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हंगामा है क्यों बरपा….

फिनलैंड में लीक हुए एक वीडियो में प्रधानमंत्री सना मारिन एक निजी पार्टी में दोस्तों के साथ नाचती और गाती नजर आ रही हैं।

फिनलैंड में लीक हुए एक वीडियो में प्रधानमंत्री सना मारिन एक निजी पार्टी में दोस्तों के साथ नाचती और गाती नजर आ रही हैं। जिससे जनता के बीच एक बहस शुरू हो गई है कि सर्वोच्च पद पर आसीन व्यक्ति के लिए ऐसा आचरण कितना उपयुक्त है और वो भी जब एक और पड़ोसी देश यूक्रेन में युद्ध चल रहा है। 36 वर्षीय सना मारिन युवा प्रधानमंत्री हैं। यूरोपीय देशों की राजनीति भारतीय राजनीति से काफी अलग है। वहां के लोगों की पार्टियों के बारे में धारणा अलग है। फिनलैंड और पूरी दुनिया में पार्टी  करने वाले युवा, किशोर और किशोरियां सोशल मीडिया पर ऐसे ही अनगिनत वीडियो साझा करते हैं लेकिन सना मारिन के लीक वीडियो ने तूफान खड़ा कर दिया। मध्यमार्गी-वामपंथी सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी का नेतृत्व करने वाली मारिन को पार्टी के सवालों की बौछार का सामना करना पड़ा है। सवाल उठाए जा रहे हैं कि क्या पार्टी में मादक पदार्थ थे? क्या पार्टी  में शराब परोसी गई? क्या इस दौरान मारिन काम कर रही थी या गर्मी की छुट्टी पर थी? यह सवाल भी जोर-शोर से उठाया जा रहा है कि क्या प्रधानमंत्री इतने होश में थी कि किसी आपात स्थिति से निपटने में वह सक्षम थी?
मारिन ने स्वीकार किया कि उसने दोस्तों की पार्टी में जश्न मनाया और  पार्टी में शराब का इस्तेमाल हुआ लेकिन उनकी जानकारी में वहां कोई मादक पदार्थ नहीं था। उन्होंने स्वीकार किया कि उन्होंने भी शराब पी थी। सवालों की बौछार के बीच मारिन ने ड्रग्स टेस्ट भी करा लिया है।
हंगामा है क्यों बरपा,
थोड़ी सी जो पीली है
डाका तो नहीं डाला,
चोरी तो नहीं की है
हंगामा है क्यों बरपा—
सना मारिन का कहना है कि वह पार्टी में डांस कर रही थी, गा रही थी इनमें से कोई भी काम गैर कानूनी नहीं है। वीडियो सामने आने के बाद कई लोग सना मारिन को घेर रहे हैं। कहा जा रहा है कि पार्टी और म्यूजिक फैस्टीवल्स की बजाय उन्हें देश चलाने पर ध्यान देना चाहिए। यह भी कहा जा रहा है कि  एक प्रधानमंत्री का इस तरह से शराब पीकर नाचना गाना अच्छा नहीं लगता। उन्हें पद के हिसाब से व्यवहार करना चाहिए। ऐसी बातों के जवाब में मारिन का कहना है कि  उन्हें नहीं लगता कि उन्हें बदलने की जरूरत है वो वैसी ही रहेंगी जैसी वो हैं। सना मारिन 10 दिसम्बर 2019 को फिनलैंड की प्रधानमंत्री बनी थी। 27 वर्ष की उम्र में पहली बार सिटी कौंसिल की सदस्य बनी थी। 2015 मे वह  सांसद चुनी गईं। जून 2019 में वह देश की ट्रांसपोर्ट मंत्री बनी। वह हमेशा खबरों में रहीं।जनवरी 2020 में सना के प्रधानमंत्री बनने के ठीक एक महीने बाद पूरी दुनिया में एक खबर वायरल हुई थी जिसमें कहा गया था कि फिनलैंड में हफ्ते में चार दिन और 6 घंटे काम का नियम आ गया है। हालांकि यह खबर फर्जी निकली थी लेकिन कहा जाता है कि पार्टी की बैठक में ऐसा सुझाव मारिन ने ही दिया था। फिर सना मारिन की फोटो को लेकर भी विवाद खड़ा हो गया था जो उन्होंने ट्रेंडी नाम की मैग्जीन के कवर के लिए खिंचवाई थी इसमें उन्होंने बिना शर्ट के ब्लेजर पहना था। फोटो में दिख रही डीप नेकलाइन को लेकर उन्हे घेरा गया था। दिसम्बर 2021 में सना ​मारिन के देश के विदेश मंत्री को कोरोना होने की खबर आने के कुछ घंटे बाद ही वह एक क्लब में पार्टी करने चली गई थी ​जबकि कोरोना गाइडलाइन के मुताबिक उन्हें आइसोलेट होने की जरूरत थी। वह अक्सर म्यूजिक फैस्टीवल में नजर आती रही हैं।  खास बात यह है कि सना मारिन को अपने फैसलों पर अडिग रहना और अपने आलोचकों को जवाब देना आता है। सना मारिन का कहना है कि उनकी पारिवारिक जिंदगी है और वह दोस्तों के साथ पार्टियों में शामिल होती हैं। वह एक नागरिक हैं और अपनी प्राइवेसी में रहते हुए उन्हें पार्टी में अपने दोस्तों के साथ डांस करने में कोई बुराई नजर नहीं आती। काम करने वाले लोगों को भी जश्न मनाने का अधिकार है। उन्होंने उम्मीद जताई कि फिनलैंड के लोग इसे स्वीकार करेंगे और उनके व्यवहार को लेकर फैसला करेंगे। यद्यपि विपक्ष उनका इस्तीफा मांग रहा है। लेकिन देश में इस बात को लेकर बहस छिड़ गई है कि क्या प्रधानमंत्री को पार्टी करने का अधिकार है या नहीं।फिनलैंड दुनिया का सबसे खुशहाल देश माना जाता है। 55 लाख की जनसंख्या वाले फिनलैंड के अधिकांश लोग अपने जीवन से संतुष्ट नजर जाते हैं। 1917 में रूस में क्रांति के बाद उसने स्वयं को आजाद घोषित  किया। 1906 में महिलाओं और पुरुषों को मतदान और  चुनाव लड़ने का अधिकार दे दिया गया था। फिनलैंड लैंगिक समानता अपनाने वाला पहला देश बना था। ऐसे देश में प्रधानमंत्री के पार्टी में शामिल होने को लेकर अपने विवाद पर देश का एक वर्ग सना मारिन का समर्थन भी कर रहा है। एक वर्ग का मानना है कि प्रधानमंत्री अगर खाली समय में दोस्तों के साथ समय बिता लेती हैं तो इसमें गलत क्या है। दरअसल यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद लंबे समय से तटस्थ रहे फिनलैंड और स्वीडन को नाटो सदस्यता के लिए आवेदन करने के लिए प्रेरित किया। मारिन पर जनता की इच्छाओं के अनुरूप काम करने का दायित्व भी है। भले ही वह सरकार की मुखिया हैं लेकिन वह अपनी उम्र के किसी अन्य व्यक्ति की तरह इंसान हैं। हालांकि उन्हें अपने पद की गरिमा का ख्याल भी रखना होगा। फैसला मतदाताओं को ही करना है।
आदित्य नारायण चोपड़ा
Adityachopra@punjabkesari.com

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