पीएम के मुरीद क्यों हो रहे हैं डीके?

पीएम के मुरीद क्यों हो रहे हैं डीके?
Published on

पिघलते लोहे की गर्म भट्ठी में
ख्यालों सा छिटकता रहा हूं मैं
समेटता रहा हूं सौ-सौ बार,
पर टूट कर बिखरता रहा हूं मैं'
कर्नाटक के डिप्टी सीएम डीके ​शिवकुमार को बताया जा रहा है कि आने वाले 10 सितंबर के लिए व्हाइट हाउस से निमंत्रण प्राप्त हुआ है, यह भी कहा जा रहा है कि जिस डीके पर पहले से कई मुकदमे दर्ज हैं उन्हें भारत सरकार ने अमेरिका जाने की परमिशन भी दे दी है। इससे पहले डीके दिल्ली आकर पीएम मोदी के संग बैठक भी कर चुके हैं, कहा जाता है कि पिछले कुछ महीनों में डीके कम से कम तीन बार पीएम से मिल चुके हैं, पर्यवेक्षक इसे कहीं न कहीं कांग्रेस के लिए एक खतरे की घंटी मान रहे हैं।
वैसे भी कर्नाटक के कांग्रेसी सीएम सिद्दारमैया 'मुडा' यानी मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण में कथित भूमि घोटाले में फंस चुके हैं, कहा जा रहा है कि इस अवैध आवंटन से राज्य के सरकारी खजाने को कोई 45 करोड़ रुपयों का चूना लगा है, राज्यपाल ने भी सीएम के खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति दे दी है, बावजूद इसके कांग्रेस हाईकमान सिद्दारमैया की जगह राज्य की कमान डीके को सौंपने का इच्छुक नहीं जान पड़ती, यही वजह शायद डीके को बार-बार दिल्ली भगवा आंगन की ओर ले जा रही है।
सूत्र बताते हैं कि डीके ने 'श्यामला गोपालन फाऊंडेशन' को चिकमंगलूर में वंचित वर्ग की छात्राओं के लिए एक वर्ल्ड क्लास स्कूल बनाने के लिए जमीन आवंटित की है। सनद रहे कि डॉ. श्यामला गोपालन अमेरिकी उपराष्ट्रपति व राष्ट्रपति पद की डेमोक्रेट उम्मीदवार कमला हैरिस की मां हैं। जिनका 2019 में कैंसर से निधन हो गया था। भले ही यह फाऊंडेशन कमला हैरिस की मां के नाम पर हो, पर इसका कमला या उनकी बहन माया से कोई लेना-देना नहीं है।
भाजपा में नए अध्यक्ष की तलाश जोरों पर
भाजपा व संघ के दरम्यान पार्टी के नए अध्यक्ष के चुनाव को लेकर मशक्कत जारी है। पिछले सप्ताह भाजपा के मौजूदा अध्यक्ष जेपी नड्डा और संघ के नेतृत्व के बीच एक लंबी व अहम बैठक हुई। पार्टी इस माह के अंत तक पूर्वकालिक अध्यक्ष की घोषणा करना चाहती है। कहते हैं संघ के शिखर नेतृत्व ने नड्डा से जानना चाहा कि नए अध्यक्ष को लेकर पार्टी शीर्ष के मन में क्या चल रहा है? तो नड्डा ने बताया कि पार्टी शीर्ष की राय है कि भाजपा का अगला अध्यक्ष ओबीसी, अति पिछड़ा या फिर दलित समुदाय से होना चाहिए जिससे देश को यह संदेश दिया जा सके कि पार्टी को हाशिए पर खड़े उस हर अंतिम व्यक्ति की चिंता है। इस पर संघ ने थोड़ा असहज होते हुए कहा-आप हमें जातीय समीकरणों में उलझाने के बजाए साफ तौर पर किसी व्यक्ति का नाम बताएं कि आप लोगों के मन में किसका नाम चल रहा है?' इस पर नड्डा ने चुप्पी साध ली।
सूत्र बताते हैं कि भाजपा शीर्ष अपने लिए एक ऐसा अध्यक्ष चाहता है जो सबके साथ बेहतर तालमेल में काम कर सके। इस कड़ी में भूपेंद्र यादव से लेकर देवेंद्र फड़णवीस के नाम लिए जा सकते हैं। जबकि इस बारे में संघ का मंतव्य किंचित अलग है, संघ की सोच है कि भाजपा का नया अध्यक्ष पार्टी चलाने के लिए स्वतंत्र हो। संगठन व सरकार दोनों की अपनी अलग वकत हो, संघ इसके लिए पहले भी भाजपा शीर्ष को अपनी ओर से राजनाथ सिंह, नितिन गडकरी व शिवराज सिंह चौहान जैसे नेताओं के नाम सुझा चुका है।
प्रियंका की चाय पर मिले राहुल व अखिलेश
पिछले काफी समय से यूपी में सपा और कांग्रेस के दरम्यान तल्खी की बात सुनने को मिल रही थी, इस बार भी जब रायबरेली लोकसभा सीट से राहुल गांधी ने अभूतपूर्व विजय हासिल की और जब राहुल अपने विजय जुलूस के लिए राय बरेली पहुंचने वाले थे तो किसी बड़े कांग्रेसी नेता ने अति उत्साह में आकर अखिलेश को रायबरेली आमंत्रित कर दिया। कहते हैं इस बात पर अखिलेश खिन्न हो गए और बोले-'यह एक सांसद का विजय उत्सव है, उसमें मेरा क्या काम? क्या मैं राहुल जी से कन्नौज आने को थोड़े ही कर रहा हूं।'
संसद के मानसून सत्र के अनिश्चित काल के लिए स्थगित होने से ठीक एक दिन पहले प्रियंका गांधी ने अखिलेश को फोन कर अपने घर चाय पर आमंत्रित किया, प्रियंका ने कहा कि 'आप पंडारा पार्क में हैं, मैं सुजान सिंह पार्क में आपसे थोड़ी ही दूरी पर रहती हूं, सो आप डिंपल भाभी को साथ लेकर आइए।' अखिलेश प्रियंका के इस आमंत्रण को ठुकरा नहीं पाए, अखिलेश सपत्नीक पधारे, राहुल भी आए, पर बातें सारी गैर राजनीतिक हुई। जैसे अखिलेश ने बताया कि अब उनकी दूसरी बेटी भी पढ़ने के लिए लंदन चली गई है, प्रियंका ने बताया कि उनके बच्चों ने भी लंदन से ही पढ़ाई की है। राहुल ने भी लंदन के अपने कॉलेज के दिनों के कई किस्से शेयर किए, माहौल हल्का-फुल्का रहा और रिश्तों पर जमी बर्फ धीरे-धीरे पिघलती रही।
वन नेशन, वन इलेक्शन के बहाने
इस दफे लालकिले की प्राचीर से पीएम मोदी ने जब अब तक का सबसे लंबा संबोधन दिया तो चर्चा की धुरी 'वन नेशन, वन इलेक्शन' पर टिक आई। चुनाव आयोग ने भी पीएम की 'हां' में 'हां' मिलाते संकेत दे डाले हैं कि 'पूरे देश में एक साथ चुनाव कराने में वह पूरी तरह सक्षम है और उसने इसकी पूरी तैयारी भी कर रखी है।' यानी लोकसभा चुनावों के साथ-साथ तमाम राज्यों के विधानसभा चुनाव भी एक समय पर हो जाएंगे। अब सुगबुगाहट सुनने को मिल रही है कि अगले आम चुनाव नियत समय से पहले हो सकते हैं यानी 2027 के यूपी विधानसभा चुनावों के साथ।
भाजपा शीर्ष से जुड़े कुछ विश्वस्त सूत्र खुलासा करते हैं कि पिछले दिनों दिल्ली के भगवा शीर्ष ने एक बड़े सैंपल साइज के साथ यूपी में एक चुनावी सर्वेक्षण करवाया है कि आज अगर यूपी में विधानसभा चुनाव होते हैं तो उसमें भाजपा कहां खड़ी है? सूत्र बताते हैं कि इस सर्वेक्षण के नतीजे बेहद चौंकाने वाले रहे, सर्वे में भाजपा को यूपी में मात्र 125-135 सीटें मिलती हुई दिखाई गई हैं, वहीं सपा 200 के आंकड़े को पार कर रही है। कहते हैं इस सर्वेक्षण रिपोर्ट को भाजपा शीर्ष ने यह कहते हुए संघ के पास भेजा है कि 'अगर राज्य में योगी का रवैया यथावत कायम रहा तो यहां फिर भाजपा का क्या हश्र होने वाला है?' कहते हैं आज भी संघ मजबूती से योगी के पीछे खड़ा है। जब संघ ने इस सर्वे रिपोर्ट की बाबत योगी से बात की तो योगी का दो टूक कहना था-'प्रदेश में जमीन पर ऐसा कोई सर्वे ही नहीं हुआ है, उन्हें नीचा दिखाने के लिए यह सर्वे टेबल पर तैयार हुआ है, हकीकत है कि हम आज भी यूपी में ढाई सौ से ज्यादा सीटें जीतने का दम रखते हैं।'
…और अंत में
दिल्ली योगी को घेरने व बेधने के लिए कृतसंकल्प जान पड़ती है। सूत्रों के दावों पर अगर यकीन किया जाए तो पिछले दिनों एनडीए के घटक दल राष्ट्रीय लोकदल के नेता जयंत चौधरी की दिल्ली दरबार में पेशी हुई। सूत्र बताते हैं कि जयंत से कहा गया कि वे यूपी सरकार से अपने कोटे के मंत्री को 'विड्रा' कर लें ताकि योगी पर दबाव बनाया जा सके। जयंत से कहा गया कि एक तो आपसे दो मंत्रालय दिए जाने की बात हुई थी, पर मिला सिर्फ एक, वह भी बेहद हल्का मंत्रालय। फिलहाल असमंजस में बताए जा रहे हैं जयंत, एक तो एनडीए में रह कर किस प्रकार अपने मंत्री को योगी सरकार से इस्तीफा दिलवा दें। दूसरा उन्हें योगी की ताकत का भी बखूबी इल्म है, वे 'महाराज' से जानबूझ कर कोई पंगा भी नहीं लेना चाहते।

– त्रिदिब रमण 

Related Stories

No stories found.
logo
Punjab Kesari
www.punjabkesari.com