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ट्विटर डील रद्द क्यों हुई

दुनिया के सबसे धनी एलन मस्क ने ट्विटर खरीदने की डील रद्द करने का ऐलान कर चौंका दिया है।

दुनिया के सबसे धनी एलन मस्क ने ट्विटर खरीदने की डील रद्द करने का ऐलान कर चौंका दिया है। मस्क का ट्विटर से अफेयर अप्रैल में शुरू हुआ था और जुलाई तक आते-आते यह अफेयर ब्रेकअप में बदल गया। मस्क और ट्विटर डील किसी हाई वोल्टेज ड्रामे से कम नहीं रही। पिछले तीन महीने में यह डील किसी न किसी वजह से चर्चा में रही है। पहले अपनी कीमत को लेकर फिर सीईओ से मतभेद और अब डील टूटने की चर्चा जोरों पर हो रही है। अप्रैल की शुरूआत में एलन मस्क ने ट्विटर में 9.2 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीदने का ऐलान किया था। तभी से यह लग रहा था वह ट्विटर में अहम भूमिका निभाएंगे। 13 अप्रैल को मस्क ने ट्विटर को खरीदने का जब ऐलान किया  तो उन्होंने ट्विटर को 54.2 डॉलर प्रति शेयर के रेट से 44 अरब डॉलर में खरीदने की पेशकश की। इस पेशकश को ट्विटर ने स्वीकार भी कर लिया। लेकिन दोनों के बीच रोमांस ज्यादा दिन नहीं चल पाया। अचानक एलन मस्क ने डील को होल्ड पर डाल दिया। आखिर यह डील रद्द क्यों हुई और इसके क्या कारण रहे। इसका सबसे बड़ा बिंदु स्पैम और  फेक अकाउंट्स थे। शुरूआत में ट्विटर ने कहा था कि उसके प्लेटफार्म पर सिर्फ 5 प्रतिशत ही स्पैम अकाउंट हैं लेकिन मस्क ने पाया कि सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर 22 प्रतिशत से भी ज्यादा फेक अकाउंट हैं। मस्क ने आरोप लगाया कि ट्विटर स्पैम अकाउंट्स की सही डिटेल नहीं दे रहा है। इससे एक बात को यह तय हो गई कि सभी सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर भारी संख्या में फेक अकाउंट हैं। कम्पनियों से लेकर राजनीतिक दलों तक अपना-अपना एजैंडा पूरा करने के लिए फेक नामों से अकाउंट बनाते हैं और वो अपने प्रति लोगों की भावनाओं को आकर्षित करते हैं या फिर लोगों की विचारधारा को बदलने का प्रयास करते हैं। एलन मस्क ने ट्विटर के सीईओ पर गलत जानकारियां देने का आरोप लगाया।
दुनियाभर के उद्योगपतियों की नजरें अब इस बात पर लगी हुई हैं कि अब आगे क्या होगा। अब नजरें इस बात पर हैं कि ट्विटर मस्क को डील से बाहर कैसे निकलने देता है। ट्विटर  ने मस्क के खिलाफ कानूनी कार्रवाई के लिए न्यूयार्क की सबसे बड़ी लीगल फर्म को हायर किया है।  
करार के मुताबिक डील काे तोड़ने पर मस्क ट्विटर को एक निश्चित रकम का भुगतान करेंगे हालांकि ट्विटर डील को पूरा करना चाहती है इसलिए वो कोर्ट पहुंच  गई है। कंपनी के कोर्ट जाने की एक अहम वजह यह भी है कि इस मामले में मस्क का पक्ष कमजोर है। डिलेवरे कोर्ट जहां ये सुनवाई होनी है, ने ऐसे मामलों में अधिग्रहण करने वाले पक्ष (यहां मस्क) के लिए डील छोड़ने के पैमाने कड़े कर रखे हैं। हालांकि रिपोर्ट में कानून के जानकारों के हवाले से लिखा गया है कि ऐसा अक्सर देखने को मिला है कि खरीदी जाने वाली (जैसे यहां ट्विटर) लंबी कानून कार्रवाइयों से बचने के लिए कम कीमत पर डील पर पुनर्विचार या मुआवजे पर सहमत हो जाता है।
मस्क ने डील छोड़ने के लिए स्पैम अकाउंट की संख्या पर मिली जानकारी को अपर्याप्त माना है और इसे एमएई यानी मैटिरियल एडवर्स इफेक्ट के अंतर्गत रखा है। यानी ऐसी बात जो आने वाले समय में कंपनी की आर्थिक सेहत पर बुरा असर डाल सकती है। हालांकि रिपोर्ट में जानकारों के हवाले से लिखा गया है कि कोर्ट एमएई को लेकर कोई सीधा फार्मूला नहीं रखता और इसके असर को काफी अनिश्चितता के साथ देखता है। स्थिति ये है कि सिर्फ एक मामले में कोर्ट ने एमएई की बात को स्वीकार किया था। ये मामला 2018 में फार्मा सेक्टर से जुड़ी एक डील का था। रॉयटर्स की माने तो जो डील मस्क और ट्विटर के बीच हुई है उसके आधार पर मस्क को अपनी बात कोर्ट में साबित करना मुश्किल होगा। इससे मामले के लंबा खिंचने की आशंका बनती है। दोनों पक्षों में एक बार फिर बातचीत हो सकती है। भले ही इसमें डील को नया स्वरूप दिया जाए या ट्विटर को मुआवजे की बात हो।
एलन मस्क हमेशा नई संभावनाओं को तलाशते रहते हैं। यदि दुनिया में सबसे ज्यादा रिस्क लेने वाले किसी अमीर आदमी की बात करें तो उनमें एलन मस्क का नंबर सबसे पहले आएगा। एलन मस्क इंटरनेट की दुनिया से जब अवगत हुए तो उन्होंने अमेरिका के स्टेनफोर्ड यूनिवर्सिटी से फिजिक्स में पीएचडी की जिसके बाद गंभीरता से इंटरनेट के बारे में रिसर्च किया। उन्होंने जिप-2 नाम से कंपनी खोलकर अपने करियर की शुरूआत की थी। उसके बाद वो सफलता की सी​ढ़ियां चढ़ते गए। अब तो अंतरिक्ष में भी उनकी कंपनी स्पेस एक्स ने कमाल कर दिखाया। जब एलन मस्क ने स्पेस एक्स को शुरू करने के लिए अपनी पूरी पूंजी  झोंक दी तब चांद पर कदम रखने वाले अमेरिकी व्यक्ति नील आर्म्सस्ट्रांग ने उनके कदम का मजाक उड़ाया था। फिर एलन मस्क ने टेस्ला कंपनी को शिखर तक पहुंचाया । उन्हें व्यापार की बारीकियां पता है। अब देखना होगा कि ट्विटर से खटाई में पड़ी डील का अंत कानूनी रूप से कैसे होगा।
आदित्य नारायण चोपड़ा
Adityachopra@punjabkesari.com

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