भारत देश में फिल्में हमेशा से ही लोकप्रिय रही हैं। लोग हिन्दी फिल्मों के जितने फैन्स शायद ही कोई और चीज के भी फैन नहीं होंगे। फिल्मों को समाज का आईना कहा जाता है। यह कहना बिल्कुल सही भी होगा। लेकिन सवाल यह उठता है कि हमारा समाज अपने आपको इस आईने में देखना चाहता है या नहीं। क्योंकि जब भी आईने देखाने की बात आती है तो हमारे समाज के लोगों को यह आईना पंसद नहीं आता है।
फिर तो लोग शोर मचाना शुरू कर देते हैं। जब ‘उड़ता पंजाब’ फिल्म आई थी तो तब भी कुछ ऐसा ही देखने को मिला था। इस फिल्म ने पंजाब में हो रहे ड्रग्स के कारोबार की सच्चाई को दिखाया था। जिसे देखकर फिल्म विवादों में आ गई थी और इसके चलते फिल्म कोर्ट भी चली गई थी।
इस फिल्म से शांत हुए लोगों के गुस्से को फिर जगा दिया था एक ओर फिल्म ने। इस फिल्म ने पंजाब और वहां के सिख समुदाय के लोगों को चिल्लाने पर मजबूर कर दिया था।
फिल्म ‘ढिशूम’ तो आपको याद ही होगी। कोई सोच भी नहीं सकता की यह फिल्म भी बवाल मचा सकती है। इस फिल्म में जैकलिन फर्नांडिस पर एक गाना फिल्माया गाया था। जैकलिन ने इस गाने के दौरान अपनी कमर पर कृपाण बांध लिया था।
जिसकी वजह से सिख समुदाय के लोगों को गुस्सा आ गया था। यह कृपाण सिख समुदाय में पवित्र माना जाता है। यह उन लोगों की आस्था का प्रतीक मानते हैं। सिख समुदाय सेंसर बोर्ड के पास चला गया था इस गाने को हटाने के संबंध में।
सेंसर बोर्ड के पाले में ही है इस फिल्म के विवाद की गेंद। सेंसर बोर्ड इस फिल्म से यह गाना हटाता है या नहीं। यह देखना दिलचस्प रहेगा। उड़ता पंजाब के समय भी यही हुआ था फिल्म के ऊपर कैंची चलवा दी थी कोर्ट ने और सेंसर बोर्ड को इस पर कोर्ट से डांट खानी पड़ी थी। एक कहावत है कि दूध का जला, छांछ भी फूंक-फूंक कर पीता है। सेंसर बोर्ड की यही हालात होगी इस टाइम पर।