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ओडिशा में विश्वकप हाॅकी कुम्भ

ओडिशा में पुरुष विश्व कप हॉकी कुम्भ की शुरूआत हो चुकी है।

ओडिशा में पुरुष विश्व कप हॉकी कुम्भ की शुरूआत हो चुकी है। ओडिशा दूसरी बार विश्व कप हॉकी की मेजबानी कर रहा है। राज्य के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक का हॉकी के प्रति प्रेम किसी से छिपा हुआ नहीं है। नवीन पटनायक को इस बात का श्रेय मिलना ही चाहिए कि उन्होंने न केवल हॉकी के बुनियादी ढांचे का निर्माण किया, बल्कि हॉकी टीमों को प्रायोजित भी किया। ओडिशा सरकार ने भुवनेश्वर में कलिंग स्डिटेयम और राऊरकेला में बिरसा मुंडा हॉकी स्टेडियम को अन्तर्राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप भव्य बनाया। इसके अलावा हॉकी का पालना कहे जाने वाले आदिवासी बहुल सुन्दरगढ़ जिला में 17 ब्लाकों में 17 एस्ट्रोटर्फ बनाए हैं। आदिवासी बहुल सुन्दरगढ़ जिले में जहां लोग एक ग्रामीण टूर्नामैंट में एक बकरी को ट्राफी के रूप में देखने के आदी हैं ने अब तक पुरुष और महिला दोनों टीमों के लिए 60 से अधिक अन्तर्राष्ट्रीय खिलाड़ी दिए हैं। भारत के पूर्व कप्तान और वर्तमान हॉकी इंडिया के अध्यक्ष दिलीप टिर्की, इग्नेस टिर्की, प्रबोध टिर्की, लाजरस बारला, विलियम जाल्क्सो, वीरेन्द्र लकड़ा, ज्योति सुनीता कुल्लू, सुभद्रा प्रधान और दीप ग्रेस एक्का सहित शीर्ष सितारों को तैयार किया है। 
कभी पंजाब के संसारपुर गांव को हॉकी की नर्सरी कहा जाता था। लेकिन अब ओडिशा सरकार द्वारा की गई पहल से राज्य में हॉकी खेलने की संस्कृति को नया जीवन मिला है। बेहतर बुनियादी ढांचे और कोचिंग सुविधाओं के साथ राज्य जूनियर और सब जूनियर स्तरों पर नई प्रतिभाओं की पहचान भी करता है। हॉकी विश्व कप की दूसरी बार मेजबानी करने से ओडिशा की प्रतिष्ठा में चार चांद लगे हैं। विश्व कप हॉकी में भारतीय हॉकी टीम पिछले 48 साल के सूखे को समाप्त करने के ​लिए   मैदान में है। देखना यह है कि वह अपना सपना पूरा कर पाती है या नहीं। भारतीय हॉकी टीम का इतिहास बहुत समृद्ध रहा है। 1928 के एमस्टर्डम ओलिम्पिक में भारतीय टीम ने हॉकी में स्वर्ण जीता था। यह एक शानदार भारतीय हॉकी खिलाड़ी, जिनका नाम ध्यानचंद की वजह से हुआ। हॉकी का जादूगर कहे जाने वाले ध्यानचंद ने एम्सटर्डम की भीड़ के सामने सभी भारतीयों  को अपने हॉकी के कौशल से मंत्रमुग्ध कर दिया था और पूरी दुनिया के सामने नया कीर्तिमान स्थापित किया था। 
हॉकी के दिग्गज खिलाड़ियों ने अपनी प्रतिभा का बेहतर प्रदर्शन कर भारत में लगातार 1928 से 1956 तक यानि कि स्वर्ण युग के दौरान भारत ने 6 ओलम्पिक स्वर्ण पदक और लगातार 24 हॉकी मैच जीते थे। वहीं हॉकी के स्वर्णिम काल में भारत को जीत दिलवाने का पूरा श्रेय उस युग के प्रतिभाशाली और महान खिलाड़ी ध्यानचंद, अशोक कुमार, बलबीर सिंह, अजीत पाल सिंह, अशोक कुमार, ऊधम सिंह,  बाबू निमल,  केशव दत्त, प्रीतपाल सिंह, शंकर लक्ष्मण, रणधीर सिंह जैंटल, लेस्ली क्लांडियस समेत भारतीय टीम में शामिल अन्य खिलाडि़यों को जाता है। भारतीय हॉकी टीम ने अभी तक कुल 8 ओलिम्पिक स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास रचा है। वहीं अभी तक हॉकी खेल में लगातार इतने स्वर्ण पदक किसी भी देश की राष्ट्रीय टीम नहीं हासिल कर पाई है। इसके अलावा भारत ने ओलिम्पिक में कुल 11 पदक जीते हैं, जिनमें से 8 स्वर्ण, एक रजत और दो कांस्य पदक शा​मिल हैं। इसके साथ ही भारत ने ओलिम्पिक खेलों में साल 1928 से 1956 तक लगातार 6 स्वर्ण पदक जीते थे। इसके बाद भारतीय टीम ने दो स्वर्ण पदक साल 1964 और 1980 के ओलिम्पिक में जीते थे।
ओलिम्पिक  2008 के लिए क्वालीफाई करने में नाकाम रहने सहित विश्व स्तर पर पिछड़ने के बाद भारत एक बार फिर मजबूत दावेदार बनकर उभरा है। एफआईएच हॉकी प्री. लीग के 2021-22 सत्र में तीसरे स्थान पर रहने के बाद टोकियो ओलिम्पिक टीम ने ऐतिहासिक कांस्य पदक जीता। जब से ग्राहम रीड ने मुख्य कोच का पद सम्भाला है, भारत का कद और बढ़ गया है। वह भारत को कुशल और अनुशासित टीम बनाने में सफल रहे हैं, जिसका विरोधी सम्मान करते हैं और उससे डरते भी हैं। बर्मिंघम राष्ट्रमंडल के फाइनल में आस्ट्रेलिया से 0-7 से हारने के बाद भारत ने इस टीम के खिलाफ उसकी सरजमीं पर बेहतर प्रदर्शन किया लेकिन फिर भी शृंखला 1-4 से हार गया। कप्तान और एफआईएच के साल के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी हरमनप्रीत सिंह शानदार डीफेंडर और के. सर्वश्रेष्ठ ड्रैग फ्लिकर में से एक हैं। गोलकीपर पीआर श्रीजेश, दिग्गज मिडफील्डर मनप्रीत सिंह आैर हार्दिक सिंह तथा स्ट्राइकर मनदीप सिंह खेल का रुख बदलने में सक्षम हैं। 
भारतीय हॉकी टीम को जीत की भूख है। लेकिन उसकी राह इतनी आसान नहीं है। इस विश्व कप में फार्मेट के हिसाब से ग्रुप में पहले स्थान पर रहने वाली टीमों को सीधे क्वार्टर फाइनल में स्थान मिलेगा। ग्रुप में दूसरे और तीसरे स्थान पर रहने वाली टीमें क्रॉस ऑवर मैचों को खेलकर क्वार्टर फाइनल में स्थान बनाएंगी। भारत के ग्रुप में इंग्लैंड और स्पेन जैसी मजबूत टीमें हैं। पहला स्थान बनाने के लिए भारत को सभी टीमों को फतेह करना होगा। विश्व कप में आस्ट्रेलिया, अर्जेंटीना, बेल्जियम, जर्मनी, नीदरलैंड, स्पेन, कोरिया और न्यूजीलैंड की टीमें भी खेल रही हैं। विश्व कप हॉकी  में पाकिस्तान ने भी कई खिताब जीते हैं। लेकिन वह इस टूर्नामैंट में क्वालीफाई न कर पाने के कारण भाग नहीं ले पा रहा। खेल प्रेमियों की नजरें विश्व कप हॉकी पर लगी हुई हैं।
आदित्य नारायण चोपड़ा
Adityachopra@punjabkesari.com

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