जब चंद्रबाबू बाहर से समर्थन की बात करने लगे

जब चंद्रबाबू बाहर से समर्थन की बात करने लगे
Published on

'बड़े जोर की आंधियां चलीं इस बार कि ऊंचे दरख्तों के तोड़ गई गुमां
इस चक्कर में टूटे वे पेड़ भी जो कभी छांवों को दिया करते थे पनाह'

पीएम मोदी के तीसरे टर्म का राज सिंहासन सज-धज कर तैयार है, सियासत की नई बेलें भी इस पर अठखेलियां करने के लिए मचल रही हैं, पर 2024 के चुनावी परिणामों के निहितार्थ भगवा रंगमंच से जनादेश के मुखर बोल लिए नए किरदारों के लिए जगह खाली करने को कह रहे हैं। मोदी सरकार के दो अहम गठबंधन साथियों में से एक नीतीश को मनाना भाजपा के लिए किंचित आसान रहा, इसकी बानगी एनडीए की मीटिंग में भी देखने को मिली जब जदयू सुप्रीमो मोदी के सम्मान में इतने झुक गए कि उनके चरणस्पर्श को आतुर हो गए। इसके दीगर चंद्रबाबू नायडू को मनाने के लिए भाजपा शीर्ष को वाकई पापड़ बेलने पड़ गए। नायडू से बात करने के लिए पीएम ने तीन लोगों यानी अमित शाह, जेपी नड्डा व राजनाथ सिंह को अधिकृत किया था। माना जाता है कि शुरूआत में नायडू की मांगों की फेहरिस्त काफी लंबी थी, वे लोकसभा स्पीकर के साथ वित्त, नगर विकास, उड्डयन जैसे अहम मंत्रालय भी मांग रहे थे।

फिर भाजपा की ओर से उनसे कहा गया कि 'वे अपने संभावित मंत्रियों की सूची अभी सौंप दें, मंत्रालय के निर्णय रविवार के बाद हो जाएंगे' पर इस पर नायडू नहीं माने, उन्होंने अपनी ओर से एक विकल्प यह भी पेश कर दिया है कि 'अगर भाजपा चाहे तो तेदेपा केंद्र सरकार को बाहर से भी समर्थन दे सकती है,' पर भाजपा का डर है कि चूंकि 'इंडिया ब्लॉक' अखिलेश व शरद पवार के मार्फत निरंतर नायडू के टच में है, सो उनका ऐसा कोई भी कदम एनडीए 3-0 सरकार के लिए आत्मघाती साबित हो सकता है।नीतीश कुमार को हल्के में न ले भाजपा जदयू सुप्रीमो नीतीश कुमार बकायदा इन कयासों से बाखबर हैं कि उनके तीर को अपने तरकश में करने के लिए भगवा पार्टी कभी भी 'ऑपरेशन लोट्स' चला सकती है सो इस दफे वे अपना हर कदम बहुत फूंक-फूंक कर रख रहे हैं। भले ही वे जाहिरा तौर पर मोदी व भाजपा के समक्ष नतमस्तक दिखे, पर अपने सांसदों को एकजुट रखने की इस बार उनकी चाक-चौबंद तैयारी है। सूत्रों की मानें तो नीतीश ने अपने दो अत्यंत विश्वासपात्र लोगों को अपने सांसदों की निगरानी व उनका ट्रैक रखने का जिम्मा सौंपा है।

कहां तो नीतीश से एक जून को इस्तीफा मांगें जाने की खबरें उड़ी। क्योंकि भाजपा को भनक लगी थी कि परिणामों वाले दिन नीतीश पिछड़ सकते हैं लेकिन बाद में सब कुछ उनके पक्ष में जाने लगा और 4 जून को उन्हें कैबिनेट में बड़े पद के आफर मिले। नीतीश ने अपनी टोपी उछालते हुए कहा कि 'क्या इस बार उनकी पार्टी के लिए लोकसभा में स्पीकर का पद मिल सकता है?' फिर भौंचक भाजपा को नीतीश ने नायडू के सुर में सुर मिलाते हुए कह कर चौंका दिया कि 'ये दोनों ही नेता चाहते हैं कि एनडीए 3-0 की सरकार भी वैसे ही चले जैसे वाजपेयी जी के जमाने में चला करती थी। हमारे मंत्रियों पर सचिव पीएमओ अपनी मर्जी से नहीं थोपेगा और न ही उनके संबंधित मंत्रालय की हर फाइल अनुमोदन के लिए पीएमओ जाया करेगी, मंत्रियों को निष्पक्ष व स्वतंत्र तरीके से अपने मंत्रालयों को चलाने दिया जाएगा।' सूत्र यह भी बताते हैं कि नायडू व नीतीश ने आपस में बातचीत कर पहले से यह तय कर लिया है कि अगर वाकई इन दोनों नेताओं को अपने दलों को टूटने-बिखरने से बचाना है, व 'ऑपरेशन लोट्स' के झंझटों से पार पाना है तो उन्हें भाजपा से स्पीकर पद तो मांगना ही होगा।

नए एनडीए साथी की तलाश में भाजपा नायडू व नीतीश की दबाव की राजनीति से पार पाने के लिए भाजपा को अपने लिए कुछ नए गठबंधन साथियों की तलाश है, सो ​शिनाख्त के कार्य जारी हैं। मन तो शरद पवार व उद्धव ठाकरे जैसे नेताओं काे भी टटोले का रहा है। वहीं छोटे पाटर्नर पर भी डोरे डाले जा रहे हैं, जैसे इस बार आंध्र में मैदान चूक गए जगन मोहन रेड्डी की भी भाजपा नेतृत्व सुध ले रहा है जिनके लोकसभा में 4 सांसद हैं। पर भाजपा के इस आइडिया का चंद्रबाबू नायडू पुरकश विरोध कर रहे हैं। वे तो जगन मोहन को जेल की सलाखों के पीछे देखना चाहते हैं। इसके तार चंद्रबाबू के रिश्ते में भाई वाई.एस. विवेकानंद रेड्डी से जुड़े हैं जो राज्य मंत्री थे और सन् 2019 में उनकी हत्या हो गई थी। चंद्रबाबू अब इस पूरे मामले की नए सिरे से पड़ताल चाहते हैं। …और अंत में सुर्खियों में रहना इस 'बॉलीवुड क्वीन' को बखूबी आता है, चंडीगढ़ एयरपोर्ट पर एक महिला कांस्टेबल से थप्पड़ खाकर भी उन्होंने इस थप्पड़ की गूंज से अपने लिए सुर्खियों की माला तैयार कर ली। इस शुक्रवार को जब वह एनडीए की मीटिंग में शामिल होने के लिए सेंट्रल हॉल आने लगीं तो रास्ते में पत्रकारों व टीवी कैमरों ने उन्हें घेर लिया, चैनल वाले भी उनका सिर्फ एक बाइट चाहते थे, पर कंगना थीं जो खनकी ही नहीं, आदत के विपरीत बिना कोई शब्द बोले आगे बढ़ती रहीं, उनकी निःशब्दता को मायने दिए उनके पीछे चल रहे एक व्यक्ति ने जिन्होंने 'ऑफ दा रिकार्ड' बताया कि 'दीदी को अभी पार्टी ने कुछ भी बोलने से मना किया हुआ है।'

Related Stories

No stories found.
logo
Punjab Kesari
www.punjabkesari.com