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योगी बन गये कर्मयोगी

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लखनऊ में गाेमती के तट पर उत्तर प्रदेश की योगी सरकार और उद्योगपतियों का महाकुंभ सम्पन्न हुआ। इस सम्मेलन के सकारात्मक परिणाम तो सामने आ ही चुके हैं, सबसे बड़ी बात यह है कि इस सम्मेलन के जरिये मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राज्य को हताशा से निकाल कर उम्मीदों की नई किरणें जगा दी हैं। राज्य में निवेश तो आयेगा ही साथ ही रोजगार के अवसर भी सृजित होंगे। सबसे महत्वपूर्ण बात तो यह है कि निवेशक सम्मेलन में बुंदेलखंड में प्रस्तावित औद्योगिक कॉरीडोर न केवल उत्तर प्रदेश की बल्कि भारत की अर्थव्यवस्था के लिये वरदान साबित होगा। इस कॉरीडोर में ड्रोन, वायुयान और हेलीकाप्टर असैम्बलिंग सैन्टर, डिफैंस पार्क, बुलेट प्रूफ जैकेट, रक्षा के क्षेत्र में इंटैलीजैंस को बढ़ावा देने के उपकरण, आर्डिनेंस फैक्ट्री, डिफेंस इनोवेटिव हब आदि होंगे।

बुंदेलखंड मध्य भारत का एक प्राचीन क्षेत्र है। इसका विस्तार मध्यप्रदेश और उत्तर प्रदेश में है। अनेक शासकों और वंशों के शासन का इतिहास होने के कारण बुंदेलखंड की अपनी अलग ऐतिहासिक, सामाजिक और सांस्कृतिक विरासत है। बुंदेली माटी में जन्मी अनेक विभूतियों ने न केवल अपना बल्कि इस अंचल का नाम रोशन किया आैर इतिहास में अमर हो गये। आल्हा-ऊदल, ईसुरी, कवि पद्माकर, झांसी कर रानी लक्ष्मीबाई, डा. हरि सिंह गौर आदि अनेक विभूतियां इसी क्षेत्र से सम्बद्ध हैं। वीरों की धरती कहा जाने वाला बुंदेलखंड हमेशा उपेक्षा का शिकार रहा। पिछले लगभग तीन दशकों से बुंदेलखंड सूखे की मार झेल रहा है। तालाब, कुएं आैर हैंडपम्प साल में दस महीने सूखे रहते हैं। भूगर्भीय जल अत्यंत नीचे जा चुका है। साहूकारों और बैंकों का कर्ज अदा नहीं कर पाने पर किसान ​आत्महत्याएं कर रहे हैं। मझोले, छोटे किसान, कृषक मजदूर और अन्य व्यवसायी गांवों से पलायन कर गये।

बाजारों में गरीबी का सन्नाटा पसरा रहता है। 80 का दशक खत्म होते ही गांवों से पलायन की समस्या उजागर हो गई थी और 19वीं सदी पूरी होते-होते यहां का बड़ा और छोटा किसान कर्जदार हो गया था। गरीबी से सामाजिक मूल्यों का ही नहीं बल्कि मानवीय मूल्यों का भी ह्रास हुआ। उत्तर प्रदेश की पूर्ववर्ती सरकारों ने बुंदेलखंड के विकास के लिये घोषणाएं तो कीं लेकिन आपदायें पहले से कहीं अधिक गहरा गईं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बुंदेलखंड में पानी की समस्या दूर करने के लिये एक साथ कई कदम उठाये हैं। मुख्यमंत्री ने हजारों तालाब खुदवाने की परियोजना भी शुरू की है। बुंदेलखंड को एक्सप्रेस-वे से जोड़ने की बात भी की है। बुंदेलखंड को रेगिस्तान और वीरान बनने से बचाने के लिये ठोस परियोजनाओं की जरूरत है। डिफेंस कॉरीडोर का दूसरा पहलू यह भी है कि भारत हर वर्ष विदेशों से लाखों करोड़ रुपये के रक्षा उपकरण खरीदता है और यह रक्षा उपकरणों पर खर्च करने वाला विश्व का छठा सबसे बड़ा देश है। अगर रक्षा उपकरण देश में ही बनने लगें तो भारत के रक्षा उपकरणों के बिल में काफी कमी आयेगी।

उद्योग स्थापित होंगे तो युवाओं को रोजगार मिलेगा, जिससे पलायन रुकेगा। रक्षा उपकरण बनाने के लिये निजी क्षेत्र भी बेताब है। पब्लिक और प्राइवेट सैक्टर मिलकर काम कर सकते हैं। उत्तर प्रदेश सरकार की ‘वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट’ योजना एक अच्छी योजना है जो गेमचेंजर बन सकती है। इस योजना के तहत हर जिले की मशहूर वस्तु के उत्पादन, बिक्री व प्रचार-प्रसार के लिये सरकार मदद करेगी। कानपुर के चमड़ा उत्पाद, आगरा का पेठा, फर्रूखाबाद का नमकीन, कन्नौज का इत्र आदि उत्पादों को बढ़ावा मिलने से ​िकसानों और व्यापारियों के साथ-साथ स्थानीय युवाओं को रोजगार मिलेगा। अगर तिरुपति दुनिया में अपने लड्डू की मार्केटिंग कर सकता है, पंजाब की मिठाइयां विदेश जा सकती हैं तो फिर मथुरा के पेड़े की मार्केटिंग क्यों नहीं हो सकती। जरूरत है उत्तर प्रदेश को ब्रैंड के तौर पर प्रस्तुत करने की। उत्तर प्रदेश निवेश के लिए आकर्षक गंतव्य नहीं माना गया। राज्य की इस छवि के संदर्भ में योगी सरकार द्वारा निवेशक सम्मेलन आयोजित कर 4.28 लाख करोड़ के एमओयू होना एक बड़ी उपलब्धि है।

समाज के सामान्य व्यक्ति​ की तरह ही कानून व्यवस्था से उद्योग जगत और निवेशक प्रभावित होते हैं। कानून व्यवस्था को लेकर निवेशकों में सरोकार और गहरे होते हैं। कोई भी उद्यमी कानून व्यवस्था की अनदेखी कर निवेश का जोखिम नहीं उठा सकता। राज्य के पश्चिमी जिलों में कभी फिरौती और अपहरण काे समानांतर उद्योग का दर्जा हासिल था। उत्तर प्रदेश सरकार अपराधियों के सफाये के लिये काम कर रही है। पिछले दस महीनों में 1142 मुठभेड़ें हो चुकी हैं और इनमें 38 अपराधी मारे जा चुके हैं। पुलिस की सख्ती की वजह से अपराधी इतने खौफ में हैं कि आत्मसमर्पण करने लगे हैं। योगी सरकार को कानून व्यवस्था के मोर्चे पर डटे रहना होगा। योगी सरकार राज्य को विकास के पथ पर ले जाने के लिये प्रयासरत है। उम्मीद है कि उत्तर प्रदेश की दशा-दिशा और छवि बदलेगी। योगी वास्तव में कर्मयोगी बनकर सामने आये हैं।

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