अक्सर मुझे लोग दीदी जी कहते हैं। चाहे बड़े हों, छोटे हों और मुझे बहुत अच्छा लगता है परन्तु एक शख्स ऐसा था जो मुझे हमेशा भाभी मां कहता था या सिर्फ मां। मैं उन्हें कहती थी आप मुझे इतना सम्मान, इज्जत क्यो देते हो, मैं तो आपसे बहुत छोटी हूं, तो वो झट से कहते थे मुझे तुम्हारे में मां का रूप दिखता है, क्योंकि तुम समाज के लिए, बुजुर्गों के लिए मां की तरह काम करती हो तो मुझे बस मां ही कहना है और अब मुझे आदत पड़ गई थी कि जहां कहीं मिलते या माइक पकड़ते किरण मां-या सिर्फ मां कहते। मुझे बहुत ही अच्छा लगता था क्योंकि मां एक पवित्र शब्द है जिसकी महिमा सभी जानते हैं।
यह समय शायद मेरे लिए बहुत ही भारी है। पहले अश्विनी जी जो हमेशा मेरे आसपास हैं परन्तु शारीरिक रूप से मुझसे जुदा हो गए। फिर मेरे बड़े भाई तुल्य भोलानाथ बिज जिनके साथ मैंने चौपाल का काम किया। फिर पिता तुल्य महाशय जी जो हर सुख-दुख में मेरे साथ खड़े थे। हमेशा आशीर्वाद देते थे। उसके बाद राजमाता और बहुत से वरिष्ठ नागरिक के सदस्य और पटेल नगर ब्रांच के अध्यक्ष उप्पल जी, जयपुर के भूटानी जी, अभी-अभी गुड़गांव ब्रांच के अध्यक्ष जी की देवी रूपा पत्नी स्नेह सागर। ऐसे लग रहा है ईश्वर मेरे साथ हमारे परिवार से सम्बन्धित अच्छे लोगों को अपने पास बुला रहा है। सब बारी-बारी मेरे से बिछुड़ रहे हैं। अभी हम सब जानते हैं यह जीवन की कड़वी सच्चाई है कि जो भौतिक संसार में जन्म लेता है उसे एक न एक दिन मृत्यु को प्राप्त होना ही होता है।
‘‘बेशक मंदिर-मस्जिद तोड़ो
बुल्ले शाह ए कैन्दा
पर प्यार भरा दिल कदी न तोड़ो
इस दिल में दिलबर रहता।’’
भारत में सूफी गायकी की परम्परा को जीवंत बनाने वाले प्रख्यात गायक नरेन्द्र चंचल जी जो अब हमारे बीच नहीं हैं। उन्होंने सूफी गायकी से लेकर माता की भेंटों तक ऐसी लोकप्रियता हासिल की कि अपने दौर में उनके सामने कोई टिक नहीं पाता था। ऐसा नहीं है कि उन्होंने केवल धार्मिक भेंटें ही गाईं। उन्हाेंने रोमांटिक गीत, कव्वाली और हर रंग के गीत गाए। उनका मशहूर डायलाग हर माता की भेंट के पहले होता था अब कहिये जय माता दी। ऐसा कहकर वह अपनी भक्ति से भरी हर भेंट में लोगों को मां की ममता के प्रति ओत-प्रोत कर देते थे।
मुझे वो दिन कभी नहीं भूलता जब मैंने वरिष्ठ नागरिक केसरी क्लब की 2004 में स्थापना की तो सबसे पहले इनका फोन और महाशय जी का फोन आया और साथ ही सुभाष सचदेवा एमएलए का जिन्होंने अपनी तन्ख्वाह में से 10 हजार महीना देना शुरू किया। नरेन्द्र चंचल जी ने कहा कि वो अपनी सेवा फ्री में क्लब के सदस्यों को देंगे और उनको देखते-देखते हंसराज हंस, जस्सी, दिलेर मेहंदी, शंकर साहनी और अब भजन गायक सिद्धार्थ मोहन भी जुड़ गए जो वरिष्ठ नागरिक के लिए हमेशा सेवा देने के लिए तैयार रहते हैं।
सबसे पहला जब उन्होंने वरिष्ठ नागरिक केसरी क्लब के लिए प्रोग्राम किया तो वरिष्ठ नागरिक केसरी क्लब को 50,000 की सदस्यता राशि दी और कहा कि जब मैं घर से चलने लगा तो मेरी पत्नी नम्रता ने मुझे कहा कि आप इतने अच्छे कार्य के लिए जा रहे हैं तो खाली हाथ मत जाइये और यह देकर आएं और मुझे उन्होंने कहा कि मां ये तेरे बच्चों (वरिष्ठ नागरिक) के लिए मेरी तरफ से भेंट है। तब उन्होंने माइक पर कहा कि किरण मेरी छोटी बहन या छोटी भाभी नहीं मेरी मां है क्योंकि वह एक मां की तरह प्यार और ममता लुटाती है। फिर उन्होंने नोएडा ब्रांच की ओपनिंग, पंजाबी बाग ब्रांच की ओपनिंग, जयपुर ब्रांच की ओपनिंग में अपने प्रोग्राम दिये। वरिष्ठ नागरिक उनकी भेंटें सुनकर थिरकते, डांस करते, खुश होते और आशीर्वाद देते।
उनके बारे में कुछ भी लिखना एक इतिहास लिखने के बराबर है। वह बालीवुड में राजकपूर के बुलाने पर फिल्म बॉबी के गीत के लिए पहली बार अमृतसर से फ्रंटियर मेल में बैठकर मुम्बई गए। जिसे आज भी कोई भूला नहीं सकता और जो भेंट उन्होंने अवतार फिल्म में गायी ‘चलो बुलावा आया है माता ने बुलाया है’-बड़ी लोकप्रिय है। उसके बिना कोई भी माता की चौंकी अधूरी होती है। वह हर साल वैष्णो देवी मां की गुफा में जाकर जागरण करते थे। उनकी कोई भी चौंकी, कोई भी जागरण होता अगर मैं पहुंच जाती तो भारी भीड़ में माइक पर अपना भजन रोक कर कहते मेरी मां आ गई है, मेरा सिर सम्मान से उनके आगे झुक जाता था। आज मन बहुत भारी है। मुझे विश्वास ही नहीं होता कि आप हमारा साथ छोड़ कर जा चुके हैं। अब मुझे अपने मधुर शब्दों से मां कौन कहेगा, मेरी आंखें नम हैं और माता रानी से नतमस्तक होकर यही प्रार्थना है, कामना है कि माता रानी आपको अपने श्रीचरणों में स्थान दें-जय माता दी।