आज यानी 8 दिसंबर को हिंदी सिनेमा जगत के दो ऐसे एक्टर्स का जन्म दिन होता है, जिन्होंने फिल्म जगत में अपनी एक अलग पहचान बनाई। आज ही के दिन धर्मेन्द्र और शर्मिला टैगोर अपना जन्म दिन मनाते हैं। यह संयोग की ही बात है कि दोनों ही अपने अलग-अलग अंदाज के लिए पहचाने जाते हैं। धर्मेन्द्र और शर्मिला ने एक साथ इत्तेफाक से 8 ही फिल्मों में काम किया। जिनमें से कुछ हिंदी सिनेमा की क्लासिक्स मानी जाती हैं।
एक्शन से कॉमेडियन रोल तक के लिए फिट है धर्मेन्द्र
सीधे-सादे ईमानदार किरदार की बात हो या फिल्म शोले के एक्शन हीरो की, कॉमेडियन रोल में स्वयं को पेश करना हो या ही मैन का किरदार, धर्मेन्द्र ने इन सभी किरदारों को सफलतापूर्वक निभाकर दिखाया। अभिनय प्रतिभा के धनी कलाकार धर्मेन्द्र ने सन् 1960 में फिल्म ‘दिल भी तेरा हम भी तेरे’ से अपने अभिनय की शुरूआत की। चार से भी अधिक दशकों तक धर्मेंद्र चलचित्र जगत में छाये रहे और उन्होंने दर्जनों सुपरहिट फिल्में फिल्मजगत को दीं। धर्मेन्द्र का जन्म
कपूरथला में हुआ था और उनका गांव साहनेवाल है।
स्कूल के बहाने हॉल में पहुंचते थे धर्मेन्द्र
धर्मेन्द्र ने केवल मेट्रिक तक ही शिक्षा प्राप्त की थी। फिल्मों और सिनेमा के प्रति उनके लगाव का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि दिल्लगी (1949) फिल्म को उन्होंने 40 से भी अधिक बार देखा था। अक्सर स्कूल की क्लास में जाने के बजाय धर्मेन्द्र सिनेमा हॉल में पहुंच जाया करते थे। उनके कदम स्कूल की तरफ कम और सिनेमा हाल की तरफ ज्यादा भागते थे। फिल्मों में प्रवेश के पहले धर्मेन्द्र रेलवे में क्लर्क थे, लगभग सवा सौ रुपये उनकी तनख्वाह थी। 19 साल की उम्र में ही प्रकाश कौर के साथ उनकी शादी हुई थी।
बड़े पर्दे पर ही-मैन बनने का सफर
फूल और पत्थर धर्मेन्द्र की पहली ऐसी फिल्म थी जिसने उन्हें बड़े पर्दे पर ही-मैन बना दिया। इसके बाद धर्मेन्द्र ही-मैन के नाम से पहचाने जाने लगे। यह फिल्म सुपरहिट रही। कामयाबी के दौर में एक्शन फिल्मों में बेहद नेचुरल एक्टिंग करने वाले धर्मेंद्र अपने ज्यादातर स्टंट सीन खुद ही किया करते थे।
शोले से मिली अलग पहचान
शोले धर्मेन्द्र साहब की ऐसी फिल्म थी जिसे आज भी उसी अंदाज से देखा जाता है। शोले में धर्मेन्द्र के कॉमिक रोल को न जाने कितनी ही फिल्मों में रूपक की तरह इस्तेमाल किया गया है। हेमा के साथ भी उनकी जोड़ी लाजवाब थी, जिसे बड़े पर्दे पर बहुत सराहा गया। आंखें भी धर्मेंद्र की एक ऐसी ही फिल्म थी जो सुपरहिट रही। रामानंद सागर की इस फिल्म में उनकी जोड़ी माला सिन्हा के साथ बनी थी। धर्मेन्द्र 2004 से 2009 तक बीकानेर से भारतीय जनता पार्टी के लोकसभा सांसद भी थे।
शर्मिला से आयशा बनी टैगोर
शर्मिला टैगोर का जन्म हैदराबाद में एक हिंदू बंगाली परिवार में हुआ था। भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान नवाब पटौदी से विवाह के बाद शर्मिला टैगोर ने अपना नाम आयशा सुल्तान रख लिया था। उन्हें हिन्दी एवं बंगला सिनेमा की एक कामयाब अभिनेत्री के रूप में देखा जाता है। 70 साल की आयु में पटौदी का निधन हो गया। शर्मिला आज अकेली हैं। उनके तीन बच्चे हैं -सैफ अली खान, सबा अली खान और सोहा अली खान। सैफ, सोहा फिल्म-जगत में सक्रिय हैं, जबकि सबा अली खान आभूषण डिजाइनर हैं।
राजेश खन्ना के साथ सफल जोड़ी
बड़े पर्दे पर शर्मिला और राजेश खन्ना की जोड़ी खूब सफल रही। इस जोड़ी ने फिल्म जगत में सफलता की मिसाल कायम की। दोनों ने कई सुपरहिट फिल्में दीं, जिनमें अमर प्रेम, दाग, आराधना शामिल हैं। शर्मिला टैगोर ने हिंदी फिल्मों में जो मुकाम हासिल किया है, वह कम लोगों को नसीब हुआ है। उन्हें बेहतरीन अभिनय के लिए दो बार राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार और दो बार फिल्मफेयर पुरस्कार से नवाजा जा चुका है। 2013 में उन्हें पद्मभूषण से नवाजा जा चुका है।
आज भी युवा हैं शर्मिला
शर्मिला आज भले ही उम्र के तीसरे पड़ाव पर हैं, लेकिन उनका मन आज भी युवा है। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि शर्मिला ने एक कार्यक्रम में फिर से युवा बनने की इच्छा जाहिर की। शर्मिला के अनुसार वह जीवन में सब कुछ समेट लेना चाहती हैं, जो जीवन की आपाधापी के बीच छूट गया था।
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भारत कपूर