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यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते, रमन्ते तत्र देवताः…

भारतीय संस्कृति में क्या खूब कहा गया है – यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते, रमन्ते तत्र देवता: अर्थात जहां नारी की पूजा की जाती है, उसका सम्मान किया जाता है वहां देवताओं का वास होता है।

भारतीय संस्कृति में क्या खूब कहा गया है –  यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते, रमन्ते तत्र देवता: अर्थात जहां नारी की पूजा की जाती है, उसका सम्मान किया जाता है वहां देवताओं का वास होता है।
मैं यह बात बड़े गर्व के साथ कह सकती हूं कि इसी तथ्य को अगर आप लोकतंत्र में लागू करते हैं तो आपको बहुत सम्मान मिलता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अगर महिलाओं का सम्मान कर रहे हैं तो भारतीय लोकतंत्र में उनकी खुद की कीर्ति, यश और देश का गौरव भी बढ़ रहा है। पिछले दिनों जब मोदी सरकार की कैबिनेट का विस्तार हुआ तो बड़ी खुशी हुई कि सात महिला सांसदों को मोदी जी ने अपने साथ काम करने का अवसर प्रदान किया। ये सात महिलाएं हैं श्रीमती मीनाक्षी लेखी, अनुप्रिया सिंह पटेल, दर्शना विक्रम, अन्नपूर्णा देवी, भारती प्रवीन पंवार, प्रतिमा भौमिक और शोभा कटिलाजे। और भी अच्छा लगा कि जब इन सातों का सम्मान हमारे मोदी कैबिनेट में सीनियर मोस्ट श्रीमती निर्मला सीता रमन और श्रीमती स्मृति ईरानी ने एक सामूहिक चित्र खिंचवाकर किया। यह फोटो देशभर में बहुत पसंद किया गया और दैनिक पंजाब केसरी दिल्ली ने इसे कैबिनेट की महिला शक्ति शीर्षक के तहत छापा तो इसे सबसे सुंदर फोटो करार दिया और कई लोगों ने यह भी कमेंट किया कि नारी शक्ति को सलाम, तो किसी ने कहा कि नारी शक्ति को नमस्ते। निर्मलासीता रमन और स्मृति ईरानी मध्य में हैं और बाएं-दाएं कैबिनेट में शामिल सात महिलाएं हैं, सभी ने भारतीय नारी का सबसे सुंदर परिधान साड़ी पहनकर एक भारतीय संस्कृति को भी प्रस्तुत किया। 
कहने का मतलब यह है कि जब कभी राजनीति में विशेष रूप से महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण देेने की बात की जाती है तो अनेक राजनीतिक दल इसका विरोध करते हैं जबकि खुद प्रधानमंत्री मोदी बराबर महिलाओंं  को सम्मान दे रहे हैं। अपने कैबिनेट में उन्होंने कभी श्रीमती सुषमा स्वराज को विदेश मंत्री के रूप में जगह दी थी तो उन्होंने देश का नाम रोशन किया था। अगर 2014 से मोदी सरकार का कार्यकाल आरंभ किया जाये तो आनंदी बेन पटेल अगर गुजरात की सीएम रही तो नजमाहेप तुल्ला उपसभापति रही। इस कड़ी में अगर हम राज्यपालों की बात करें तो आज भी बेबी रानी मौर्या, श्रीमती अनसुईया, तमिलशाही सौंदर्या राज्यपाल हैं और अगर थोड़ा और पीछे चलें तो श्रीमती द्रोपदी तुरमु, मृदुला सिन्हा और किरण बेदी भी राज्यपाल रह चुकी हैं। कहने का मतलब यह है कि मोदी जी ने महिलाओं को सम्मान दिया और उनकी योग्यताओं को भी सम्मान दिया और इसे देश के सामने एक आदर्श के रूप में स्थापित किया। कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि महिला सशक्तिकरण के मामले में इस सरकार ने बहुत किया है और उम्मीद की जानी चाहिए कि आगे भी महिलाओं का जब-जब सम्मान बढ़ेगा तो महिला सशक्तिकरण की बहार आयेगी। सबसे बड़ी बात यह है कि एक चीज, मेरा कहने का मतलब है कि शुरूआत धीरे-धीरे होती है इस कड़ी में मैं महिला आरक्षण का उल्लेख जरूर करना चाहूंगी जिसके बारे में कहा गया है कि राजनीति में 33 प्रतिशत महिला आरक्षण होना चाहिए। 
अनेक राजनीतिक दलों ने इसका विरोध किया है लेकिन हमारा विश्वास है कि मोदी सरकार के सत्ता में रहते सरकार इस काम को भी पूरा कर दिखायेगी अगर महिलाओं ने जीवन के हर क्षेत्र में सड़क से लेकर संसद तक, मैट्रो से लेकर अंतरिक्ष तक और भारतीय सेना के तीनों अंगों में तथा आईएस और आईपीएस या फिर देश के सर्वाेच्च पद राष्ट्रपति पद पर भी अपने हस्ताक्षर किये हैं तो राजनीति में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत क्या चीज। हर चीज के होने का अपना समय होता है। मोदी जी समय के मुताबिक सब कुछ करते हैं। 
सभी महिलाएं कैबिनेट में शामिल होने के बाद अपने-अपने मोर्चे पर डट गयी हैं और मोदी जी की टीम में काम करके देश की रौनक बढ़ायेंगी यह तय है। लेकिन दिल्ली वाले इसलिए बड़े खुश है कि मीनाक्षी लेखी जी को एक बड़ा पद मिला है और सबसे बड़ी बात यह है कि सभी सातों महिलाएं आदर्श भारतीय परिवारों से आती हैं यह बात अलग है कि इनसे पहले की महिलाएं भी आदर्श परिवारों से ही थी। यह हमेशा कहा जाता है कि महिलाओं में छठी इन्द्री भी होती है और घर से ही प्रबंधन सीख कर चलती हैं। वो बहुत संतुलित होती हैं। घर को चलाना, रिश्तों को संतुलित करके चलना। एक मां, बहन, पत्नी, बेटी के रूप में उससे अधिक भावना, सेवा, त्याग, सहयोग, संस्कार की कोई परिभाषा नहीं है।  एक अच्छी परंपरा है महिलाओं को बराबर साथ लेकर चलना और उनको सम्मान देना तथा टीम में अपने साथ रखना यह देश के लिए गौरव की बात है और इसके लिए मोदी जी को बहुत-बहुत बधाई।

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