उत्तर प्रदेश भारतीय राजनीति की धुरी है। इतिहास का अवलोकन करें तो पिछले 75 वर्षों में उत्तर प्रदेश ने देश को नई दिशाएं दी हैं। दिल्ली की सत्ता का रास्ता उत्तर प्रदेश से ही होकर गुजरता है। लोकसभा की 552 सीटेें हैं, इनमें से 530 सांसदों का चुनाव होता है। इनमें से 80 सीटें केवल उत्तर प्रदेश में हैं। कुल सीटों का लगभग 15 फीसदी, कहने का मतलब उत्तर प्रदेश में जो पार्टी अच्छा प्रदर्शन करेगी, केन्द्र में उसी की सरकार बनने की सम्भावनाएं प्रबल हो जाती हैं। भाजपा के लिए उत्तर प्रदेश का बहुत महत्व है, क्योंकि 2014 और 2019 के चुनाव में नरेन्द्र मोदी को प्रधानमंत्री की कुर्सी तक पहुंचाने का मार्ग उत्तर प्रदेश ने ही प्रशस्त किया था। 2014 के चुनाव में भाजपा और उसके सहयोगी दलों को 80 में से 73 सीटें मिली थीं। 2019 के चुनाव में भाजपा और सहयोगी दलों को 64 सीटों पर संतोष करना पड़ा था, जबकि सपा, बसपा और राष्ट्रीय लोकदल के गठबंधन को 16 सीटें मिली थीं।
अब देश में अगले लोकसभा चुनाव के लिए एक वर्ष का समय बचा है और भाजपा बड़ी तैयारियों में जुट गई है और उसके अभियान का फोकस मिशन यूपी पर है। मिशन यूपी के लिए केन्द्रीय नेताओं की टीमें बना दी गई हैं लेकिन भाजपा की निर्भरता उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर ही रहेगी। दरअसल योगी भाजपा का ऐसा चेहरा बन गए हैं जिनका कोई सानी नहीं है। वे भाजपा के स्टार प्रचारक हो चुके हैं। हर राज्य के चुनाव में भाजपा उम्मीदवार उनकी रैलियों की मांग करते हैं। जिस तरह से नरेन्द्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री के तौर पर ‘पोलिटिक्स डायमंड’ साबित हुए उसी तरह योगी अब भाजपा के ‘पोलिटिक्ल डायमंड’ बन चुके हैं।
उत्तर प्रदेश ही नहीं बल्कि देश की जनता के बीच भी उनकी विश्वसनीयता बढ़ी है। जनता के बीच यह जुमला काफी लोकप्रिय हो चुका है-
‘‘कुछ लोग पूछते हैं यूपी में का बा,
अरे उत्तर प्रदेश में बाबा-बाबा।’’
उत्तर प्रदेश में जिस ढंग से अपराधों में कमी आई है, माफिया का आतंक खत्म हुआ है और कानून व्यवस्था की स्थिति में सुधार हुआ है, उसकी गवाही एनसीआरबी के आंकड़े दे रहे हैं। कानून व्यवस्था की स्थिति में सुधार होते ही उत्तर प्रदेश निवेशकों का आकर्षक स्थल बन गया है। कभी एक भी िनवेशक उत्तर प्रदेश में नहीं आता था। अब राज्य को 35 लाख करोड़ के निवेश प्रस्ताव मिले हैं। योगी सरकार ने अपराधियों, माफियाओं पर बुलडोजर चलाकर कार्यवाही की नई नजीर पेश की और बाबा का बुलडोजर अब अन्य राज्य भी इस्तेमाल करने लगे हैं।
उत्तर प्रदेश आज एक्सप्रैस-वे, पेंशन योजना, पीएम आवास, गन्ना भुगतान, औद्योगिक विकास, डीबीटी के माध्यम से भुगतान, सभी में उत्तर प्रदेश नम्बर 1, हर गरीब के घर में शौचालय बनाने में नम्बर 1, पीएम आवास में शहरी ग्रामीण क्षेत्र में नम्बर 1, पीएम जनधन अकाउंट में नम्बर 1, जिनके बैंक अकाउंट नहीं खुल पाए थे, वे अब 8 करोड़ 51 लाख खाताधारक हैं। इन सब के साथ ही योगी आदित्यनाथ ने 2024 के चुनाव का रोडमैप तैयार कर लिया है।
पहले हिमाचल और अब कर्नाटक में भाजपा को हार का सामना करना पड़ा। आने वाले महीनों में राजस्थान और मध्य प्रदेश के भी चुनाव होने हैं। ऐसी स्थिति में भाजपा की सारी उम्मीदें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर टिक गई हैं। पिछले साल योगी आदित्यनाथ ने विधानसभा चुनावों में भाजपा गठबंधन को 273 सीटें दिलाईं। वह भी किसी करिश्मे से कम नहीं थीं। उस समय कोरोना महामारी और किसान आंदोलन की छाया भी थी और इस वर्ष स्थानीय निकाय चुनावों में भी भाजपा ने अपना परचम लहरा दिया है। उत्तर प्रदेश के सभी बड़े शहरों में भाजपा के महापौर पद सम्भाल चुके हैं।
2024 में भी उत्तर प्रदेश में सबसे बड़ा मुद्दा योगी आदित्यनाथ का कामकाज ही होगा। इन सब वजहों के चलते आगामी लोकसभा चुनाव में मुख्यमंत्री योगी के कंधों पर बड़ी जिम्मेदारी है। भाजपा को लगातार तीसरी बार केन्द्र की सत्ता में लाने के लिए उत्तर प्रदेश की बड़ी भूमिका होगी। राष्ट्रवाद हो या राष्ट्रीय सुरक्षा हिन्दुत्व की गूंज हो या जातीय समीकरणों का खेल, आने वाले चुनाव में भाजपा इन सबको अपना राजनीतिक हथियार बनाएगी ही। उत्तर प्रदेश में विपक्ष के एकजुट होने की सम्भावनाएं फिलहाल नजर नहीं आ रही। उत्तर प्रदेश में हर कोई अपना दांव चलने को तैयार है। फिलहाल एक अकेले योगी सब पर भारी नजर आते हैं। सबकी निगाहें उन पर टिकी हुई हैं। उनकी एक सफल सीएम की छवि 2024 में भजापा को बढ़त दिलाएगी और माफियाओं और अपराधियों के खिलाफ उनका कड़ा रुख भाजपा की जीत का मार्ग प्रशस्त करेगा, इसका पता तो चुनाव परिणामों से ही लगेगा। इतना तय है कि योगी आदित्यनाथ इस समय चमकदार सितारा बने हुए हैं।