभर में तबाही मचाने वाले जीका वायरस ने भारत में दस्तक दे दी है। तीनों ही मामले अहमदाबाद के हैं। इनमें दो रोगी गर्भवती महिलाएं हैं। आखिर यह वायरस है क्या और कहां से आया है? इसका इतिहास बहुत पुराना है। 1947 में यूगांडा में एक जंगल था जीका। वहां वैज्ञानिक यैलो फीवर पर रिसर्च कर रहे थे तो एक बंदर में वायरस मिला। उसे ही जीका वायरस कहा गया। 1952 में यूगांडा और तंजानिया में जीका वायरस इंसानी मरीज में मिले, फिर 1954 में नाइजीरिया में जीका वायरस मिला। 1960-80 तक अफ्रीका के कई देशों के बंदरों और मच्छरों में जीका वायरस मिला। उसके बाद तो यह वायरस फैलता ही गया और देखते ही देखते इसने कई देशों को चपेट में ले लिया। 2013-14 में फ्रैंच पॉलिनीजिया, ईस्टर आइलैंड, कुक आइलैंड और न्यू केलडोनिया में जीका फैला। तब पता चला कि जीका की वजह से गर्भ में बच्चों पर असर पड़ता है। दो वर्ष पहले ब्राजील में पैदा हो रहे बच्चों में विकृतियां मिलीं और हालात इस कदर बिगड़ गए कि वहां स्वास्थ्यगत आपातकाल लगाना पड़ा। सूरीनाम, पनामा, अल साल्वाडोर, मैक्सिको, ग्वाटेमाला, पराग्वे, वेनेजुएला, फ्रेंच गुआना, प्योर्टोरिको, गुआना, बारबाडोस, निकारागुआ और जमैका में भी इस महामारी का प्रकोप फैला। विश्व स्वास्थ्य संगठन लगातार इस महामारी को लेकर चिंता व्यक्त करता रहा है।
जीका वायरस मुख्य रूप से एक संक्रमित एडीज प्रजाति के मच्छर के काटने से मनुष्यों में फैलता है। इस बीमारी के लक्षण भी डेंगू और चिकनगुनिया की तरह ही हैं जो उसी मच्छर से फैलते हैं जिनसे जीका वायरस फैलता है। यह वायरस गर्भवती महिलाओं पर अटैक करता है। जीका गर्भ में पल रहे बच्चों पर असर डालता है, जिससे शिशु का दिमाग विकसित नहीं होता। इसके प्रभाव से बच्चे छोटे सिर के साथ पैदा होते हैं।ब्राजील समेत 23 देशों में यह वायरस फैला हुआ है। जीका की वजह से ही ब्राजील में रियो ओलिम्पिक खेलों पर सवाल खड़े हो गए थे। अभी तक जीका वायरस की कोई दवा औैर वैक्सीन नहीं बनी है। इस पर अनुसंधान जारी है। दवा या वेक्सीन तैयार करने में कुछ वर्ष लग सकते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के मुताबिक भारत के स्वास्थ्य मंत्रालय और परिवार कल्याण मंत्रालय ने अहमदाबाद जिला के बापूनगर इलाके में जीका वायरस बीमारी के लेबोरेट्री से प्रमाणित मामलों की रिपोर्ट दी है। वायरस को आगे बढऩे से रोकने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं। इसके लिए स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के सचिव की अध्यक्षता में एक अन्तर मंत्रालयी टास्क फोर्स बनाई गई है। इंडियन मेडिकल कौंसिल ने जीका वायरस का पता लगाने के लिए 34233 लोगों और 12647 मच्छरों के सैम्पलों की जांच की है। जीका वायरस से प्रभावित शख्स को काफी तेज बुखार आता है, जोड़ों में दर्द होता है और शरीर पर रेशेज (लाल धब्बे) हो जाते हैं।
स्वास्थ्य मंत्रालय पहले भी परामर्श जारी कर लोगों को सतर्क कर चुका है कि वे जीका प्रभावित देशों की यात्रा से बचें। जीका वायरस का कोई तोड़ अभी तक नहीं मिलने से यह बीमारी खतरनाक हो चुकी है। इससे बचने का एकमात्र उपाय मच्छरों से बचना है। वैसे तो भारत जैसे देश में हर वर्ष बीमारियां दस्तक देती हैं तो सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाएं चरमरा जाती हैं। राजधानी दिल्ली समेत अनेक शहरों में डेंगू, चिकनगुनिया फैलता है तो लोगों को अस्पतालों में बैड तक नसीब नहीं होते। पहले इन बीमारियों का प्रकोप एक या दो महीने रहता था, लेकिन अब राजधानी में भी पाया गया है कि यह बीमारियां ग्रीष्मकाल में हो जाती हैं जबकि 44-45 डिग्री तापमान में मच्छर तो मर जाते हैं। राजधानी में निर्माण कार्य हर कालोनी में कहीं न कहीं होता रहता है, जहां पानी जमा हो जाता है और वहां मच्छर पनपते रहते हैं। मच्छर मारने वाली दवाओं के छिड़काव में घपला हो जाता है। लोगों को खुद भी अपने बचाव के लिए जागरूक रहना होगा। स्वास्थ्य मंत्रालय और स्थानीय निकायों को मिलकर मच्छर मारने के लिए बड़ा अभियान चलाना होगा और इस अभियान में जनता को भागीदार बनाना होगा। अगर भारत में जीका वायरस फैलता है तो यह लोगों के लिए घातक होगा। देश की जनता पहले ही अधकचरी स्वास्थ्य सेवाओं के चलते बहुत परेशानी झेल रही है।