आपका सबका स्नेह , आदर परन्तु...

पिछले कुछ महीनों से मैं हर ब्रांच में जा रही हूं, क्योंकि वरिष्ठ नागरिक केसरी क्लब को 20 साल हो गए हैं। इस खुशी में सभी सदस्य हिस्सा लेना चाहते थे। एक फंक्शन में मुमकिन नहीं था
आपका सबका स्नेह , आदर परन्तु...
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पिछले कुछ महीनों से मैं हर ब्रांच में जा रही हूं, क्योंकि वरिष्ठ नागरिक केसरी क्लब को 20 साल हो गए हैं। इस खुशी में सभी सदस्य हिस्सा लेना चाहते थे। एक फंक्शन में मुमकिन नहीं था क्योंकि 23 ब्रांच हैं, इसके लाखों की संख्या में सदस्य हैं। कई सदस्य एक्टिव हैं, कई बिस्तर पर भी हैं। कई बहुत एक्टिव नहीं हैं परन्तु सदस्य बनकर खुशी और सम्मान महसूस करते हैं।

मुझे मालूम है कि वरिष्ठ नागरिकों को इस मंच से बहुत खुशी मिलती है, जीने की राह मिलती है, उनकी अधूरी इच्छाएं पूरी हो रही हैं, जिसको वह कभी लिखकर, गाकर जाहिर करते हैं परन्तु यह क्या सबने तो मेरे ऊपर ही गीत लिखने और गाने शुरू कर दिए। मैं हाथ जोड़कर सबसे प्रार्थना करती हूं कि कृपया लिखना है और गाना है तो वरिष्ठ नागरिक केसरी क्लब के लिए गाएं न कि मेरे लिए। अगर मैं कहती हूं तो यही जवाब मिलता है, हम दिल से अपनी भावनाएं व्यक्त करते हैं। मैं मानती हूं आपके दिलों में मेरे लिए बहुत प्यार और सम्मान है परन्तु पहली बात तो यह क्लब सबकी मेहनत से चलता है। विशेषकर सभी ब्रांच हैड की मेहनत से, दूसरा आप सब सदस्यों की मेहनत, लगन से, तीसरा मैं कुछ नहीं हूं, मैं तो भगवान की तरफ से भेजा गया एक जरिया हूं। ईश्वर ने मुझे आप सबकी खुशियों के लिए माध्यम बनाया है। कहते हैं न करते हो तुम भगवन मेरा नाम हो रहा है, आपकी ही कृपा से मेरा काम हो रहा है। उसकी इच्छा के बिना पत्ता भी नहीं हिल सकता। दूसरा हमारे ऊपर पंजाब केसरी के संस्थापक लाला जगतनारायण जी, रमेश चन्द्र जी, अश्विनी जी का बहुत ही आशीर्वाद है। सच पूछो तो यह उनकी इच्छा ही थी जो मैं पूरा कर रही हूं।

सो सभी क्लब की शाखाओं के सदस्यों विशेषकर जी. के. ब्रांच के वीरेन्द्र मेहता जी जो हर पल नई कविता मेरे लिए लिख देते हैं। पंजाबी बाग की किरण मदान जी, पश्चिम विहार की रमा जी और तो और फरीदाबाद के शाम कालरा जी, जिनकी आवाज में जादू है, वो तो पत्थरों को भी अपनी आवाज से डांस करवा सकते हैं। इस बार तो उन्होंने अपने साथियों मोहन टूटेजा, वीरेन्द्र जी, सुभाष अरोड़ा के साथ मिलकर कमाल कर दिया। क्या कव्वाली गाई, खुद लिखी और खुद गाई। क्या बात थी, पर कमी सिर्फ इतनी थी कि उन्होंने किरण चोपड़ा यानी मेरी तरीफों के पुल बांध दिये। मालूम ही नहीं पड़ रहा था कि किधर देखूं। मेरी सहयोगी और ग्रेटर कैलाश, नोएडा की हैड अंजू कश्यप मेरे साथ थीं तो उन्होंने कहा क्यों लाल रंग हो रहा है, वो ठीक ही तो गा रहे हैं। मैंने कहा नहीं अंजू मुझे बड़ा अजीब लगता है, अपनी प्रशंसा सुनकर। मैंने माइक पर भी कहा और पिछले कई सालों से इस बात को दोहराती आ रही हूं परन्तु वो यही कहते हैं हम दिल से गाते हैं और हमारा दिल मानता नहीं।

भाई सबसेे मेरी हाथ जोड़कर प्रार्थना है, विनम्र निवेदन है मेरी तारीफ न करें, बस खुशियां लें और आपस में बांटें और अपनी ख्वाहिशें पूरी करें। मेरा दिल अपने एक-एक सदस्य से जुड़ा है। सबसे स्नेह है, सबका बहुत आदर करती हूं। हूं ना आपकी किरण.।

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