लोकसभा चुनाव 2024

पहला चरण - 19 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

102 सीट

दूसरा चरण - 26 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

89 सीट

तीसरा चरण - 7 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

94 सीट

चौथा चरण - 13 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

96 सीट

पांचवां चरण - 20 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

49 सीट

छठा चरण - 25 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

सातवां चरण - 1 जून

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

लोकसभा चुनाव पहला चरण - 19 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

102 सीट

क्या बिकेगा कंगाल ‘महाराजा’

देश का गौरव मानी जाने वाली कम्पनी एयर इंडिया से पिंड छुड़ाने की तैयारी सरकारी तौर पर कर ली गई है क्योंकि 58 हजार करोड़ से अधिक के कर्ज में दबी कम्पनी में जान डालने को केन्द्र सरकार तैयार नहीं है।

देश का गौरव मानी जाने वाली कम्पनी एयर इंडिया से पिंड छुड़ाने की तैयारी सरकारी तौर पर कर ली गई है क्योंकि 58 हजार करोड़ से अधिक के कर्ज में दबी कम्पनी में जान डालने  को केन्द्र सरकार तैयार नहीं है। कभी एयर इंडिया का लोगो स्वागत करता महाराजा लोगो के आकर्षण का बिन्दू था लेकिन अब महाराजा फटेहाल हो चुका है। महाराजा के कंगाल होने की अपनी कहानी है जिसके लिए कुप्रबंधन से लेकर राजनीतिज्ञों की साजिश ​जिम्मेदार है। एयर इंडिया को सबसे पहले जेआरडी टाटा ने 1932 में टाटा एयरलाइन्स के नाम से लांच किया था। इसका नाम 1946 में बदल कर एयर इंडिया कर दिया गया और 1953 में कम्पनी को भारत सरकार ने खरीद लिया। 
साल 2000 तक यह मुनाफे में चलती रही। 2001 में कम्पनी को 57 करोड़ का घाटा हुआ था। 2007 में केन्द्र सरकार ने एयर इंडिया और  इंडियन एयरलाइन्स का विलय किया। विलय के वक्त दोनों कम्पनियों का घाटा 770 करोड़ रुपए था जो विलय  के बाद 7200 करोड़ हो गया। एयर इंडिया ने अपने घाटे की भरपाई के लिए अपने तीन एयरबस 300 और एक बोइंग 747 को 2009 में बेच दिया था। मार्च 2011 में कम्पनी का कर्जा बढ़कर 42,600 करोड़ और परिचालन घाटा 22 हजार करोड़ हुआ था। अब केन्द्र सरकार एयर इंडिया में अपनी सौ फीसदी बेचने को तैयार हो गई है। बीते साल मोदी सरकार ने एयर इंडिया की 76 फीसदी हिस्सेदारी बेचने के लिए निविदा जारी की थी, लेकिन बोली लगाने कोई नहीं आया था। अब सरकार ने ​निवेशकों  को आकर्षित करने के लिए एयर इंडिया की सस्ती विमानन सेवा एयर इंडिया एक्सप्रैस में भी सौ फीसदी हिस्सेदारी बेचने का फैसला कर लिया है। 
एयर इंडिया के विनिवेश को लेकर विरोध  भी हो रहा है। सरकार को देश के तय क्षेत्र में स्वामित्व और नियंत्रण को खोने के प्रति आगाह भी किया जा रहा है। एयर इंडिया की कर्मचारी यूनियनें पहले से ही विरोध कर रही हैं। 2003 में तत्कालीन वाजपेयी सरकार ने एयर इंडिया और इंडियन एयर लाइन्स को प्राइवेट करने के लिए अपनी सहमति दी थी लेकिन बाद में यह मामला ठंडे बस्ते में चला गया था। इसके बाद यूपीए सरकार में नागर विमानन मंत्री बने प्रफुल्ल पटेल ने एयर इंडिया की फ्लीट को आधुनिक बनाने के लिए बोइंग को 111 एयर क्राफ्ट बनाने का आर्डर दे दिया । सरकार ने इसके लिए 70 हजार करोड़ का भारी भरकम बजट भी रखा था और 50 विमानों की सप्लाई के लिए 33197 करोड़ दे दिए थे। सरकार को उम्मीद थी कि फ्लीट को आधुनिक बनाने से एयर इंडिया को फायदा होगा लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ।
 कहा तो यह भी जा रहा है कि नागर विमानन मंत्रालय की नीतियां निजी एयरलाइनों को फायदा पहुंचाने वाली रहीं। फायदे के रूट निजी कम्पनियों के हवाले किए गए। यूपीए-2 सरकार के दौरान फैसला लिया गया कि एयर इंडिया को 20 वर्षों के लिए 48212 करोड़ का कर्ज इक्विटी के जरिये ​िदया जाए। लेकिन सरकार का यह फैसला भी उलटा ही पड़ा। एयर इंडिया के नेशनल एविएशन मार्केट में केवल 14 फीसदी शेयर हैं। नेशनल एविएशन मार्केट में एयर इंडिया के मुकाबले इंडिगो अन्य प्राइवेट एयर लाइन्स का कब्जा है। एयर इंडिया को इंटरनेशनल मार्किट में भी कड़ी टक्कर मिली, जिसमे  मुनाफा गिरता गया।
एयर इंडिया को कंगाल बनाने में कौन लोग जिम्मेदार थे, इसकी कोई जवाबदेही तय नहीं की गई। कैग केवल आलोचना कर देता है लेकिन इस पर कार्रवाई कुछ नहीं की गई। कुप्रबंधन और भ्रष्टाचार की शिकायतें भी सामने आती रहीं लेकिन हुआ कुछ नहीं। अब सवाल यह है कि क्या कोई कंगाल महाराजा को खरीदने आएगा? अगर कोई बोली लगाकर एयर इंडिया को खरीद भी लेता है तो उसे कर्ज का बड़ा हिस्सा चुकाना होगा। कम्पनी कुछ दिनों में तो मुनाफा कमाने वाली बन नहीं सकती क्योंकि बाजार में कड़ी प्रतिस्पर्धा है। सरकार ने इस बार खरीददारों को कई ढील भी दी है, उस पर भी सवाल खड़े किए जा रहे हैं। सरकार 33 हजार करोड़ का कर्ज चुकाने और बचे कर्मचारियों की जिम्मेदारी भी लेने को तैयार है फिर भी सवाल यह है कि क्या कोई कम्पनी इसे खरीदने के लिए आएगी। c एयर इंडिया के ​निवेशकों  के खिलाफ अदालत जाने की तैयारी में हैं। देखना होगा कि  एयर इंडिया का भविष्य क्या होगा?
आदित्य नारायण चोपड़ा
Adityachopra@punjabkesari.com

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

eighteen − 10 =

पंजाब केसरी एक हिंदी भाषा का समाचार पत्र है जो भारत में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली के कई केंद्रों से प्रकाशित होता है।